लोकसभा में तीन तलाक बिल पास, कांग्रेस ने किया वॉकआउट

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[email protected] । Dec 27 2018 8:50PM

मुस्लिम समाज में एक बार में तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) को रोकने के मकसद से लोकसभा में लाए गए मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक-2018 को आज शीतकालीन सत्र के 10वें दिन पास कर दिया गया। कांग्रेस सहित विपक्ष की अन्य पार्टियों ने वॉकआउट कर दिया।

 मुस्लिम समाज में एक बार में तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) को रोकने के मकसद से लोकसभा में लाए गए मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक-2018 को आज शीतकालीन सत्र के 10वें दिन पास कर दिया गया। कांग्रेस सहित विपक्ष की अन्य पार्टियों ने वॉकआउट कर दिया। 

मुस्लिम समाज में एक बार में तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) पर रोक लगाने के उद्देश्य से लाये गए ‘मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक’ को लोकसभा की मंजूरी मिल गई। विधेयक में सजा के प्रावधान का कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों ने कड़ा विरोध किया और इसे संयुक्त प्रवर समिति में भेजने की मांग की। हालांकि सरकार ने स्पष्ट कि यह विधेयक किसी को निशाना बनाने के लिए नहीं बल्कि मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने के लाया गया है।सदन ने एन के प्रेमचंद्रन के सांविधिक संकल्प एवं कुछ सदस्यों के संशोधनों को नामंजूर करते हुए महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक 2018 को मंजूरी दे दी। विधेयक पर मत विभाजन के दौरान इसके पक्ष में 245 वोट और विपक्ष में 11 मत पड़े।

यह भी पढ़ें: तीन तलाक बिल: कांग्रेस ने की प्रवर समिति को भेजने की मांग, BJP ने बताया ऐतिहासिक

कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद के विधेयक पर चर्चा के जवाब के बाद कांग्रेस, सपा, राजद, राकांपा, तृणमूल कांग्रेस, तेदेपा, अन्नाद्रमुक, टीआरएस, एआईयूडीएफ ने सदन से वाकआउट किया। प्रेमचंद्रन के सांविधिक संकल्प में 19 दिसंबर 2018 को प्रख्यापित मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण अध्यादेश 2018 का निरनुमोदन करने की बात कही गई है। विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि इसे राजनीति के तराजू पर तौलने की बजाय इंसाफ के तराजू पर तौलते की जरूरत है। उनकी सरकार के लिये महिलाओं का सशक्तिकरण वोट बैंक का विषय नहीं है। उन्होंने कहा कि हम मानते हैं कि महिलाओं का सम्मान होना चाहिए। प्रसाद ने विधेयक को संयुक्त प्रवर समिति को भेजने की विपक्ष मांग को खारिज किया। उन्होंने कहा कि इसे प्रवर समिति को भेजे जाने की मांग के पीछे एक ही कारण है कि इसे आपराधिक क्यों बनाया गया।

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