आतंक पर बड़ी चोट, उल्फा के डेप्युटी कमांडर दृष्टि राजखोवा ने किया सरेंडर

ULFA Deputy Commander
अंकित सिंह । Nov 12 2020 11:26AM

राजखोवा अभी सैन्य खुफिया अधिकारियों की हिरासत में है और उसे असम लाया जा रहा है। राजखोआ को यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (इंडिपेंडेंट) के ‘कमांडर इन चीफ’ परेश बरूआ का करीबी वफादार माना जाता है।

मेघालय-असम- बांग्लादेश बॉर्डर पर भारतीय सेना की खुफिया एजेंसियों द्वारा चलाए गए एक तेज और सुनियोजित ऑपरेशन में खूंखार कट्टर उल्फा (आई) नेता, एसएस कर्नल द्रष्टी राजखोवा ने चार साथियों एसएस कॉर्पोरल वेदांत, यासीन असोम, रोपज्योति असोम और मिथुन असोम के साथ आत्मसमर्पण कर दिया। इनके पास से भारी मात्रा में हथियार भी बरामद हुए हैं। यह ऑपरेशन पुष्ट इनपुट्स पर आधारित था। जो पिछले नौ महीनों में अथक खोज का परिणाम था। इनकी तलाश पिछले नौ महीने से की जा रही थी।

बताया जा रहा है कि राजखोवा अभी सैन्य खुफिया अधिकारियों की हिरासत में है और उसे असम लाया जा रहा है। राजखोआ को यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (इंडिपेंडेंट) के ‘कमांडर इन चीफ’ परेश बरूआ का करीबी वफादार माना जाता है। राजखोवा हाल तक बांग्लादेश में रह रहा था और कुछ हफ्ते पहले मेघालय आया था। एक सुरक्षा विशेषज्ञ ने कहा कि राजखोआ के समर्पण से उग्रवादी संगठन को बड़ा झटका लगा है। उल्फा (आई) संप्रभु और स्वतंत्र असम की मांग करता रहा है। सरकार ने 1990 में संगठन पर प्रतिबंध लगा दिया था।

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