सीतारमण के यात्रा कार्यक्रम पर विवाद बरकरार, नहीं थम रही जुबानी जंग

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[email protected] । Aug 26 2018 10:43AM

रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण के बाढ़ प्रभावित कोडागू जिले के दौरे के दौरान उनके यात्रा कार्यक्रम को लेकर विवाद आज भी जारी रहा।

बेंगलुरु। रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण के बाढ़ प्रभावित कोडागू जिले के दौरे के दौरान उनके यात्रा कार्यक्रम को लेकर विवाद आज भी जारी रहा। राज्य के एक मंत्री की गलती बताई गई जिसके जवाब में कर्नाटक सरकार ने कहा कि वह केंद्र सरकार से किसी भी तरह कम नहीं है। सीतारमण के कोडागू दौरे के दौरान कल उनके और कर्नाटक के मंत्री सा रा महेश के बीच उनके यात्रा कार्यक्रम को लेकर बहस हो गयी थी। जिला आयुक्त के कार्यालय में यह वाकया मीडिया और अधिकारियों के सामने हुआ। 

रक्षा मंत्रालय के एक जनसंपर्क अधिकारी की ओर से आज जारी एक स्पष्टीकरण में आरोप लगाया गया कि महेश ने सीतारमण के खिलाफ कुछ “निजी टिप्पणियां” की थीं जिससे राज्यसभा की गरिमा कम हुई और यह भारतीय शासन व्यवस्था की समझ और उसके प्रति “अपमान’’ को दर्शाता है। इसमें कहा गया कि सीतारमण के खिलाफ की गई टिप्पणियां ‘अनुचित’ थीं जो प्रतिक्रिया देने के लायक नहीं थीं। 

रक्षामंत्री पर हमला बोलते हुए कर्नाटक के उपमु्ख्यमंत्री जी परमेश्वर ने कहा कि राज्य सरकारें संविधान से अपनी शक्तियां लेती हैं, केंद्र से नहीं। स्पष्टीकरण जारी किए जाने से पहले उन्होंने एक ट्वीट में कहा, “मैडम निर्मला सीतारमण, हमारे मंत्री कोडागू में राहत अभियानों को देखने के लिए जिला प्रशासन के साथ पिछले कई हफ्तों से मौजूद थे। आपको उन्हें वही सम्मान देना चाहिए जो उन्होंने आपकी तरफ से बढ़ाई गई मदद के लिए दिखाया था। आपको मेरे सहयोगी पर चिल्लाते देखना निराशाजनक था।” 

सीतारमण प्रभावित लोगों के समूह से बात कर रही थीं, उसी दौरान जिला प्रभारी मंत्री महेश ने उनसे कहा कि समीक्षा बैठक के लिए अधिकारी उनका इंतजार कर रहे हैं और उन सबको पुनर्वास कार्य के लिए जाना है।उन्होंने कहा कि वह पहले अधिकारियों से बात कर लें, जिस पर सीतारमण राजी भी हो गयीं।

सीतारमण ने कहा, ‘‘मैंने प्रभारी मंत्री का अनुसरण किया। यहां केंद्रीय मंत्री, प्रभारी मंत्री का अनुसरण कर रहे हैं। अविश्वसनीय! आपके पास मेरे लिए मिनट-मिनट की लिस्ट है...मैं आपके कार्यक्रम के हिसाब से काम कर रही हूं।’’ इसके बाद महेश ने ने एक टीवी चैनल से कहा था कि सीतारमण इस दर्द को तब समझतीं जब उन्होंने घर-घर जाकर वोट मांगा होता, मतदाताओं से मुलाकात कर उनकी समस्या पूछी होती और चुनाव लड़ा होता। वह कर्नाटक से राज्यसभा गईं थीं।

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