NPR-NRC के खिलाफ प्रस्ताव से बिहार में बवाल, महागठबंधन खुश तो भाजपा ने जताई नाराजगी

पटना। बिहार विधानसभा में एनपीआर-एनआरसी के खिलाफ प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित होने पर विपक्षी महागठबंधन के घटक दलों ने खुशी जताई वहीं सत्तारूढ़ जदयू की सहयोगी भाजपा में नेताओं की मिलीजुली प्रतिक्रिया आई। विपक्षी महागठबंधन में शामिल हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा सेक्युलर के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने के लिए मुख्यमंत्री को धन्यवाद दिया। बिहार विधानसभा परिसर में बुधवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए मांझी ने कहा कि मुख्यमंत्री का रुख ठीक है। उन्होंने सोच समझकर यह कदम उठाया है। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार जब भी महागठबंधन में आएं तो उनका स्वागत है। वर्तमान समय में मुख्यमंत्री पद के लिए नीतीश कुमार से बढ़िया चेहरा कोई नहीं है। मांझी ने कहा कि वह नीतीश से पूर्व में भी राजग छोड महागठबंधन में आने का आग्रह कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह भी पहले ऐसा बोल चुके हैं।
बिहार में NRC/NPR लागू नहीं करने की हमारी माँग पर आज विधानसभा में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास कराया गया।
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) February 25, 2020
NRC/NPR पर एक इंच भी नहीं हिलने वाली BJP को आज हमने 1000 किलोमीटर हिला दिया।BJP वाले माथा पकड़े टुकुर-टुकुर देखते रह गए। संविधान मानने वाले हम लोग CAA भी लागू नहीं होने देंगे
मांझी जो कि महागठबंधन में समन्वय समिति के गठन की लगातार मांग करते रहे हैं, ने कहा कि समिति तय करेगी कि अगला मुख्यमंत्री कौन होगा।विपक्षी महागठबंधन में शामिल कांग्रेस के विधायक अवधेश सिंह ने मांझी की भावनाओं से सहमति जताते हुए कहा, हम जानते हैं कि नीतीश कुमार एक धर्मनिरपेक्ष नेता हैं, जिनकी समाजवादी आंदोलन में जड़ें हैं। अगर वह राजग छोड़ कर वापस आते हैं तो हमें खुशी होगी। बिहार विधान परिषद में कांग्रेस सदस्य प्रेम चंद्र मिश्रा ने कहा, नीतीश कुमार को यह बताना चाहिए कि एनपीआर और एनआरसी के विरोध में रहते हुए वह सीएए के समर्थन में कैसे आ सकते हैं।’’ उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने ट्विटर पर विपक्ष को आड़े हाथ लेते हुए लिखा है कि विधानसभा में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित होने के बाद राजग सरकार की मंशा पर सवाल उठाकर एक समुदाय विशेष को नागरिकता छिन जाने का काल्पनिक भय दिखाने वाले चेहरे बेनकाव हो गये हैं। बिहार में सत्ता में शामिल भाजपा के कुछ नेता इस प्रस्ताव के पारित होने पर जहां इस बात पर जोर दे रहे हैं कि इसके जरिए विपक्ष की हवा निकल गयी वहीं पार्टी के भीतर एक धारा अभी भी इसको लेकर पशोपेश में है।बिहार विधानसभा स्थित नीतीश के कक्ष में प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी की उनसे मुलाकात को लेकर भी चर्चाओं का बाजार गर्म है।
बिहार में पुराने प्रारूप पर जनगणना कराने और एनआरसी लागू करने की कोई जरूरत महसूस न करने का राज्य सरकार का रुख हमेशा साफ रहा। विधानसभा में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित होने के बाद एनडीए सरकार की मंशा पर सवाल उठा कर एक समुदाय विशेष को नागरिकता छिन जाने का काल्पनिक भय दिखाने........ pic.twitter.com/9TTPTl3FCz
— Sushil Kumar Modi (@SushilModi) February 26, 2020
उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने विपक्ष के कार्यस्थगन प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान कहा था कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा यह स्पष्ट करने के बाद कि बिहार में एनपीआर, 2010 के राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के आधार पर किया जाएगा, इस संबंध में कोई भ्रम नहीं होना चाहिए। सुशील ने कहा कि केंद्र ने बार बार स्पष्ट किया है एनपीआर में कोई दस्तावेज नहीं मांगा जाएगा और कोई दस्तावेज दिखाने की आवश्यक्ता नहीं है तथा एनपीआर का संबंध एनआरसी के साथ नहीं है।उन्होंने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह एलान कर दिया है कि एनआरसी का फिलहाल कोई विचार नहीं है। राज्य सरकार में मंत्री और भाजपा नेता विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि यह सच है कि उक्त प्रस्ताव यकायक आया। विधायकों के बीच इस तरह की सहमति बनने से और बेहतर रहता लेकिन हमारा नेतृत्व सक्षम है। जो भी केंद्र और राज्य में राजग का नेतृत्व निर्णय लेता है हम सभी साथ हैं।बिहार विधान परिषद में भाजपा सदस्य सच्चिदानंद राय ने कहा कि जिस तरीके से विपक्ष के साथ मिलकर उक्त प्रस्ताव पारित हुआ यह भाजपा कार्यकर्ता और समर्थकों के लिए अचंभा का विषय था। हाल ही में जदयू से निकाले गये और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के चुनावी रणनीतिकार रहे प्रशांत किशोर ने ट्वीट कर उन्हें एनपीआर—एनआरसी पर अपनी बात पर कायम रहने के लिए धन्यवाद दिया है।
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