वेश्यावृत्ति को लेकर SC का ऐतिहासिक आदेश, मर्जी से किया गया सेक्स वर्क गैरकानूनी नहीं

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यौन उत्पीड़न की पीड़ित किसी भी सेक्स वर्कर को कानून के अनुसार तत्काल चिकित्सा सहायता सहित यौन उत्पीड़न की पीड़िता को उपलब्ध सभी सुविधाएं मुहैया कराई जानी चाहिए। पीठ ने कहा कि यह देखा गया है कि सेक्स वर्कर के प्रति पुलिस का रवैया अक्सर क्रूर और हिंसक होता है।

सुप्रीम कोर्ट ने सेक्स वर्कर्स को लेकर ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में पुलिस बलों को सेक्स वर्कर्स और उनके बच्चों के साथ सम्मानजनक व्यवहार करने और मौखिक या शारीरिक रूप से दुर्व्यवहार नहीं करने का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ ने कई निर्देश जारी करते हुए कहा कि इस देश में सभी व्यक्तियों को जो संवैधानिक संरक्षण प्राप्त हैं, उसे उन अधिकारियों द्वारा ध्यान में रखा जाए जो अनैतिक व्यापार (निवारण) अधिनियम 1956 के तहत कर्तव्य निभाते हैं। 

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क्या हैं सेक्स वर्कर्स के अधिकार

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यौन उत्पीड़न की पीड़ित किसी भी सेक्स वर्कर को कानून के अनुसार तत्काल चिकित्सा सहायता सहित यौन उत्पीड़न की पीड़िता को उपलब्ध सभी सुविधाएं मुहैया कराई जानी चाहिए। पीठ ने कहा कि यह देखा गया है कि सेक्स वर्कर के प्रति पुलिस का रवैया अक्सर क्रूर और हिंसक होता है। ऐसा लगता है कि वे एक वर्ग हैं जिनके अधिकारों को मान्यता नहीं है। पुलिस और अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों को सेक्स वर्कर्स के अधिकारों के प्रति संवेदनशील होना चाहिए जिन्हें सभी नागरिकों को संविधान में प्रदत्त सभी बुनियादी मानवाधिकार और अन्य अधिकार प्राप्त हैं।

पीठ ने कहा कि पुलिस को सभी सेक्स वर्कर्स के साथ सम्मान के साथ व्यवहार करना चाहिए और उनके साथ मौखिक और शारीरिक दुर्व्यवहार नहीं करना चाहिए, उनके साथ हिंसा नहीं करनी चाहिए या उन्हें किसी भी यौन गतिविधि के लिए मजबूर नहीं करना चाहिए।

मीडिया के लिए भी दिया निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया से गाइडलाइन्स जारी करने की अपील की जानी चाहिए, ताकि गिरफ्तारी, छापेमारी या फिर किसी अन्य अभियानों के दौरान सेक्स वर्कर्स की पहचान उजागर न हो। इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सेक्स वर्कर चाहे आरोपी हो या फिर पीड़ित उसकी पहचान उजागर नहीं होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आईपीसी की धारा-354 सी के तहत सेक्स वर्कर्स को सुरक्षा मिली हुई है। ऐसे में किसी के भी निजी कार्यों की तस्वीर न तो ली जा सकती है और न ही दिखाई जा सकती है। 

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सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद सेक्स वर्क को लेकर एक बार फिर से बहस छिड़ गई है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने सेक्स वर्क को पेशा माना है और पुलिस से सेक्स वर्कर्स के काम में ज्यादा हस्तक्षेप नहीं करने की बात कही है।

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