कौन है 1 करोड़ का इनामी प्रशांत बोस, PM मोदी की हत्या की साजिश से 30 कांग्रेस नेताओं के नरसंहार तक में रही है भूमिका

 Prashant Bose
अभिनय आकाश । Nov 17 2021 3:45PM

पिछले शुक्रवार को झारखंड पुलिस ने भाकपा (माओवादी) केंद्रीय समिति के सदस्य प्रशांत बोस उर्फ ​​किशन को पांच अन्य लोगों के साथ गिरफ्तार किया था। पुलिस सूत्रों ने कहा कि किशन 70 के दशक के उत्तरार्ध से ही संगठन के 'थिंक टैंक' का हिस्सा है।

झारखंड में एक करोड़ का इनामी नक्सली गिरफ्तार किया गया है। नक्सली नेता प्रशांत बोस उर्फ किशन दा को झारखंड पुलिस ने गिरफ्तरा किया है। प्रशांत बोस ने कई राज पुलिस के सामने उजागर किए हैं। उसने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश हो या छत्तीसगढ़ के झीरम घाटी में हमला हर घटना का मास्टरमाइंड वो खुद है। पिछले शुक्रवार को झारखंड पुलिस ने भाकपा (माओवादी) केंद्रीय समिति के सदस्य प्रशांत बोस उर्फ ​​किशन को पांच अन्य लोगों के साथ गिरफ्तार किया था। पुलिस सूत्रों ने कहा कि किशन 70 के दशक के उत्तरार्ध से ही संगठन के "थिंक टैंक" का हिस्सा है।

पीएम मोदी की हत्या की साजिश से कांग्रेस नेताओं की हत्या तक

प्रधानमंत्री मोदी की हत्या की साजिश भी रची गई थी, जिसका मास्टरमाइंड प्रशांत ही था। इसके अलावा छत्तीसगढ़ में 30 कांग्रेसी नेताओं की हत्या में उसकी भूमिका थी। पूछताछ करने वाले अधिकारियों के मुताबिक, पुणे में भीमा कोरेगांव हिंसा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश रचने में प्रशांत बोस की भूमिका थी। एनआईए की चार्जशीट में भी बोस का नाम सामने आया था।

किशन दा का नक्सलवाद का सफर

पुलिस सूत्रों ने बताया कि 1960 के दशक की शुरुआत में प्रशांत बोस नक्सलियों से जुड़े एक श्रमिक संगठन में शामिल हो गया था। उसे 1974 में गिरफ्तार किया गया था और 1978 में उसकी रिहाई के बाद, कनई चटर्जी के साथ एमसीसीआई की सह-स्थापना की गई। इसके बाद बोस ने गिरिडीह, धनबाद, बोकारो और हजारीबाग में जमींदारों के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शनों को संगठित करना शुरू कर दिया। उसने 2000 के आसपास स्थानीय संथाल नेताओं के साथ काम किया और पलामू, चतरा, गुमला और लोहरदगा में नक्सल संगठन को मजबूत किया। झारखंड पुलिस के सूत्रों  के अनुसार इस अवधि के दौरान बोस ने पुलिस और उच्च जाति के जमींदार मिलिशिया जैसे रणबीर सेना और ब्रह्मर्षि सेना दोनों के खिलाफ लड़ाई लड़ी।

भाकपा (माओवादी) 

2004 में भाकपा (माओवादी) की स्थापना के बाद से किशन दा इसकी केंद्रीय समिति, केंद्रीय सैन्य आयोग के सदस्य और पूर्वी क्षेत्रीय ब्यूरो के प्रभारी रहा है। वह दक्षिण छोटानागपुर इलाके में काम करता था और सारंडा के जंगल में रहता था। उसने झारखंड, बिहार, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में माओवादी संगठन को मजबूत करने की कोशिश की और पश्चिम बंगाल राज्य समिति का भी हिस्सा रहा। पुलिस के अनुसार बोस कई माओवादी गतिविधियों में शामिल था, जिसमें 2007 में झारखंड मुक्ति मोर्चा के तत्कालीन महासचिव और जमशेदपुर से पार्टी के मौजूदा सांसद सुनील महतो की हत्या शामिल थी।

गिरफ्तारी का प्रभाव

किशना की गिरफ्तारी के एक दिन बाद महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में सुरक्षा बलों द्वारा सीपीआई (माओवादी) के महाराष्ट्र-मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़ क्षेत्र के प्रमुख मिलिंद तेलतुम्बडे सहित 26 माओवादी मारे गए। बैक-टू-बैक माओवादियों लगे इस तरह के झटके से उनके मनोबल को काफी नुकसान होने की उम्मीद है। झारखंड के डीजीपी सिन्हा ने अपने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि किशना 40-45 साल से सक्रिय है और उसने प्रतिबंधित संगठन के अधिकांश महत्वपूर्ण नेताओं को प्रशिक्षित किया है। भाकपा (माओवादी) के गठन के बाद किशनदा दूसरे नंबर पर था और इसका विचारक भी, उसका कद उसके पद से कहीं अधिक था। डीजीपी नीरज सिन्हा ने कहा कि किशना की गिरफ्तारी के बाद हमारे पास सूचनाओं का एक भंडार है और इसका विश्लेषण करने में हमें महीनों लगेंगे। पुलिस प्रमुख ने बोस के वैचारिक कौशल की बैकहैंड प्रशंसा करते हुए कहा कि वह हम सभी की तुलना में मानसिक रूप से कहीं अधिक सतर्क रहा है। उसके पास जाओ, तो वह तुम्हें नक्सली बना देगा।

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