सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों से पूछा- गवाह सुरक्षा योजना क्यों नहीं बनी?

[email protected] । Mar 25 2017 10:55AM

सुप्रीम कोर्ट ने गवाह सुरक्षा योजना को लागू करने में हरियाणा और उप्र के अब तक नाकाम रहने पर सवाल उठाते हुए उन्हें आसाराम के खिलाफ बलात्कार मामलों में गवाहों को सुरक्षा देने को कहा।

उच्चतम न्यायालय ने गवाह सुरक्षा योजना को लागू करने में हरियाणा और उत्तर प्रदेश के अब तक नाकाम रहने पर सवाल उठाते हुए उन्हें आसाराम के खिलाफ बलात्कार के मामलों में गवाहों को सुरक्षा देने को कहा। न्यायमूर्ति एके सीकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की सदस्यता वाली एक पीठ ने शुक्रवार को कहा, ‘‘आप गवाह सुरक्षा योजना क्यों नहीं लागू कर रहे हैं। आपराधिक मामलों में गवाहों को सुरक्षा दिए जाने की जरूरत है।’’

पीठ ने आसाराम की कथित संलिप्तता वाले बलात्कार (नाबालिग लड़कियों से) के मामले में चार अहम गवाहों की याचिका पर अपना जवाब देने के लिए राजस्थान, उत्तर प्रदेश और हरियाणा को आखिरी मौका दिया तथा उनसे चार हफ्तों में जवाब दाखिल करने को कहा। बलात्कार के इस मामले की सुनवाई जोधपुर में चल रही है। न्यायालय ने आसाराम के खिलाफ मामले में उत्तर प्रदेश और हरियाणा को वहां रह रहे गवाहों को सुरक्षा मुहैया करने को भी कहा। उप्र में ऐसे तीन गवाह हैं, जबकि हरियाणा में एक गवाह है।

आसाराम के खिलाफ मामले में चार गवाहों की ओर से पेश हुए अधिवक्ता उत्सव सिंह बैंस ने गवाहों पर हुए हमले और उनके लापता होने की घटनाओं और में एसआईटी जांच की मांग की। उन्होंने राष्ट्रीय गवाह सुरक्षा दिशानिर्देश शीघ्रता से बनाए जाने का अनुरोध किया। गौरतलब है कि पिछले साल 18 नवंबर को शीर्ष न्यायालय ने केंद्र और राज्यों को आसाराम के खिलाफ गवाहों की याचिका पर जवाब देने को कहा था। गवाहों ने अपनी सुरक्षा की भी मांग की थी। उनकी याचिका में कहा गया है कि एक बहुत ही खतरनाक परिदृश्य उभरा है जो हमारे संवैधानिक अधिकारों और स्वतंत्रता की आत्मा पर हमला करता है, जहां धनी और शक्तिशाली आरोपी खुल कर कानून के शासन की धज्जियां उड़ाते हैं तथा गवाहों की हत्या, उन पर हमले एवं धमकी देकर न्याय के प्रवाह को दूषित करते हैं। याचिका के जरिए न्यायालय से केंद्र और राज्यों को यह निर्देश देने की भी मांग की गई है कि जिन गवाहों पर हमले हुए हैं उनकी सुरक्षा केंद्रीय बलों द्वारा कराई जाए।

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