वास्तविक वैश्विक चुनौती बन गया है आतंकवाद: सुषमा

[email protected] । Oct 18 2016 4:56PM

सुषमा ने कहा कि ‘‘देश द्वारा प्रायोजित’’ आतंकवाद से बड़ी वैश्विक चुनौती और कोई नहीं है। उन्होंने कहा कि आतंकवादी नेटवर्कों को समर्थन देने वालों को परिणाम भुगतना होगा।

ब्रिक्स घोषणा पत्र में सीमा पार आतंकवाद के जिक्र पर सर्वसम्मति हासिल करने में भारत के नाकाम रहने को लेकर आलोचना के बीच विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने आज कहा कि शिखर सम्मेलन के विमर्श में आतंकवाद का जोरदार तरीके से जिक्र किया गया और इस बात को लेकर मान्यता बढ़ रही है कि यह एक वास्तविक वैश्विक चुनौती बन गया है। गोवा में हुए ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भारत ने पाकिस्तान से पैदा हो रहे आतंकवाद को जोरदार तरीके से रेखांकित किया था। इस सम्मेलन के दो दिन बाद सुषमा ने कहा कि ‘‘देश द्वारा प्रायोजित’’ या ‘‘देश द्वारा संरक्षित’’ आतंकवाद से बड़ी वैश्विक चुनौती और कोई नहीं है।

उन्होंने कहा कि आतंकवादी नेटवर्कों को समर्थन देने वालों को इसका परिणाम भुगतने के लिए मजबूर करना होगा। सुषमा ने पाकिस्तान का स्पष्ट जिक्र करते हुए कहा कि आतंकवादियों को प्रायोजित करने वाले, उनका समर्थन करने वाले, उन्हें पनाह देने वाले और ‘‘अच्छे एवं बुरे आतंकवाद’’ के बीच ‘‘मिथ्या अंतर’’ करने वालों को इसकी कीमत चुकाने के लिए मजबूर करने की आवश्यकता है। सुषमा ने ब्रिक्स मीडिया मंच पर अपने संबोधन के दौरान यह बात कही।

सुषमा ने पाकिस्तान के परिवहन एवं कनेक्टिविटी पर कई समझौतों को बाधित करने का स्पष्ट जिक्र करते हुए बिम्सटेक देशों के बीच इन मामलों पर सहयोग बढ़ने की बात कही। उन्होंने कहा, ‘‘राजनीतिक कारणों से व्यापार एवं कनेक्टिविटी भी खारिज कर देने वालों का इससे बड़ा विरोधाभास नहीं हो सकता।’’ ब्रिक्स में हुए विचार विमर्श के बारे में बताते हुए सुषमा ने कहा कि आर्थिक संबंध एवं राजनीतिक सहयोग मुख्य कारक रहे और इस बात को माना गया कि वैश्विक विकास एवं समृद्धि शांति एवं सुरक्षा के लगातार बने रहने पर बहुत निर्भर करती है। उन्होंने कहा, ‘‘आतंकवाद को स्थिरता, प्रगति एवं विकास के लिए वैश्विक स्तर पर अहम खतरा माना गया है इसी लिए शिखर सम्मेलन के विमर्श में और इसके अंतिम परिणाम में इसका जोरदार तरीके से जिक्र किया गया।’’ सुषमा ने कहा, ‘‘दरअसल, हमने इस सम्मेलन में विश्व की आर्थिक महत्वकांक्षाओं को आतंकवाद से पैदा होने वाले खतरों के प्रति आपसी समझ ही नहीं देखी बल्कि हमने इस बात की स्वीकार्यता बढ़ते देखी कि यह (आतंकवाद) अब एक वास्तविक वैश्विक चुनौती बन गया है जिसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय अपने जोखिम पर ही नजरअंदाज कर सकता है।’’

ब्रिक्स घोषणा पत्र में सीमा पार आतंकवाद के जिक्र पर आम सहमति नहीं बन पाने के बाद सरकार को आलोचना झेलनी पड़ी है। सुषमा ने किसी देश का नाम लिए बगैर कहा कि व्यापक राजनीतिक संदर्भ में होने वाली ब्रिक्स बैठकों में अनिवार्य रूप से यह रेखांकित किया जाता है कि गंभीर वैश्विक संवाद करना ‘‘संकीर्ण एजेंडे’’ वाले कुछ ही देशों का ‘‘अधिकार’’ नहीं हो सकता।

सुषमा ने कहा, ‘‘ऐसी आम सहमति बन रही है कि इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता। हमें आतंकवादियों को समर्थन एवं सहयोग देने वालों, उन्हें शरणस्थलियां उपलब्ध कराने वालों, खुद के पीड़ित होने का दावा करने के बावजूद अच्छे और बुरे आतंकियों के बीच लगातार फर्क करने वालों को इसकी कीमत भुगतने के लिए मजबूर करने को तैयार रहना चाहिए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ब्रिक्स का नजरिया हमेशा से वैश्विक रहा है और आज सरकार प्रायोजित एवं सरकार संरक्षित आतंकवाद से बड़ी वैश्विक चुनौती कोई नहीं है।’’ सुषमा ने कहा कि बिम्सटेक के सदस्य- भूटान, बांग्लादेश, भारत, नेपाल, श्रीलंका और थाइलैंड आतंकवाद को ‘‘बढ़ावा देने वाली व्यवस्था’’ के ‘‘विपरीत ध्रुव’’ का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘वह अपनी जनता के जीवन की गुणवत्ता सुधारने पर, कौशल एवं रोजगार पर, शिक्षा एवं स्वास्थ्य पर, शासन की गुणवत्ता पर और लोकतंत्र को गहराने पर ध्यान केंद्रित करते हैं।’’ सुषमा ने कहा, ‘‘ये वे देश हैं, जो आपस में कनेक्टिविटी, संपर्क और सहयोग को सक्रियता के साथ बढ़ावा दे रहे हैं। ब्रिक्स के साथ उनका जुड़ाव अपने आप में एक संदेश है। यह संदेश कहता है कि बिम्सटेक जैसा समुदाय सकारात्मक दिशा में बदलते विश्व की क्षेत्रीय अभिव्यक्ति है। विश्व के सकारात्मक दिशा में बदलने की झलक ब्रिक्स में मिली थी। यह समुदाय (बिम्सटेक) साझा समृद्ध भविष्य को मूर्त रूप देने में सक्षम है। भारत द्वारा ब्रिक्स की अध्यक्षता किए जाने के मुद्दे पर सुषमा ने कहा, ‘‘हम ब्रिक्स को सम्मेलन कक्ष से बाहर लेकर गए और इसे लोकप्रिय विचार बनाने का प्रयत्न किया।’'

ब्रिक्स की बड़ी पहलों के बारे में सुषमा ने कहा कि समूह ने समय बीतने के साथ खुद में सुधार किया है और अपनी चर्चाओं को व्यापकता दी है। उन्होंने कहा, ‘‘शुरूआत में, इसकी चर्चाएं ज्यादातर आर्थिक एवं वित्तीय मुद्दों पर केंद्रित थीं। लेकिन समय बीतने के साथ, इसने व्यापक वैश्विक मुद्दों को समाहित करने के लिए दायरा बढ़ाया है। इसने ब्रिक्स संस्थानों और प्रक्रियाओं की स्थापना को भी बढ़ावा दिया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘न्यू डेवलपमेंट बैंक का पूरक साबित हो सकने वाली ब्रिक्स रेटिंग एजेंसी, रेलवे शोध तंत्र और कृषि अनुसंधान मंच जैसी प्रमुख पहलें आपसी लाभ के लिए हमें हमारी विशेष ताकत का फायदा लेने का मौका देंगी। हमारा मानना है कि ये ऐसे लक्ष्य हैं, जो समूह को आगे लेकर जा सकते हैं।’’ सुषमा ने कहा कि भारत द्वारा नौ माह तक की गई ब्लॉक की अध्यक्षता में कुल 115 समारोह आयोजित किए गए।

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