'संसद के नहीं चलने से सबसे ज्यादा फायदा सरकार को होता है', विपक्ष पर उठ रहे सवालों के बीच डेरेक ओ’ब्रायन का बयान

संसद के अंदर और बाहर विपक्ष लगाताप नारेबाजी कर रहा है। विपक्ष के इस व्यवहार पर उठ रहे सवालों के बीच तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ‘ब्रायन ने बुधवार को कहा कि जब संसद नहीं चलती है तो सबसे ज्यादा फायदा सरकार को होता है।
बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) अभ्यास पर चर्चा की विपक्ष की मांग और लोकसभा व राज्यसभा में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अप्रत्याशित इस्तीफे पर राजनीतिक गतिरोध के बीच, सरकार ने आज के एजेंडे में छह विधेयक सूचीबद्ध किए हैं। इन छह विधेयकों में राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक, 2025, जिसका उद्देश्य खेलों को बढ़ावा देना और खिलाड़ियों के लिए सुविधाएँ व कल्याणकारी उपाय प्रदान करना है, और राष्ट्रीय डोपिंग रोधी (संशोधन) विधेयक, 2025 शामिल हैं। लेकिन संसद में विपक्ष के हंगामे के कारण कार्य नहीं हो पा रहा है। किसी भी तरह की कोई बहस नहीं हो पा रही है। संसद के अंदर और बाहर विपक्ष लगाताप नारेबाजी कर रहा है। विपक्ष के इस व्यवहार पर उठ रहे सवालों के बीच तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ‘ब्रायन ने बुधवार को कहा कि जब संसद नहीं चलती है तो सबसे ज्यादा फायदा सरकार को होता है।
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सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में तृणमूल कांग्रेस से राज्यसभा सदस्य ने कहा कि मानसून सत्र के दो दिन ‘‘बेकार’’ चले गए और इसके लिए उन्होंने केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया। ओ‘ब्रायन ने कहा, ‘‘केंद्र सरकार ने संसद के दो दिन व्यर्थ गंवा दिए। जब संसद नहीं चलती है, तो फायदा किसे होता है? सत्ता में बैठी सरकार को।’’
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उन्होंने कहा, ‘‘सरकार संसद के प्रति जवाबदेह होती है, संसद जनता के प्रति जवाबदेह होती है। जब संसद काम नहीं करती है तो सरकार किसी के प्रति जवाबदेह नहीं होती।’’ उन्होंने अपने ब्लॉग पोस्ट से एक लेख भी साझा किया जिसमें उन्होंने बताया कि मानसून सत्र का कुल समय 190 घंटे का है जिसमें से लगभग 70 प्रतिशत सरकारी कामकाज के लिए है। ओ‘ब्रायन ने कहा कि प्रश्नकाल के लगभग आधे प्रश्न और शून्यकाल के आधे नोटिस विपक्षी सांसदों द्वारा दायर किए जाते हैं, जिससे विपक्षी सदस्यों के पास सार्वजनिक महत्व के प्रश्न और मुद्दे उठाने के लिए कुल 31 घंटे का समय होता है।
तृणमूल कांग्रेस के नेता ने कहा कि केंद्र सरकार को कुल 190 घंटों में से 135 घंटे सरकारी कामकाज और अन्य मुद्दों के लिए मिलते हैं जो उनके अनुसार कुल समय का लगभग 70 प्रतिशत है। उन्होंने सुझाव दिया, ‘‘सरकार के लिए उपलब्ध घंटों में कटौती करना उचित है। विपक्ष को कुछ और समय दिया जाना चाहिए।’’
तृणमूल कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘प्रत्येक सदन में हर हफ्ते चार घंटे का समय सार्वजनिक महत्व के तात्कालिक मुद्दों पर चर्चा के लिए आरक्षित होना चाहिए। इसके अलावा ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के लिए भी दो घंटे आरक्षित होने चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि इसका मतलब होगा कि सरकारी कामकाज के लिए लगभग 117 घंटे और विपक्ष के लिए 49 घंटे होंगे जो अधिक निष्पक्ष व्यवस्था होगी।
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