Tripureswari Temple से Arunachal Pradesh की बिजली परियोजनाओं तक, पूर्वोत्तर को मोदी के दौरे से मिली नई ऊर्जा

Modi Tripura Arunachal Visit
ANI

अरुणाचल प्रदेश की राजधानी ईटानगर में प्रधानमंत्री ने 5,100 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं की नींव रखी। इसमें तातो-1 और हीओ जैसी बड़ी पनबिजली परियोजनाएं शामिल हैं, जिनसे अरुणाचल प्रदेश भारत का बिजली उत्पादन केंद्र बनने की ओर बढ़ेगा।

पूर्वोत्तर भारत लंबे समय तक देश की राजनीतिक और विकासात्मक मुख्यधारा से दूरी का अनुभव करता रहा है। लेकिन हाल के वर्षों में इस क्षेत्र की पहचान बदल रही है और इस बदलाव की धुरी है प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की विशेष रणनीति। उनकी त्रिपुरा और अरुणाचल प्रदेश की आज की यात्राएं केवल कार्यक्रम भर नहीं थीं, बल्कि पूर्वोत्तर की नई दिशा और दशा का संदेश थीं। हम आपको बता दें कि त्रिपुरा के गोमती ज़िले में प्रधानमंत्री ने 500 वर्ष पुराने त्रिपुरेश्वरी मंदिर में पूजा-अर्चना की। गर्मी के बीच, प्रधानमंत्री की एक झलक पाने के लिए हजारों लोग मंदिर के बाहर जमा हुए थे। पांच सौ वर्ष से भी अधिक पुराना यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है। इस मंदिर का केंद्र सरकार की ‘प्रसाद’ या पीआरएएसएडी (तीर्थयात्रा कायाकल्प और आध्यात्मिक संवर्द्धन अभियान) योजना के तहत 52 करोड़ रुपये की लागत से जीर्णोद्धार किया गया है। हम आपको बता दें कि इस मंदिर का निर्माण महाराजा धन्य माणिक्य ने 1501 में करवाया था। केंद्र सरकार की योजना के तहत 52 करोड़ रुपये की लागत से हुए जीर्णोद्धार ने इस शक्ति पीठ को नई ऊर्जा दी है। यह केवल एक धार्मिक स्थल का नवीनीकरण नहीं है, बल्कि सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा देने और स्थानीय रोज़गार सृजन का ठोस प्रयास है। यह कदम बताता है कि मोदी सरकार विकास की धारा में स्थानीय आस्था और परंपरा को बराबर का स्थान देना चाहती है।

वहीं अरुणाचल प्रदेश की राजधानी ईटानगर में प्रधानमंत्री ने 5,100 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं की नींव रखी। इसमें तातो-1 और हीओ जैसी बड़ी पनबिजली परियोजनाएं शामिल हैं, जिनसे अरुणाचल प्रदेश भारत का बिजली उत्पादन केंद्र बनने की ओर बढ़ेगा। तवांग में बनने वाला सम्मेलन केंद्र पर्यटन और सांस्कृतिक गतिविधियों को गति देगा। इसके अलावा कैंसर संस्थान, नई सड़कें, महिला छात्रावास और अग्निशमन केंद्र जैसी परियोजनाएं सीधे जनता के जीवन स्तर को छूती हैं। मोदी ने कहा कि यह सब “डबल इंजन सरकार के डबल बेनिफिट” का उदाहरण है।

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हम आपको बता दें कि केंद्र और राज्य सरकारों के सहयोग से आज पूर्वोत्तर में सड़क से लेकर स्वास्थ्य तक, ऊर्जा से लेकर शिक्षा तक, हर क्षेत्र में काम की गति तेज हुई है। परिणामस्वरूप यह इलाका अब पिछड़ेपन के बजाय अवसरों की नई प्रयोगशाला बनता जा रहा है। देखा जाये तो त्रिपुरा और अरुणाचल की ये यात्राएं यह स्पष्ट करती हैं कि पूर्वोत्तर अब सिर्फ़ सीमावर्ती भूगोल नहीं है, बल्कि भारत की आर्थिक और सांस्कृतिक प्रगति का नया इंजन है। धार्मिक धरोहर की रक्षा और आधुनिक अवसंरचना का निर्माण, दोनों को समान महत्व देकर मोदी सरकार इस क्षेत्र को “भारत के उदयमान पूर्व” के रूप में गढ़ रही है। बहरहाल, यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि पूर्वोत्तर में अब एक नए युग का सूत्रपात हो चुका है— जहाँ परंपरा भी सुरक्षित है और विकास भी सुनिश्चित।

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