साल 2020 में खूब चर्चा में रही यह हस्तियां, जानिए वजह

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अंकित सिंह । Dec 31 2020 12:52PM

देश के प्रधानमंत्री होने के नाते उनका चर्चा में रहना लाजमी है। साल के शुरुआत में जहां उन्होंने दिल्ली विधानसभा चुनाव में जमकर प्रचार किया तो उसके बाद कोरोनावायरस से निपटने के लिए कई साहसिक फैसले लिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फैसलों की चर्चा पूरे विश्व में रही।

साल 2020 अब अपने आखिरी पड़ाव पर है। यह साल चुनौतियों भरा रहा। कोरोना वायरस की महामारी ने पूरी दुनिया को अस्त-व्यस्त कर दिया। भारत में भी कोरोना का व्यापक असर पड़ा। कोरोना वायरस से प्रभावित इस साल में भी भारत में ऐसे कई चेहरे रहे जो पूरे साल चर्चा में रहे। आज हम आपको ऐसे ही कुछ चेहरों के बारे में बताएंगे- 

नरेंद्र मोदी- देश के प्रधानमंत्री होने के नाते उनका चर्चा में रहना लाजमी है। साल के शुरुआत में जहां उन्होंने दिल्ली विधानसभा चुनाव में जमकर प्रचार किया तो उसके बाद कोरोनावायरस से निपटने के लिए कई साहसिक फैसले लिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फैसलों की चर्चा पूरे विश्व में रही। कोरोना की वजह से सुस्त पड़े अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भर भारत पैकेज का भी ऐलान किया। समय-समय पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कोरोना वायरस को लेकर सक्रियता काबिले तारीफ रही। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना से प्रभावित इस साल में कई बड़े और महत्वपूर्ण योजनाओं की शुरुआत की जो आम जनता के लिए काफी फायदेमंद साबित हो रहे हैं।

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अमित शाह- अमित शाह देश के गृह मंत्री हैं। दिल्ली में दंगे के दौरान यह चर्चा में रहे। इनकी सूझबूझ से ही दिल्ली में दंगों पर काबू पाया जा सका। कोरोना महामारी के दौरान लॉकडाउन की स्थिति में गृह मंत्रालय की ओर से ही निर्देश जारी किए जा रहे थे। ऐसे में इनकी जिम्मेदारी ज्यादा बड़ी थी। अपने स्वास्थ्य को लेकर भी गृह मंत्री अमित शाह चर्चा में रहे। बिहार चुनाव से दूर रहने के कारण भी अमित शाह चर्चा में रहे। उधर ममता बनर्जी के गढ़ में जाकर लगातार पार्टी के लिए खूब प्रचार किया। 

डॉक्टर रणदीप गुलेरिया- एम्स के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया 2020 में चर्चा में रहे। दरअसल, कोरोना संक्रमण काल में रणदीप गुलेरिया ही लगातार मीडिया पर सरकार की ओर से लोगों को सावधान करते नजर आए। इसके अलावा समय-समय पर उन्होंने लोगों से सचेत रहने के लिए मास्क के इस्तेमाल और सैनिटाइजर के इस्तेमाल पर जोर देने को कहा। रणदीप गुलेरिया से लोगों को काफी उम्मीदें रही। कोरोना टीका को लेकर भी लोग रणदीप गुलेरिया के बातों पर जबरदस्त यकीन कर रहे हैं। वह रणदीप गुलेरिया ही थे जिन्होंने इस बात की आशंका पहले ही जता दी थी कि भारत में जुलाई-अगस्त के दौरान कोरोनावायरस अपने चरम पर रहेगा। कोरोना प्रभावित राज्यों का भी रणदीप गुलेरिया ने लगातार दौरा किया।

कंगना रनौत- कंगना रनौत पूरे साल चर्चा में रही। सुशांत सिंह राजपूत के मौत के बाद कंगना रनौत ने फिल्म जगत के कई लोगों पर सवाल खड़े किए थे। इसके साथ महाराष्ट्र सरकार पर भी जमकर निशाना साधा था। कंगना रनौत को इस साल महाराष्ट्र सरकार से सीधे चुनौती लेते हुए देखा गया। वह उस समय भी चर्चा में आई जब बीएमसी ने उनके कार्यालय के आसपास के निर्माण को जमींदोज कर दिया। कंगना रनौत महाराष्ट्र सरकार से लगातार टक्कर लेती दिखीं। उन्हें इस साल सुरक्षा भी सरकार की ओर से मुहैया कराया गया।

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नीतीश कुमार- बिहार में इस साल हुए विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार एक बार फिर से एनडीए का चेहरा रहे और चुनाव जीतने के बाद वह सातवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री बने। हालांकि, नीतीश साल की शुरुआत से ही इस बात को लेकर चर्चा में थे कि क्या वह इस बार एनडीए के प्रत्याशी होंगे या नहीं होंगे? साल खत्म होने के दौरान भी इस बात को लेकर चर्चा है कि आखिर नीतीश कब तक बिहार के मुख्यमंत्री बने रहेंगे? चुनाव प्रचार में भी इस बार शांत में रहने वाले नीतीश कुमार आक्रमक दिखे। वहीं, बिहार में विपक्षी नेता सबसे ज्यादा नीतीश कुमार पर ही चुनाव प्रचार के दौरान आक्रमक रहे।

अर्णब गोस्वामी- पेशे से पत्रकार अर्णब गोस्वामी रिपब्लिक टीवी नेटवर्क के सर्वेसर्वा हैं। सुशांत सिंह राजपूत मामले को लेकर महाराष्ट्र सरकार पर सीधे सवाल उठाने वाले अर्णब उस समय चर्चा में आ गए जब उनकी गिरफ्तारी अचानक कर ली जाती है। अर्णब ने महाराष्ट्र सरकार के साथ-साथ सोनिया गांधी और कांग्रेस को भी लगातार चुनौती दी। पत्रकारिता के जरिए उन्होंने पालघर मामला को लेकर महाराष्ट्र सरकार और शिवसेना पर निशाना साधा तो वही हाथरस मामले में कांग्रेस की रवैया की खूब आलोचना की। अर्णब इस साल प्रखर राष्ट्रवादी पत्रकार के तौर पर छवि बनाने में कामयाब रहे हैं।

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सोनू सूद- फिल्म अभिनेता सोनू सूद भी इस साल खूब चर्चा में रहे। चर्चा की वजह यह थी कि लॉकडाउन के दौरान दूसरे राज्यों में फंसे प्रवासियों की मदद के लिए वह सामने आए। उन प्रवासियों को उन्होंने उनके गृह राज्य भेजने में मदद की। इतना ही नहीं, अगर सोशल मीडिया के जरिए उनसे कोई मदद की गुहार लगाता था तो उसकी भी वह खुलकर मदद करते थे। यही कारण है कि सोनू सूद इस साल पूरे वर्ष चर्चा में रहे और हर तरफ उनकी वाहवाही हो रही है।

ममता बनर्जी- ममता बनर्जी इस साल खूब चर्चा में रहीं। कुल मिलाकर अगर यह कहा जाए कि ममता विपक्ष के मजबूत चेहरे के तौर पर खुद को उभारने में इस साल कामयाब रही तो इसमें कोई दो राय नहीं होगी। ममता हमेशा की तरह इस साल भी केंद्र सरकार से लगातार चुनौती लेती रही। केंद्र की कई योजनाओं की खुले मंच पर आलोचना करते रही। साथ ही साथ, भाजपा पर भी बरसते रही।

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