TMC का मिशन नॉर्थ-ईस्ट, कांग्रेस का विकल्प बनने की हो रही तैयारी

TMC
अंकित सिंह । Oct 4 2021 7:21PM

नार्थ-ईस्ट में कांग्रेस के भीतर मची भागदौड़ के बीच तृणमूल कांग्रेस वहां अपनी पकड़ को मजबूत करने की कोशिश में है। कांग्रेस के लिए नॉर्थ-ईस्ट फिलहाल मुश्किलों भरा है क्योंकि कई बड़े नेता पार्टी छोड़ चुके हैं तो कई आप भी कतार में शामिल है।

पश्चिम बंगाल में जब से तृणमूल कांग्रेस की जीत हुई है, पार्टी में जबरदस्त उत्साह देखने को मिल रहा है। यही कारण है कि पार्टी अब अपने विस्तार पर लगातार काम कर रही है। तृणमूल कांग्रेस लगातार ममता बनर्जी को अब राष्ट्रीय नेता के तौर पर पेश कर रही है। इसके साथ ही पार्टी विभिन्न राज्यों में अपने में विस्तार पर काम कर रही है। इसकी शुरुआत नॉर्थ-ईस्ट से हो रही है। नार्थ-ईस्ट में कांग्रेस के भीतर मची भागदौड़ के बीच तृणमूल कांग्रेस वहां अपनी पकड़ को मजबूत करने की कोशिश में है। कांग्रेस के लिए नॉर्थ-ईस्ट फिलहाल मुश्किलों भरा है क्योंकि कई बड़े नेता पार्टी छोड़ चुके हैं तो कई आप भी कतार में शामिल है। 

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तृणमूल बन रहा विकल्प

सबसे खास बात तो यह है कि नॉर्थ ईस्ट में कांग्रेस छोड़ने वाले नेताओं की सबसे पसंदीदा दल तृणमूल कांग्रेस बन रही है। तृणमूल अन्य दलों से आने वाले नेताओं का जबरदस्त तरीके से स्वागत कर रही है। तृणमूल कांग्रेस को उस समय बड़ा चेहरा मिल गया जब कांग्रेस छोड़ सुष्मिता देव पार्टी में शामिल होक गईं। सुष्मिता देव को तृणमूल कांग्रेस से इनाम भी दिया गया और उन्हें राज्यसभा भेज दिया गया। इस बात से साफ तौर पर यह समझ में आने लगा है कि नॉर्थ-ईस्ट को लेकर तृणमूल कांग्रेस अब सक्रिय हो गई है। 

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माना जा रहा है कि मेघालय के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मुकुल संगमा भी टीएमसी में जा सकते हैं। पार्टी से वह काफी पहले से खफा से हैं। उन्हें मनाने की लगातार कोशिश हो रही है। चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर अगुवाई वाली कंपनी आईपैक त्रिपुरा और नॉर्थ ईस्ट के अन्य राज्यों में लगातार काम कर रही है। माना जा रहा है कि आईपैक इन राज्यों में तृणमूल कांग्रेस की नींव तैयार करने की कोशिश में है। त्रिपुरा में तो तृणमूल 2023 के चुनाव में मजबूती के साथ उचरने की तैयारी कर रही है। 

नार्थ-ईस्ट में टीएमसी के उदय की वजह

2014 के बाद नॉर्थ-ईस्ट में भाजपा एकतरफा मजबूती हासिल करती गई। हालांकि तब भी वहां के छोटे-छोटे दलों की मौजूदगी रही। यही कारण है कि भाजपा नॉर्थ-ईस्ट में लगभग सभी राज्यों में छोटे दलों के साथ मिलकर सत्ता में है। त्रिपुरा, असम और अरुणाचल प्रदेश में तो पार्टी बेहद ही मजबूत स्थिति में है। तो मणिपुर में उसके खुद के सीएम हैं। इन सबके बीच नॉर्थ ईस्ट में सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस को हुआ है। इसके साथ ही कांग्रेस के कई नेता पार्टी छोड़ कर जा चुके हैं और वहां फिलहाल पार्टी का कोई बड़ा चेहरा दिखाई नहीं दे रहा है। यही कारण है कि अब तृणमूल कांग्रेस वहां अपना भविष्य देख रही है। तृणमूल कांग्रेस नॉर्थ ईस्ट में खुद को विकल्प के तौर पर पेश कर रही है जिसकी शुरुआत 2023 के त्रिपुरा विधानसभा चुनाव से हो सकती है।  

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