West Bengal: ममता के खिलाफ मानहानि मुकदमे की सुनवाई बृहस्पतिवार तक स्थगित

West Bengal
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Prabhasakshi News Desk । Jul 3 2024 9:46PM

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस द्वारा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ दायर मानहानि के मुकदमे की सुनवाई कलकत्ता उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार तक के लिए स्थगित कर दी है। बोस ने बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस के अन्य नेताओं की कथित टिप्पणियों को लेकर मुख्यमंत्री के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया है।

कोलकाता । कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस द्वारा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ दायर मानहानि के मुकदमे की सुनवाई बृहस्पतिवार तक के लिए स्थगित कर दी है। बोस ने बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस के अन्य नेताओं की कथित टिप्पणियों को लेकर मुख्यमंत्री के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया है। बोस के वकील द्वारा दायर याचिका में आवश्यक बदलाव किए जाने के बाद मामले की सुनवाई बृहस्पतिवार को होगी। न्यायमूर्ति कृष्ण राव ने निर्देश दिया कि बोस के वकील द्वारा अदालत द्वारा बताए गए मुद्दों पर उचित कदम उठाए जाने के बाद मामले की सुनवाई होगी। बोस ने 28 जून को बनर्जी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया था। 

इससे एक दिन पहले ही बनर्जी ने आरोप लगाया था कि महिलाओं ने उनसे शिकायत की थी कि राजभवन में होने वाली ‘‘गतिविधियों’’ के कारण उन्हें वहां जाने में डर लगता है। बोस के वकील ने दावा किया कि राज्यपाल के खिलाफ निराधार आरोप लगाए जा रहे हैं। उन्होंने मानहानि के मुकदमे में प्रतिवादियों द्वारा भविष्य में दिए जाने वाले बयानों पर अंतरिम रोक लगाए जाने का भी अनुरोध किया। न्यायमूर्ति राव ने बुधवार को कहा कि मुकदमे में जिन प्रकाशनों का उल्लेख किया गया है, उन्हें इसमें पक्षकार नहीं बनाया गया है। 

बोस के वकील ने आवश्यक बदलावों को शामिल करते हुए नयी अर्जी दाखिल करने के लिए समय मांगा जिसके बाद अदालत ने अनुमति देते हुए कहा कि मामले की सुनवाई बृहस्पतिवार को होगी। राज्य सचिवालय में एक प्रशासनिक बैठक के दौरान 27 जून को बनर्जी ने दावा किया था कि ‘‘महिलाओं ने मुझे बताया है कि वे राजभवन में हाल में हुई घटनाओं के कारण वहां जाने से डरती हैं।’’ संविदा पर राजभवन में काम करने वाली एक महिला कर्मचारी ने दो मई को बोस के खिलाफ छेड़छाड़ का आरोप लगाया था जिसके बाद कोलकाता पुलिस ने जांच शुरू की थी। संविधान के अनुच्छेद 361 के तहत, किसी राज्यपाल के विरुद्ध उसके कार्यकाल के दौरान कोई आपराधिक कार्यवाही नहीं की जा सकती।

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