Prabhasakshi NewsRoom: Russia के खिलाफ UNSC में प्रस्ताव गिरा तो Biden ने दिखाये सख्त तेवर, रूस पर बढ़े प्रतिबंध

जहां तक संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अमेरिका एवं अल्बानिया द्वारा पेश किए गए मसौदा प्रस्ताव की बात है तो आपको बता दें कि भारत इस पर मतदान से दूर रहा। इस प्रस्ताव में रूस के ‘‘अवैध जनमत संग्रह’’ और यूक्रेनी क्षेत्रों पर उसके कब्जे की निंदा की गई थी।
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की ओर से यूक्रेन के चार क्षेत्रों पर कब्जा जमाने की घोषणा करने के बाद पूरी दुनिया में नया विवाद खड़ा हो गया है। अमेरिका ने जहां रूस पर नये प्रतिबंधों का ऐलान किया है वहीं यूक्रेन के राष्ट्रपति ने रूस की कार्रवाई को गलत बताते हुए नाटो से गुहार लगाई है कि उसे संगठन की सदस्यता जल्द से जल्द दी जाये। वहीं संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में इस मुद्दे को लेकर अमेरिका एक प्रस्ताव लेकर आया जिस पर मतदान से भारत दूर रहा। इस बीच संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने कहा है कि धमकी या बल प्रयोग से किसी देश द्वारा किसी अन्य देश के क्षेत्र पर कब्जा करना संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों का उल्लंघन है।
जहां तक संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अमेरिका एवं अल्बानिया द्वारा पेश किए गए मसौदा प्रस्ताव की बात है तो आपको बता दें कि भारत इस पर मतदान से दूर रहा। इस प्रस्ताव में रूस के ‘‘अवैध जनमत संग्रह’’ और यूक्रेनी क्षेत्रों पर उसके कब्जे की निंदा की गई थी। इस प्रस्ताव में मांग की गई थी कि रूस यूक्रेन से अपने बलों को तत्काल वापस बुलाए। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 15 देशों को इस प्रस्ताव पर मतदान करना था, लेकिन रूस ने इसके खिलाफ वीटो का इस्तेमाल किया, जिसके कारण प्रस्ताव पारित नहीं हो सका। इस प्रस्ताव के समर्थन में 10 देशों ने मतदान किया और चार देश- चीन, गाबोन, भारत तथा ब्राजील मतदान में शामिल नहीं हुए।
इसे भी पढ़ें: रूस के ‘अवैध जनमत संग्रह’ पर संयुक्त राष्ट्र में लाए प्रस्ताव पर भारत ने बनायी दूरी
मतदान के बाद परिषद को संबोधित करते हुए संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने कहा कि यूक्रेन में हाल के घटनाक्रम से भारत बहुत चिंतित है और उसने हमेशा इस बात की वकालत की है कि मानव जीवन की कीमत पर कोई समाधान नहीं निकाला जा सकता। उन्होंने मतदान से दूर रहने पर स्पष्टीकरण देते हुए कहा, ‘‘हम अनुरोध करते हैं कि संबंधित पक्ष तत्काल हिंसा और शत्रुता को खत्म करने के लिए हरसंभव प्रयास करें।'' उन्होंने कहा कि मतभेदों तथा विवादों को हल करने का इकलौता जवाब संवाद है, हालांकि इस समय यह कठिन लग सकता है। भारत ने कहा, ‘‘शांति के मार्ग पर हमें कूटनीति के सभी माध्यम खुले रखने की आवश्यकता है।’’
रुचिरा कंबोज ने साथ ही यह भी कहा कि इस संघर्ष की शुरुआत से ही भारत का रुख स्पष्ट रहा है। उन्होंने कहा कि वैश्विक व्यवस्था संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों, अंतरराष्ट्रीय कानून और सभी देशों की संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता के लिए सम्मान पर टिकी है। उन्होंने कहा, ‘‘तनाव बढ़ाना किसी के भी हित में नहीं है। यह महत्वपूर्ण है कि बातचीत की मेज पर लौटने के रास्ते तलाशे जाएं।'' उन्होंने कहा कि तेजी से बदल रही स्थिति पर नजर रखते हुए भारत ने इस प्रस्ताव पर दूरी बनाने का फैसला किया। रुचिरा कंबोज ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन तथा यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के साथ चर्चा में संवाद और कूटनीति की महत्ता को ‘‘स्पष्ट रूप से बताया’’ है। हम आपको बता दें कि भारत पहले भी यूक्रेन पर रूस के आक्रमण को लेकर लाए गए प्रस्तावों पर मतदान से दो बार दूर रहा है।
वहीं, संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की राजदूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने कहा कि रूस के ‘‘बनावटी जनमत संग्रह के नतीजे पूर्व निर्धारित थे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हर कोई यह जानता है। रूसी बंदूक की नोंक पर यह कराया गया। बार-बार हमने यूक्रेनी लोगों को अपने देश तथा लोकतंत्र के लिए लड़ते हुए देखा है।’’ थॉमस ग्रीनफील्ड ने कहा कि अगर रूस अपनी जवाबदेही से बचने की कोशिश करता है तो हम मॉस्को को यह अचूक संदेश भेजने के लिए ‘‘महासभा में आगे कदम उठाएंगे’’ कि दुनिया अब भी संप्रभुत्ता एवं क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के पक्ष में खड़ी है।
इसे भी पढ़ें: पुतिन ने यूक्रेन के इलाकों को रूस का हिस्सा घोषित किया
इस बीच, अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने यूक्रेन के चार क्षेत्रों पर रूस द्वारा कब्जा किए जाने के विरोध में मॉस्को पर और प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है, जिनमें रूसी सरकार एवं सेना के अधिकारियों और उनके परिवार को शामिल किया गया है। बाइडन ने कहा कि यूक्रेन पर कब्जा करने का रूस का कदम वैध नहीं है। इसके साथ ही अमेरिका ने यूक्रेन पर रूस के आक्रमण से जुड़े 1,000 से अधिक लोगों और कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिया जिसमें उसके सेंट्रल बैंक के गवर्नर और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सदस्यों के परिवार शामिल हैं। बाइडन ने कहा कि अमेरिका रूसी कदमों की निंदा करने और उसे जवाबदेह बनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को एकजुट करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका यूक्रेन को उसके बचाव के लिए आवश्यक उपकरण मुहैया कराता रहेगा। हम आपको यह भी बता दें कि अमेरिकी वित्त मंत्रालय ने रूस की विधायिका के सैंकड़ों सदस्यों, देश के आर्थिक व सैन्य प्रतिष्ठानों की प्रमुख शख्सियतों और आपूर्तिकर्ताओं के नाम प्रतिबंध वाली सूची में रखे हैं। वाणिज्य विभाग ने निर्यात नियंत्रण उल्लंघनकर्ताओं की सूची में 57 कंपनियों को शामिल किया है तो वहीं विदेश विभाग ने 900 लोगों के नाम वीजा पाबंदी सूची में जोड़े हैं।
जहां तक रूस की ओर से यूक्रेन पर की गयी कार्रवाई की बात है तो आपको बता दें कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के कब्जे वाले क्षेत्रों को अपने देश में शामिल करने वाली संधियों पर शुक्रवार को हस्ताक्षर किए। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के दोनेत्स्क, लुहांस्क, खेरसॉन और जोपोरिज्जिया क्षेत्रों पर कब्जा जमाने की घोषणा की थी जिसका दुनिया के कई देश विरोध कर रहे हैं।
-नीरज कुमार दुबे
अन्य न्यूज़












