क्या स्थानीय चुनावों से पहले भाजपा से अलग हो जाएगी AIADMK ? नेताओं ने हार के लिए गठबंधन को ठहराया था जिम्मेदार

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उच्चतम न्यायालय ने राज्य निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया था कि तमिलनाडु के 9 नए जिलों में 15 सितंबर तक स्थानीय निकाय चुनाव कराया जाए।

चेन्नई। तमिलनाडु में विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा ने स्पष्ट शब्दों में कहा था कि वह एआईएडीएमके के साथ अपना गठबंधन जारी रखेगी। चुनाव हो गए एआईएडीएमके को काफी नुकसान भी हुआ और डीएमके की सरकार बनी। ऐसे में अब स्थानीय चुनावों के मद्देनजर एआईएडीएमके बड़ा निर्णय लेने का विचार कर सकती है। क्योंकि पार्टी के कई नेताओं ने कहा है कि स्थानीय निकाय अपने दम पर लड़ना चाहिए और भाजपा के साथ गठबंधन ना रखा जाए तो बेहतर होगा। 

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15 सितंबर तक कराएं चुनाव

हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने राज्य निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया था कि तमिलनाडु के 9 नए जिलों में 15 सितंबर तक स्थानीय निकाय चुनाव कराया जाए। मतदान राज्य के 9 नवगठित जिलों में होने हैं, जिनमें कल्लुकुरिची, चेंगलपट्टू, तेनकासी, तिरुपत्तूर, रानीपत, विल्लुपुरम, कांचीपुरम, तिरुनेलवेली और वेल्लोर शमिल हैं।

गठबंधन के बिना लड़ना था चुनाव !

ऐसे में प्रदेश की राजनीति गर्मा गई है। सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या एआईएडीएमके अपने नेताओं का सुझाव मानेगी या नहीं ? राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि चुनाव परिणाम आने के बाद एआईएडीएमके के कुछ नेताओं ने पार्टी की हार के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराया था। इन नेताओं का कहना है कि पार्टी अगर बिना गठबंधन के चुनाव लड़ती तो परिणाम इससे बेहतर आते।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एआईएडीएमके नेता सी पोनअयन ने कहा कि भाजपा हिन्दुत्व की राजनीति करती है और उनकी राजनीति उत्तर भारत में चल सकती है लेकिन दक्षिण भारत में नहीं चलेगी। इतना ही नहीं उन्होंने तो भाजपा को तमिल विरोधी छवि वाला भी बताया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में लोग भाजपा के बारे में सोचते हैं कि वह महज धर्म की बात करने वाली पार्टी है। यही वजह है कि विधानसभा चुनाव में हमें नुकसान हुआ है। 

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AIDMK के वोट बैंक में लगी सेंध

आपको बता दें कि जे जयाललिता के समय एआईएडीएमके को मुस्लिम और ईसाइयों का भी वोट मिलता था लेकिन डीएमके सेंधमारी कर दी और इन लोगों ने उन्हें वोट दिया। जबकि डीएमके को दलितों का वोट मिलता रहा है। एआईएडीएमके नेता ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि हमें ऐसे में बहुमत कैसे मिलता ?

प्राप्त जानकारी के मुताबिक विधानसभा चुनावों में मिली हार के बाद एआईएडीएमके ने समीक्षा बैठक की थी। जिसमें पार्टी के कई नेताओं ने हार के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराया था। कुछ पार्टी नेताओं ने यहां तक कह दिया था कि अगर एआईएडीएमके, भाजपा के साथ गठबंधन नहीं करती तो हमारी सीटें दोगुनी होती।

क्या एआईएडीएमके में जाएंगी शशिकला ?

एआईएडीएमके का नेता कौन है ? भले ही पन्नीरसेल्वम ने पलानीस्वामी के नेतृत्व में चुनाव लड़ने की बात कही हो लेकिन यह किसी से भी नहीं छिपा है कि दोनों नेताओं के बीच में शीतयुद्ध चल रहा है। पन्नीरसेल्वम ने खुद को पार्टी का नेता बताया था। वहीं दूसरी तरफ जयललिता के निधन के बाद पार्टी की स्थिति खराब होती रही है। कहा तो यहां तक जा रहा है कि भाजपा ही तमिलनाडु में एआईएडीएमके को चला रही है। ऐसे में अगर भाजपा ने गठबंधन तोड़ दिया तो एआईएडीएमके बिखर सकती है। 

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वहीं, शशिकला भी एआईएडीएमके में वापसी करने की कवायद में जुटी हुई हैं। हाल ही में उन्होंने एआईएडीएमके के 11 नेताओं से मुलाकात की थी। आपको बता दें कि जयललिता की करीबी रही शशिकला को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था। विधानसभा चुनाव के समय पार्टी में आने की अटकलें लगाई जा रही थी लेकिन उन्होंने खुद को चुनावों से दूर कर लिया था।

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