3 दिनों में दो इस्तीफें, आखिर अचानक क्यों सुर्खियों में आई अशोका यूनिवर्सिटी?

Ashok University
अभिनय आकाश । Mar 19 2021 7:15PM

बीते दो-तीन दिनों के भीतर यूनिवर्सिटी के दो प्रोफेसरों ने इस्तीफा दे दिया। इसके साथ ही यूनिवर्सिटी पर एकेडमिक आजादी न देने का संगीन आरोप भी लगाया है। 16 मार्च को विश्वविद्यालय के पूर्व वीसी रहे राजनीति विशेषज्ञ प्रताप भानु मेहता ने इस्तीफा दिया और इसके बाद अरविंद सुब्रमणयम ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया।

2014 में बनी हरियाणा के सोनीपत की अशोका यूनिवर्सिटी लिबरल आर्टस और तमाम साइंस कोर्सेज के लिए काफी मशहूर है। भारत के तमाम राज्यों के करीब दो हजार से ज्यादा छात्र यहां पढ़ते हैं। लेकिन पॉलिटिकल  साइंस और लिब्रल आर्टस् के लिए भारतीय शिक्षा जगत में अलग पहचान बनाने वाली अशोका यूनिवर्सिटी इन दिनों विवादों में घिरी है। बीते दो-तीन दिनों के भीतर यूनिवर्सिटी के दो प्रोफेसरों ने इस्तीफा दे दिया। इसके साथ ही यूनिवर्सिटी पर एकेडमिक आजादी न देने का संगीन आरोप भी लगाया है। 16 मार्च को विश्वविद्यालय के पूर्व वीसी रहे राजनीति विशेषज्ञ प्रताप भानु मेहता ने इस्तीफा दिया और इसके बाद अरविंद सुब्रमणयम ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया। 

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भानुप्रताप मेहता सरकार के प्रति सख्त रूख और लेखन के लिए जाने जाते हैं। इस्तीफा देने के बाद मेहता ने इमोशनल नोट भी लिखा। उन्होंने बयान जारी करते हुए कहा कि मैं अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर के पद से इस्तीफा दे रहा हूं। क्योंकि फाउंडर्स से मिलने के बाद ये साफ हो गया है कि यूनिवर्सिटी से मेरा संबंध पॉलिटिकल लॉयबिलिटी समझा जा रहा है। मेरा सार्वजनिक लेखन उन चीजों के समर्थन में है जो आजादी और सभी नागरिकों के लिए बराबर सम्मान के संवैधानिक मूल्यों का सम्मान करती है। उसे ही यूनिवर्सिटी के लिए खतरा समझा जाने लगा है। यूनिवर्सिटी के हित में मैं इस्तीफा देता हूं। 

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अरविंद सुब्रमण्यम के आरोप

जाने माने अर्थशास्त्री अरविंद सुब्रमण्यम ने सोनीपत (हरियाणा) में अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर के पद से इस्तीफा दे दिया है। राजनीतिक टिप्पणीकार प्रताप भानु मेहता के इस संस्थान से निकलने के दो दिन बाद ही उन्होंने यह कदम उठाया है। विश्वविद्यालय के शिक्षकों और विद्यार्थियों ने इस मुद्दे पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की और इस्तीफे का विरोध किया है। सुब्रमण्यम ने कहा कि प्राइवेट यूनिवर्सिटी होने के बावजूद अशोका यूनिवर्सिटी में एकेडमिक फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन नहीं है। 

छात्रों ने जताया विरोध 

यूनिवर्सिटी के छात्र-छात्राओं ने इस मसले के विरोध में कैंपस में विरोध जताया। उनकी मांग थी कि संस्थापक मेहता की वापसी की कोशिश करें। इंडियन एक्प्रेस की खबर के अनुसार मामले से जुड़े लोगों का कहना है कि दो और फैकल्टी मेंबर यूनिवर्सिटी छोड़ने की राह पर है।  

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