लोकसभा में बोले शाह, शहरी माओवाद के लिए काम करने वाले के प्रति नहीं है कोई संवेदना

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अभिनय आकाश । Jul 24 2019 3:14PM

शाह ने कहा कि व्यक्ति विशेष को आतंकवादी घोषित करने के प्रावधान पर विपक्ष का कहना है कि इसे करने की जरूरत ही क्या है तो हमें ध्यान रखना चाहिए कि मसूद अजहर को हाल ही में संयुक्त राष्ट्र ने आतंकी घोषित किया है। जब हम किसी संगठन को आतंकवादी संगठन घोषित करते हैं तो वे वो संगठन बंद करके दूसरा संगठन खोल लेते हैं।

लोकसभा में विधि-विरुद्ध क्रियाकलाप (निवारण) संशोधन बिल पर चर्चा में हिस्सा लेने वाले सदस्यों का आभार जताते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि बार-बार संगठन खड़ा करने वालों को आतंकी घोषित कर उनका क्रूर चेहरा पूरी दुनिया में दिखाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इस प्रावधान को लागू करने के दौरान काफी सावधानियां बरतीं गई हैं। उन्होंने कहा कि यासीन भटकल को आतंकी घोषित नहीं किया गया और कर दिया होता तो 12 बम धमाके बच जाते क्योंकि वो अलग नाम से काम करते रहे। पुलिस को कुर्की का अधिकार नहीं है और वह सिर्फ संपत्ति अटैच कर सकती है, कोर्ट के आदेश पर ही कुर्की संभव है। उन्होंने कहा इस कानून से संघीय ढांचे को किसी भी तरह से चोट नहीं पहुंचेगी, इंस्पेक्टर को जांच का अधिकार दिया है और उस जांच की बड़े अधिकारी निगरानी करेंगे, मकसद सिर्फ इतना है कि जल्द से जल्द जांच हो और दोषियों को सजा दिलाई जा सके। गृह मंत्री ने आतंकवाद को जड़ से उखाड़ने के लिए देश में कठोर से कठोर कानून की जरूरत की बात की। अमित शाह ने कहा कि हम विपक्ष में थे तब भी कहते थे कि आतंकवाद के खिलाफ कठोर कानून होना चाहिए। शहरी माओवाद (अर्बन माओइज्म) के लिए काम करने वालों के लिए हमारे मन में थोड़ी भी संवेदना नहीं।

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शाह ने कहा कि व्यक्ति विशेष को आतंकवादी घोषित करने के प्रावधान पर विपक्ष का कहना है कि इसे करने की जरूरत ही क्या है तो हमें ध्यान रखना चाहिए कि मसूद अजहर को हाल ही में संयुक्त राष्ट्र ने आतंकी घोषित किया है। जब हम किसी संगठन को आतंकवादी संगठन घोषित करते हैं तो वे वो संगठन बंद करके दूसरा संगठन खोल लेते हैं। सभी दलों ने एक सवाल उठाया कि व्यक्ति विशेष को आतंकवादी घोषित नहीं करना चाहिए, ऐसा करने के कानून ही नहीं बल्कि प्रक्रिया पर भी ध्यान दें। इससे पहले चर्चा में हिस्सा लेते हुए ओवैसी ने कहा कि मैं कांग्रेस पार्टी को इसके लिए दोषी मानता हूं। वो यह कानून लाने के लिए असल दोषी हैं। जब वे सत्ता में होते हैं तो बीजेपी से बड़े हो जाते हैं और जब सत्ता चली जाती है तो मुसलमानों के भाई बन जाते हैं।

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