रामचरितमानस का विरोध करने पर मौर्य को सपा में मिली तरक्की, मगर राम का गुणगान करने पर रोली तिवारी मिश्रा और ऋचा सिंह पार्टी से निष्कासित

Richa Singh  Roli Mishra
Prabhasakshi

जब अखिलेश यादव यह तय कर चुके हैं कि स्वामी प्रसाद मौर्य अपने अभियान को आगे बढ़ायें तो वह यह कैसे बर्दाश्त कर सकते हैं कि उन्हीं की पार्टी का कोई नेता उनके निर्देश पर चल रहे इस अभियान की राह में बाधा पहुँचाये।

श्रीरामचरितमानस की चौपाइयों के खिलाफ अनर्गल बातें कहने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य को समाजवादी पार्टी ने तत्काल पदोन्नति देकर राष्ट्रीय महासचिव बना दिया लेकिन जब पार्टी की दो महिला नेताओं ऋचा सिंह और रोली तिवारी मिश्रा ने स्वामी प्रसाद मौर्य के बयानों का विरोध करते हुए प्रभु राम का गुणगान किया तो इन दोनों महिला नेत्रियों को समाजवादी पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। देखा जाये तो राम भक्तों पर गोली चलवा चुकी समाजवादी पार्टी का राम विरोध अक्सर बाहर आ जाता है। रोली तिवारी मिश्रा और ऋचा सिंह को जिस तरह बिना कोई कारण बताओ नोटिस दिये और बिना उनका पक्ष सुने पार्टी से बाहर किया गया है वह यह भी दर्शाता है कि समाजवादी पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र नाम की कोई चीज नहीं है।

दअरसल पारिवारिक व्यवस्था के आधार पर चलने वाले राजनीतिक दलों से जुड़े कार्यकर्ताओं का भाग्य हमेशा अधर में ही लटका रहता है क्योंकि यदि उनके द्वारा कही गयी बात उस दल को चलाने वाले परिवार से जुड़े मम्मी, पापा, चाचा, चाची, ताऊ, ताई, भाई या बहन में से किसी को भी बुरी लग गयी तो उस कार्यकर्ता की सारी मेहनत पर पानी फिर जाता है। ऋचा सिंह और रोली तिवारी मिश्रा ने समाजवादी पार्टी की मजबूती के लिए भले काफी प्रयास किये लेकिन जब अखिलेश यादव यह तय कर चुके हैं कि स्वामी प्रसाद मौर्य अपने अभियान को आगे बढ़ायें तो वह यह कैसे बर्दाश्त कर सकते हैं कि उन्हीं की पार्टी का कोई नेता उनके निर्देश पर चल रहे इस अभियान की राह में बाधा पहुँचाये। इसलिए जैसे ही स्वामी प्रसाद मौर्य के अनर्गल बयानों के खिलाफ इन दोनों महिला नेत्रियों ने आवाज उठाई, उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।

समाजवादी पार्टी से निकाले जाने के बाद एक टीवी चैनल पर इन दोनों महिला नेत्रियों ने जो कुछ कहा उसे उन कार्यकर्ताओं को अवश्य सुनना चाहिए जो पारिवारिक राजनीति करने वाले राजनीतिक दलों से जुड़े हुए हैं। टीवी चैनल से बातचीत के दौरान दोनों महिला नेत्रियों ने आरोप लगाया कि बिना उनका पक्ष जाने और समझे यह कार्रवाई की गयी है जोकि असंवैधानिक है। रोली तिवारी मिश्रा तो अपनी बात कहते हुए भावुक हो गयीं और फूट-फूटकर रोने तक लग गयीं। रोली तिवारी मिश्रा का कहना है कि मैं हमेशा अखिलेश यादव का हौसला बनकर खड़ी रही। मुलायम सिंह यादव मेरे पिता की तरह थे। उनका कहना है कि मैंने श्रीराम का नाम लिया तो पार्टी से मुझे निकाल दिया गया। रोली तिवारी मिश्रा ने कहा कि भगवान श्रीराम इस देश की आत्मा हैं। यह आस्थाओं का देश है इसलिए हमारी आस्थाओं के साथ खिलवाड़ नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि यही बात मैं पार्टी के पटल पर लगातार रख रही थी लेकिन इसकी प्रतिक्रिया यह हुई कि उन्होंने श्रीरामचरितमानस को जलाया। उन्होंने बताया कि इसके बाद मैं मुखर होकर स्वामी प्रसाद मौर्य का सोशल मीडिया पर विरोध करने लगी तो पार्टी ने स्वामी प्रसाद मौर्य को राष्ट्रीय महासचिव बना दिया।

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वहीं, ऋचा सिंह का भी कहना है कि मैंने कोई अनुशासनहीनता नहीं की। उन्होंने कहा कि हमने श्रीरामचरितमानस पर टिप्पणी करने वाले नेता का विरोध किया था। इस कारण मुझे पार्टी से निकाल दिया गया। ऋचा सिंह का कहना है कि अगर भगवान श्रीराम और रामचरितमानस के लिए यह सजा मिली है तो यह सजा मुझे कुबूल है। उन्होंने कहा कि हमने पार्टी की 10 वर्षों तक सेवा की। पार्टी को आगे बढ़ाने के लिए लगातार मेहनत की लेकिन पार्टी ने बिना कारण बताओ नोटिस के अंसवैधानिक रूप से हम पर कार्रवाई कर दी।

उधर, अयोध्या स्थित हनुमानगढ़ी मंदिर के महंत राजू दास ऋचा सिंह और रोली मिश्रा के समर्थन में आ गये हैं। उन्होंने कहा है कि समाजवादी पार्टी ने दिखा दिया है कि जो राम का अपमान करेगा उसे पार्टी में तरक्की दी जायेगी और जो राम का गुणगान करेगा उसे पार्टी से बाहर कर दिया जायेगा।

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