कोरोना से नहीं थैलेसीमिया से बढ़ सकता है मौतों का आंकड़ा, केन्द्र और राज्य सरकार को लिखा पत्र

Thalassemia
दिनेश शुक्ल । Apr 14 2020 9:01PM

इस समय भारत की कुल जनसंख्या का लगभग 3.5 प्रतिशत भाग थैलेसीमिया से पीड़ित है। जिन्हें 15 से 20 दिन में ब्लड ट्रान्सफ्युशन कराना होता है। यदि ब्लड ट्रान्सफ्युशन न हो तो पीड़ित को संक्रमण होने का खतरा होता है। जो कि उसके लिये जानलेवा साबित हो सकता है।

भोपाल। कोविड-19 के कारण विश्व भर में फैली जानलेवा महामारी से बचाव हेतु केन्द्र सरकार ने 14 अप्रैल 2020  से 3 मई 2020 तक देशव्यापी लॉक डाऊन का दूसरा चरण लागू कर दिया है। कोरोना वायरस से बचाव हेतु अपनाएं जा रहे ये सुरक्षा उपाय थैलेसीमिया पीड़ितों के लिये जान पर आफत बनते जा रहे है। इस समय भारत की कुल जनसंख्या का लगभग 3.5 प्रतिशत भाग थैलेसीमिया से पीड़ित है। जिन्हें 15 से 20 दिन में ब्लड ट्रान्सफ्युशन कराना होता है। यदि ब्लड ट्रान्सफ्युशन न हो तो पीड़ित को संक्रमण होने का खतरा होता है। जो कि उसके लिये जानलेवा साबित हो सकता है। लॉक डाउन की वजह से थैलेसीमिया पीड़ितों को न तो ब्लड ट्रान्सफ्युशन के लिये ब्लड मिल रहा है और न ही आवश्यक दवाओं की पूर्ति हो पा रही है। क्योंकि स्वैच्छिक रक्तदाता ऐसी विकट परिस्थितियों में रक्तदान के लिये आगे आने से कतरा रहे है। अगर यही हालात बने रहे तो कोरोना वायरस का तो पता नही, लेकिन थैलेसीमिया के कारण कई लोग असमय काल के गाल में समा सकते है।

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थैलेसीमिया इंटरनेशनल फेडरेशन के राज्य समन्वयक (मध्य प्रदेश) डॉ. सी.बी.एस. दाँगी ने बताया कि उन्हें इससे संबंधित कई मेल और मैसेजे प्राप्त हो रहे है तथा वे अपने स्तर पर पूरी तत्परता से थैलेसीमिया पीड़ितों की सहायता कर रहे है। उन्होंने मीडिया में अपना मोबाईल नंबर 9425013170 ओर ईमेल आईडी जारी करते हुए कहा कि वे इस विकट स्थिति में थैलेसीमिया पीड़ितों की सहायता के लिये 24 घंटे सातों दिन तत्पर है। यदि किसी भी पीड़ित व्यक्ति को उनकी सहायता की आवश्यकता हो तो वह किसी भी वक्त एन.जी.ओ. से संपर्क कर सकता है।

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डॉ. सी.बी.एस. दाँगी ने बताया कि ‘इस गंभीर हालात में सरकार को चाहिए कि सोशल डिस्टेसिंग का पालन करते हुए सीमित संख्या में रक्त दान शिविरों का आयोजन कराया जायें। जिससे थैलेसीमिया पीड़ितों को ब्लड ट्रान्सफ्युशन के लिये ब्लड की आपूर्ति सुनिष्चित हो सकें ओर सरकार को क्षेत्रीय स्तर पर ऐसे हॉस्पिटल भी चिन्हित करने चाहिये जहाँ बिना किसी परेशानी के ब्लड ट्रान्सफ्युशन की सुविधा उपलब्ध हो सके। लॉक डाउन के कारण पूरे देश में सभी प्रकार की व्यापार एवं व्यावसायिक गतिविधियां बंद है। जिससे थैलेसीमिया पीड़ितों के सामने वैसे ही आर्थिक संकट की स्थिति है। अतः समाज के सक्षम लोग और सामाजिक संस्थाएं इनकी मदद के लिये अपना हाथ बढ़ाएं ओर प्रशासन द्वारा जब तक लॉक डाऊन जारी है, तब तक थैलेसीमिया पीड़ितों को आवश्यक जीवन रक्षक दवाओं की निःशुल्क आपूर्ति सुनिश्चित की जायें। उन्होंने थैलेसीमिया पीड़ितों की आवाज सरकार तक पहुँचाने के लिये भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी तथा मध्य प्रदेष के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चैहान को पत्र लिखा है। आशा है इस संबंध में सरकार जल्द ही कदम उठायेगी।

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के मुताबिक मध्य प्रदेश के इंदौर शरह में जहाँ कोरोना संक्रमित सबसे अधिक मरीज पाए गए है तो यहाँ केवल एक ही अस्पताल में ब्लड ट्रान्सफ्युशन की सुविधा मौजूद है। जहाँ इंदौर ही नहीं बल्कि आस-पास के जिलों से भी बड़ी संख्या में थैलेसीमिया पीड़ित ब्लड ट्रान्सफ्युशन के लिये पहुँचते है। कोरोना हॉट स्पॉट जोन होने के कारण प्रशासन द्वारा इस चोइथराम हॉस्पिटल का अधिग्रहण कोरोना संक्रमितों के उपचार के लिये कर लिया गया है। इस कारण हॉस्पिटल प्रबंधन थैलेसीमिया पीड़ितों को कही ओर इलाज कराने के लिये कह दिया गया है।

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वही देशव्यापी लॉक डाउन के कारण यह परिस्थिति थैलेसीमिया पीड़ितों की जान पर आफत बन कर टूट पड़ी है। लेकिन ऐसे में इन थैलेसीमिया पीड़ितों की सहायता के लिए गैर सरकारी संगठन( एनजीओ) ग्लोबल रिसर्च एंड वेलफेयर सोसायटी सहारा बन गया है। यह गैर सरकारी संगठन थैलेसीमिया के क्षेत्र में कार्य करने वाले अंतराष्ट्रीय संगठन थैलेसीमिया इंटरनेशनल फेडरेशन की सहायक इकाई है। जिसने इंदौर नगर के अपर आयुक्त श्री एस. कृष्ण चैतन्य के सहयोग से न केवल मेडिकेयर हॉस्पिटल के प्रबंधन से बात कर 155 पीड़ितों के ब्लड ट्रान्सफ्युशन की व्यवस्था की है बल्कि उन्हें आवश्यक जीवन रक्षक दवाएं भी उपलब्ध कराने में सहायता की।

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