युद्ध का एक महीना पूरा, यूक्रेन तो तबाह हुआ ही लेकिन रूस को भी बर्बाद करके छोड़ा है

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वहीं यूक्रेन के ताजा हालात की बात करें तो युद्ध के एक महीने पूरे होने पर देश के विभिन्न इलाकों में अनगिनत लाशें बिछी हैं लेकिन कीव पर विजय के रूसी मंसूबे पूरे नहीं हो सके हैं। चौबीस फरवरी को रूस ने यूक्रेन पर हमला शुरू किया था।

नमस्कार न्यूजरूम में आप सभी का स्वागत है। यूक्रेन पर रूसी हमले को एक महीना पूरा हो चुका है लेकिन यूक्रेनी सैनिकों का हौसला कम नहीं हुआ है। वह भले ही संख्या बल में कम हों लेकिन रूसी सैनिकों के सामने पूरी मुस्तैदी से डटे हुए हैं। इस बीच नाटो ने अनुमान जताया है कि एक महीने के युद्ध के दौरान 7000 से 15000 के बीच रूसी सैनिक मारे गये हैं। वहीं संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में वह रूसी प्रस्ताव पारित नहीं हो सका है जिसमें यूक्रेन की बढ़ती मानवीय जरूरतों को तो स्वीकार किया गया था, लेकिन रूसी आक्रमण का कोई उल्लेख नहीं था। इस प्रस्ताव का पारित नहीं हो पाना रूस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। उल्लेखनीय है कि रूस के इस प्रस्ताव पर मतदान के दौरान भारत अनुपस्थित रहा। इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति जो. बाइडन यूरोप की चार दिवसीय यात्रा पर पहुँचे हैं जहां वह नाटो शिखर सम्मेलन में भाग ले रहे हैं। हम आपको बता दें कि बाइडन को आशंका है कि रूस यूक्रेन में रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल कर सकता है।

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रूस को यूएन में झटका

बहरहाल, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में रूसी प्रस्ताव के पास नहीं हो पाने की विस्तार से चर्चा करें तो आपको बताना चाहेंगे कि रूस को प्रस्ताव पारित कराने के लिए 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद में न्यूनतम नौ वोट की आवश्यकता थी, साथ ही जरूरी था कि चार अन्य स्थायी सदस्यों- अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और चीन में से कोई भी ‘वीटो’ का इस्तेमाल ना करे। लेकिन रूस को केवल अपने सहयोगी चीन का समर्थन मिला, जबकि भारत सहित 13 अन्य परिषद सदस्यों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया। इसे रूस की एक बड़ी विफलता के रूप में देखा जा रहा है। इस बीच, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने यूक्रेन और दो दर्जन अन्य देशों द्वारा तैयार किए गए एक प्रस्ताव पर विचार करना शुरू किया है। करीब 100 देशों द्वारा सह-प्रायोजित किए गए प्रस्ताव में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि बढ़ती मानवीय आपात स्थिति के लिए रूस की आक्रामकता जिम्मेदार है।

यूक्रेन के हालात

वहीं यूक्रेन के ताजा हालात की बात करें तो युद्ध के एक महीने पूरे होने पर देश के विभिन्न इलाकों में अनगिनत लाशें बिछी हैं लेकिन कीव पर विजय के रूसी मंसूबे पूरे नहीं हो सके हैं। चौबीस फरवरी को रूस ने जब यूक्रेन पर हमला शुरू किया था तब इसे यूरोप में द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद से सबसे बड़ा हमला बताया जा रहा था और पश्चिमी देशों के हस्तक्षेप की स्थिति में परमाणु हमले की आशंका से भी इनकार नहीं किया जा सकता था। ऐसा लगता था कि रूसी हमले के सामने यूक्रेन जल्द ही घुटने टेक देगा, लेकिन बुधवार को इस युद्ध को चार सप्ताह पूरे हो गये, रूस हर दिन उलझता ही नजर आ रहा है। भारी संख्या में रूसी सैनिक भी मारे गये हैं तथा युद्ध के समाप्त होने के दूर-दूर तक आसार नजर नहीं आ रहे हैं।

रूस का बुरा हाल

रूस को एक ओर जहां खर्चीले सैन्य अभियान का संचालन करना पड़ रहा है वहीं पश्चिमी देशों ने इस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाकर उसकी कमर तोड़ दी है। इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और उनके सहयोगी देशों के प्रतिनिधियों की इस सप्ताह ब्रसेल्स और वारसॉ में बैठक है और संभव है कि वारसॉ की बैठक में ये देश रूस पर और अधिक प्रतिबंध लगायें तथा यूक्रेन को सैन्य सहायता देने पर विचार करें। यूक्रेन की राजधानी कीव पर रूस लगातार निशाना लगा रहा है, लेकिन वह आज तक कीव को चारों ओर से घेर तक नहीं पाया है। कीव प्रशासन ने खबर दी है कि बुधवार को भी राजधानी गोलियों की तड़तड़ाहट और धमाकों से थर्राता रही। उधर बंदरगाहों के शहर मारियुपोल में तबाही का मंजर है। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने कहा है कि नभ, जल और थल तीनों ओर से रूसी प्रहार के कारण मारियुपोल तबाह हो चुका है और एक लाख नागरिक फंसे हुए हैं। उन्होंने कहा कि मारियुपोल में फंसे लोगों को मानवीय सहायता स्थापित करने के लिए कॉरिडोर बनाने का प्रयास भी नाकाम रहा है, क्योंकि रूसी सैनिक इस कोशिश को नाकाम कर रहे हैं।

बड़ी संख्या में मारे गये रूसी सैनिक

इस बीच उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) का अनुमान है कि यूक्रेन में एक महीने के युद्ध के दौरान 7,000 से 15,000 रूसी सैनिक मारे गये हैं। नाटो सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि रूसी सैनिकों के मारे जाने संबंधी अनुमान यूक्रेनी अधिकारियों से प्राप्त सूचना और स्वतंत्र सूत्रों से एकत्रित खुफिया जानकारी पर आधारित है। हालांकि, रूस ने हताहत हुए अपने सैनिकों की संख्या नहीं बताई है।

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जेलेंस्की की गुहार

उधर आज हो रहे नाटो शिखर सम्मेलन से पहले यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने यूक्रेन को रूसी हमले का मुकाबला करने के लिए जरूरी हथियार उपलब्ध कराने सहित ‘‘प्रभावी और अप्रतिबंधित’’ समर्थन प्रदान करने का नाटो से आह्वान किया है। जेलेंस्की ने बुधवार रात राष्ट्र के नाम अपने वीडियो संबोधन में कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि नाटो गठबंधन घोषणा करे कि वह इस युद्ध को जीतने के लिए यूक्रेन की पूरी सहायता करेगा, आक्रमणकारियों का हमारे क्षेत्र से सफाया करेगा और यूक्रेन में शांति बहाल करेगा।’’ राष्ट्रपति कार्यालय ने बताया कि जेलेंस्की नाटो शिखर सम्मेलन में वीडियो के जरिये अपनी बात रखेंगे। जेलेंस्की ने कहा कि हम एक महीने से खुद को तबाह होने से बचाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ''हम दुश्मन के अनुमान से छह गुना अधिक समय तक टिके रहे हैं, लेकिन रूसी सैनिक हमारे शहरों को नष्ट कर रहे हैं, अंधाधुंध नागरिकों को मार रहे हैं, महिलाओं के साथ बलात्कार कर रहे हैं, बच्चों का अपहरण कर रहे हैं, शरणार्थियों को गोली मार रहे हैं, सहायता केन्द्रों पर कब्जा कर रहे हैं और लूटपाट कर रहे हैं।’’ जेलेंस्की ने रूस के लोगों से भी अपील की कि वह रूस छोड़ दें, ताकि उनके दिए हुए कर के पैसे का इस्तेमाल युद्ध के लिए न किया जाए।

बहरहाल, अब देखना होगा कि नाटो शिखर सम्मेलन में क्या फैसला होता है। क्या नाटो यूक्रेन की मदद करता है और क्या नाटो के इस युद्ध में कूदने से दुनिया तीसरे विश्व युद्ध की ओर जायेगी?

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