वेंकैया नायडू ने कहा- मीडिया का नियमन संभव नहीं

वेंकैया नायडू का मानना है कि लोकतंत्र में मीडिया का नियमन नहीं कर सकते। बहरहाल, उन्होंने कहा कि ऐसा महसूस किया जा रहा है कि सोशल मीडिया बेलगाम होता जा रहा है।

सूचना एवं प्रसारण मंत्री एम वेंकैया नायडू का मानना है कि लोकतंत्र में मीडिया का नियमन नहीं कर सकते तथा स्वनियमन ही अच्छा होता है। बहरहाल, उन्होंने कहा कि ऐसा महसूस किया जा रहा है कि सोशल मीडिया बेलगाम होता जा रहा है। नायडू ने एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘लोकतंत्र में, एक मुक्त समाज में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी संविधान से मिली होती है। आप मीडिया का नियमन नहीं कर सकते, यह मेरा विश्वास है।’’

उन्होंने कहा कि स्वनियमन अच्छा होता है तथा नया विधेयक नहीं बल्कि राजनीतिक इच्छाशक्ति एवं प्रशासनिक दक्षता की आवश्यकता है। बहरहाल, मंत्री ने कहा कि यदि अंतत: उल्लंघन होता है तो कानून पहले से ही उपलब्ध हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सर्वोत्तम उपयोग तब होता है जब इस तरह की स्वतंत्रता की पूर्ण सराहना की जाती है। सूचना प्रसारण मंत्री ने कहा, ‘‘जब अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उपयोग समुचित ढंग से नहीं होता है तो हमारे कानून के जरिये जरूरी हस्तक्षेप किया जा सकता है। हम किसी तरह की मीडिया पर कोई नया प्रतिबंध लगाने के बारे में नहीं सोच रहे हैं। किन्तु सरकार सभी पक्षों से उम्मीद करती है कि वह विभिन्न मंचों का जिम्मेदारी से इस्तेमाल करेंगे।’’

उन्होंने कहा कि मीडिया के लिए कुछ नियमन हैं जैसे वह कुछ भी ऐसा नहीं दे सकती जो राष्ट्र विरोधी हो, देश हित के खिलाफ हो। नायडू ने कहा, ‘‘कानून के तहत व्यापक दिशानिर्देश एवं मानक हैं और वे इन पहलुओं का ध्यान रखते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मुख्यधारा के पत्रकारों के लिए उनके संगठनों एवं प्रबंधन की ओर से कुछ नियमन हैं। किन्तु सोशल मीडिया के लिए कोई प्रतिबंध नहीं है, चीजें निर्बाध चलती हैं।’’ केन्द्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘धीरे धीरे यह भावना बढ़ रही है कि सोशल मीडिया बेलगाम हो रहा है। हमें इसे देखने के लिए तरीके निकालने होंगे किन्तु जैसे ही आप मीडिया को नियंत्रित करना शुरू करते हैं, प्रभाव सकारात्मक नहीं होंगे। सोशल मीडिया के सन्दर्भ में इस बात को ध्यान में रखते हुए सोशल मीडिया का ध्यान रखने के लिए भी कई कानून हैं तथा इन कानूनों को प्रभावी एवं समुचित ढंग से उपयोग किया जाना चाहिए।’’

नायडू ने कहा कि राजनीतिक नेताओं में कई बार इस तरह के कानूनों को लागू करने की इच्छाशक्ति नहीं होती क्योंकि वह मीडिया से लड़ना नहीं चाहता, जो बहुत ताकतवर होता है। उन्होंने कहा, ‘‘मीडिया में कुछ इतने ताकतवर हैं तथा कुछ राजनीतिक नेता इतने कमजोर होते हैं कि वे कानून का इस्तेमाल नहीं करना चाहते जो पहले से ही उपलब्ध है। वे सोचते हैं कि मैं उनसे क्यों लड़ूं। मैं कहता हूं कि यह लड़ाई नहीं है। जब तक आप रेखा के भीतर हैं तो आपको पूरा अधिकार है, आपको लड़ना चाहिए।’’ केन्द्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘हमारे पास रामनाथ गोयनका, दिवंगत सीआर ईरानी, रामोजी राव जैसे महान उदाहरण हैं। उन्होंने ताकतवरों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी।’’

सोशल मीडिया की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि यह चिंता का विषय है क्योंकि बहुत लोकप्रिय है। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर अनियंत्रित सामग्री को लेकर कुछ चिंता है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि नियमन से कोई सकारात्मक नतीजा निकलने की संभावना नहीं है। मीडिया की भूमिका के बारे में उन्होंने कहा कि मीडिया का दायित्व सूचित करना है किन्तु खबरों का अन्वेषण या सृजन नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘समाचार समाचार होने चाहिए तथा विचार अलग होने चाहिए..हाल में भारतीय मीडिया के कुछ वर्गों में खबरों एवं विचारों को मिलाने की प्रवृत्ति पनपी है जो विकृति पैदा कर रही है।’’

सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने कहा कि समाचार संगठनों को किसी पार्टी के साथ पहचान नहीं जोड़नी चाहिए क्योंकि इससे उनकी साख प्रभावित होती है। उन्होंने कहा कि मीडिया को सनसनी के साथ साथ अभद्रता, अश्लीलता एवं हिंसा से परहेज करना चाहिए तथा आतंकवाद, चरमपंथ और असामाजिक गतिविधियों को इस तरह से उजागर नहीं करना चाहिए मानों वे ऐतिहासिक कृत्य हों। संसद में अपने स्वयं के अनुभवों को देते हुए नायडू ने कहा कि उन्होंने संसद में कृषि के बारे में एक व्यापक भाषण दिया था किन्तु मीडिया ने उसकी लगभग अनदेखी कर दी। उन्होंने कहा, ‘‘यदि नायडू कोई कागज फाड़ दे या आसन के समक्ष चला जाए तो यह खबर बन जाती है। यह हाल के वर्षों की प्रवृत्ति है, जो गलत है।’’ उन्होंने कहा कि मीडिया को रचनात्मक चीजों का समर्थन करना चाहिए। नायडू ने कहा कि देश में करीब एक लाख समाचारपत्र हैं तथा करीब 890 टीवी चैनल हैं। इनका और विस्तार होने की संभावना है क्योंकि 125 करोड़ लोगों की सूचना एवं मनोरंजन की भूख लगातार बढ़ रही है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे लोगों ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए कड़ा संघर्ष किया है। इसका मूल्य आर्थिक विकास से भी ज्यादा है।’’

नायडू ने कहा कि सोशल मीडिया संवाद का नया उपकरण है जिसके अपने विशिष्ट गुण एवं लाभ हैं। उन्होंने कहा, ‘‘यह स्वत: स्फूर्त और परिसंवादात्मक है। इस तरह का मीडिया एक अवसर और चुनौती, दोनों होता है। हम जहां यह विश्वास करते हैं कि लोगों को इस नये माध्यम का पूरा लाभ लेना चाहिए, वहीं यह भी आशा करते हैं कि इसका व्यापक राष्ट्रीय एवं वैयक्तित हित में समझ बूझ कर इस्तेमाल होना चाहिए।’’

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