विश्व हिंदू परिषद ने कहा- अब्राहमिक धर्म वालों को आरक्षण नहीं मिलना चाहिए
![Vishwa Hindu Parishad Vishwa Hindu Parishad](https://images.prabhasakshi.com/2022/10/vishwa-hindu-parishad_large_0459_136.jpeg)
हाल ही में केंद्र सरकार ने पूर्व प्रधान न्यायाधीश के. जी. बालाकृष्णन की अध्यक्षता में आयोग का गठन किया था, जो उन लोगों को अनुसूचित जाति का दर्जा देने के मामले की पड़ताल करेगा, जिनका दावा है कि वे “ऐतिहासिक रूप से” अनुसूचित जाति से जुड़े रहे हैं।
विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने रविवार को कहा कि अनुसूचित जातियों (एससी) में वे लोग आते हैं, जो अपनी जातियों के आधार परऐतिहासिक रूप से वंचित रहे हैं, जबकि अब्राहमी धर्मों में दावा किया जाता है कि उनमें कोई जाति भेद नहीं है, इसलिए इन मजहबों से संबंध रखने वालों को आरक्षण नहीं दिया जा सकता। विहिप ने कहा कि वह केंद्र द्वारा गठित आयोग की परामर्श प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग लेगा ताकि उसे उचित निष्कर्ष निकालने में मदद मिल सके।
हाल ही में केंद्र सरकार ने पूर्व प्रधान न्यायाधीश के. जी. बालाकृष्णन की अध्यक्षता में आयोग का गठन किया था, जो उन लोगों को अनुसूचित जाति का दर्जा देने के मामले की पड़ताल करेगा, जिनका दावा है कि वे “ऐतिहासिक रूप से” अनुसूचित जाति से जुड़े रहे हैं, लेकिन राष्ट्रपति के आदेशों में उल्लिखित धर्मों के अलावा किसी अन्य धर्म को अपना लिया है। संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश, 1950 (समय-समय पर संशोधित) कहता है कि हिंदू या सिख धर्म या बौद्ध धर्म के अलावा किसी अन्य धर्म को मानने वाले व्यक्ति को अनुसूचित जाति का सदस्य नहीं माना जा सकता है।
विहिप के केंद्रीय कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा, “1950 में, यह स्पष्ट करते हुए संवैधानिक आदेश जारी किया गया था कि केवल हिंदू अनुसूचित जातियों को ही आरक्षण की सुविधा मिलेगी। इसके बावजूद, ईसाई मिशनरी और इस्लामी संगठन धर्मांतरण करने वाले को इसका लाभ देने की तर्कहीन मांग कर रहे हैं। हम अनुसूचित जातियों के संवैधानिक अधिकार को छीनने नहीं देंगे।” उन्होंने कहा कि अब्राहमी धर्मों में दावा किया जाता है कि उनमें कोई जाति भेद नहीं है, इसलिए इन मजहबों से संबंध रखने वालों को आरक्षण नहीं दिया जा सकता।
अन्य न्यूज़