बेरोजगारों का दिया शाप किसी ‘साध्वी’ के शाप से ज्यादा शक्तिशाली: शिवसेना

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शिवसेना ने कहा, ‘‘ऐसी घटनाओं से देश में बीमा और एयरलाइन कंपनियों के राष्ट्रीयकरण पर पंडित नेहरू और इंदिरा गांधी की दूरदृष्टि अब समझ में आती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी जेट एयरवेज के मामले में ऐसी ही दूरदृष्टि दिखाने की जरुरत है।’

मुंबई। शिवसेना ने सोमवार को राजग सरकार से अस्थायी तौर पर अपनी विमान सेवाएं बंद करने वाली जेट एयरवेज का संचालन अपने हाथ में लेने और उसके कर्मचारियों की नौकरियां जाने से बचाने की अपील की। उसने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बीमा और एयरलाइन कंपनियों के राष्ट्रीयकरण में पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी की दूरदर्शिता से सीखने के लिए कहा। 25 साल पुरानी एयरलाइन के अस्थायी रूप से बंद होने के असर के बारे में शिवसेना ने पार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ में एक संपादकीय में कहा कि बेरोजगारों का दिया शाप किसी ‘साध्वी’ के शाप से ज्यादा शक्तिशाली होगा।

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शिवसेना ने कहा, ‘‘ऐसी घटनाओं से देश में बीमा और एयरलाइन कंपनियों के राष्ट्रीयकरण पर पंडित नेहरू और इंदिरा गांधी की दूरदृष्टि अब समझ में आती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी जेट एयरवेज के मामले में ऐसी ही दूरदृष्टि दिखाने की जरुरत है।’’ केंद्र और महाराष्ट्र में भाजपा के सहयोगी दल उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी ने कहा, ‘‘सरकार से हमारी मांग है कि वह जेट एयरवेज का संचालन अपने हाथ में ले और उसके कर्मचारियों को बेरोजगार होने से बचाए।’’

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शिवसेना ने कहा कि उसने एयरलाइन के कर्मचारियों के मुद्दे सरकार के समक्ष उठाए हैं। उसने कहा, ‘‘ बेरोजगार हो गए कर्मचारियों का शाप किसी ‘साध्वी’ के शाप से अधिक शक्तिशाली है। सरकार ऐसी स्थिति से बच सकती है।’’ संपादकीय में कहा गया है कि निवेशकों ने जेट एयरवेज के चेयरमैन और संस्थापक नरेश गोयल को हटाने की मांग की थी और भारतीय स्टेट बैंक को एयरलाइन को 400 करोड़ रुपये की मदद देनी थी। लेकिन एयरलाइन से गोयल के हटने के बावजूद उसने कर्मचारियों को 500 रुपये तक भी नहीं दिए। शिवसेना ने हैरानी जताई कि ‘‘क्या एयरलाइन की बदहाली के लिए पर्दे के पीछे कोरपोरेट ताकत काम कर रही है।’’उसने कहा कि भारतीय कारोबार को तोड़ना और विदेशी निवेशकों के लिए रेड कार्पेट बिछाना देश की नीति नहीं हो सकती।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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