Delhi Riots 2020: UAPA केस में जमानत न मिलने पर उमर खालिद पहुंचे सुप्रीम कोर्ट, HC के हालिया आदेश को दी चुनौती

Umar Khalid
ANI
अभिनय आकाश । Sep 10 2025 4:48PM

उच्च न्यायालय ने खालिद और कार्यकर्ता शरजील इमाम सहित नौ आरोपियों की ज़मानत याचिकाएँ यह कहते हुए खारिज कर दी थीं कि प्रदर्शनों या विरोध प्रदर्शनों की आड़ में हिंसा की अनुमति नहीं दी जा सकती। जिन आरोपियों की ज़मानत याचिका खारिज की गई, उनमें मोहम्मद सलीम खान, शिफ़ा उर रहमान, अतहर खान, मीरान हैदर, अब्दुल खालिद सैफी, गुलफिशा फातिमा और शादाब अहमद शामिल हैं।

कार्यकर्ता उमर खालिद ने दिल्ली उच्च न्यायालय के हालिया आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, जिसमें उन्हें राष्ट्रीय राजधानी में फरवरी 2020 के सांप्रदायिक दंगों के पीछे कथित साजिश से जुड़े गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) मामले में जमानत देने से इनकार कर दिया गया था। 2 सितंबर को, उच्च न्यायालय ने खालिद और कार्यकर्ता शरजील इमाम सहित नौ आरोपियों की ज़मानत याचिकाएँ यह कहते हुए खारिज कर दी थीं कि प्रदर्शनों या विरोध प्रदर्शनों की आड़ में हिंसा की अनुमति नहीं दी जा सकती। जिन आरोपियों की ज़मानत याचिका खारिज की गई, उनमें मोहम्मद सलीम खान, शिफ़ा उर रहमान, अतहर खान, मीरान हैदर, अब्दुल खालिद सैफी, गुलफिशा फातिमा और शादाब अहमद शामिल हैं। 

इसे भी पढ़ें: दिल्ली : सेवादार की हत्या के बाद कालकाजी मंदिर में सुरक्षा बढ़ाई

उच्च न्यायालय की एक अलग पीठ ने उसी दिन एक अन्य सह-आरोपी तस्लीम अहमद की ज़मानत याचिका भी खारिज कर दी। पिछले सप्ताह इमाम और फातिमा ने उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। अपने फैसले में दिल्ली उच्च न्यायालय ने रेखांकित किया कि संविधान अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत विरोध करने के अधिकार की रक्षा करता है, लेकिन यह अधिकार पूर्ण नहीं है और इसे उचित प्रतिबंधों के भीतर रहना चाहिए। न्यायमूर्ति नवीन चावला और न्यायमूर्ति शलिंदर कौर की पीठ ने कहा कि अगर विरोध करने के अप्रतिबंधित अधिकार के प्रयोग की अनुमति दी गई तो इससे संवैधानिक ढांचे को नुकसान पहुंचेगा और देश में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर असर पड़ेगा। 

इसे भी पढ़ें: दिल्ली सरकार इहबास को प्राथमिकता के आधार पर पुनर्जीवित करेगी : मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता

आरोपियों को 2020 के दिल्ली दंगों के कथित "मास्टरमाइंड" होने के आरोप में यूएपीए और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के प्रावधानों के तहत गिरफ्तार किया गया था। इन दंगों में 53 लोग मारे गए थे और 700 से ज़्यादा घायल हुए थे। यह हिंसा नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और प्रस्तावित राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के विरोध में हुए प्रदर्शनों के दौरान भड़की थी।

All the updates here:

अन्य न्यूज़