स्कूलों में यूनिफॉर्म का हमेशा करेंगे समर्थन, हिजाब या अन्य पोशाकों का नहीं: भाजपा

CT Ravi
ANI

उच्चतम न्यायालय द्वारा कर्नाटक के शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने पर लगा प्रतिबंध हटाने से इंकार करने वाले कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर खंडित फैसला सुनाया।

नयी दिल्ली।  भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह स्कूलों में निर्धारित पोशाक (यूनिफॉर्म) के अलावा छात्रों के हिजाब या कोई अन्य परिधान पहनने का हमेशा विरोध करती रहेगी। पार्टी ने कहा कि धार्मिक स्वतंत्रता का इस्तेमाल ‘‘अलगाववाद’’ के लिए नहीं किया जा सकता। उच्चतम न्यायालय द्वारा कर्नाटक के शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने पर लगा प्रतिबंध हटाने से इंकार करने वाले कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर खंडित फैसला सुनाया। इस संदर्भ में भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव सीटी रवि ने कहा कि अदालत के फैसले पर उनका प्रतिक्रिया देना उपयुक्त नहीं होगा। उन्होंने कहा कि लेकिन वह ‘‘अलगाववादी मानसिकता’’ के खिलाफ हमेशा बात करेंगे। उन्होंने कहा कि यही मानसिकता स्कूलों में हिजाब को बढ़ावा देती है। 

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उन्होंने कहा, ‘‘स्कूलों में यूनिफॉर्म का मतलब है छात्रों के बीच एक समान भाव को बढ़ावा देना। मेरा मानना है कि बुर्का या हिजाब जैसे मुद्दों की आड़ में अलगाववाद को बढ़ावा दिया जाता है। भारत के बंटवारे के पीछे भी यही मानसिकता थी। यह अलगाववाद उत्तरोत्तर अतिवाद में तब्दील हो जाता है, जोआतंकवाद का स्रोत हो सकता है।’’ भाजपा महासचिव ने कहा कि कर्नाटक में 1965 से ही स्कूलों में यूनिफॉर्म पहनने के नियम लागू हैं। ईरान में हिजाब के खिलाफ हो रहे प्रदर्शनों का उल्लेख करते हुए रवि ने दावा किया कि भारत में धार्मिक स्वतंत्रता का अर्थ ‘‘अलगाववादी’’ संरचना को बढ़ावा देना कतई नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि मामला स्कूलों में हिजाब पहनने या ना पहनने का नहीं है बल्कि क्या पहनना है ये है। इसलिए स्कूलों में यूनिफॉर्म ही होने चाहिए ना कि हिजाब या कोई अन्य पोशाक। न्यायालय ने इस मामले को प्रधान न्यायाधीश के पास भेज दिया ताकि एक वृहद पीठ का गठन किया जा सके। न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता ने उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाएं खारिज कर दीं, जबकि न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया ने उन्हें स्वीकार किया और कहा कि यह अंतत: ‘‘पसंद का मामला’’ है। 

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उच्च न्यायालय ने प्रतिबंध हटाने से इनकार करते हुए कहा था कि हिजाब पहनना इस्लाम में ‘‘अनिवार्य धार्मिक प्रथा’’ का हिस्सा नहीं है। पीठ की अगुवाई कर रहे न्यायमूर्ति गुप्ता ने 26 याचिकाओं के समूह पर फैसला सुनाते हुए शुरुआत में कहा, ‘‘इस मामले में अलग-अलग मत हैं।’’ उन्होंने कहा कि उन्होंने इस फैसले में 11 प्रश्न तैयार किए हैं और उनके जवाब याचिकाकर्ताओं के खिलाफ हैं। इस सूची में धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार और अनिवार्य धार्मिक प्रथाओं के अधिकार के दायरे और गुंजाइश संबंधी प्रश्न शामिल हैं। पीठ ने खंडित फैसले के मद्देनजर निर्देश दिया कि उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली इन याचिकाओं को एक उचित वृहद पीठ के गठन के लिए प्रधान न्यायाधीश के समक्ष रखा जाए। न्यायमूर्ति धूलिया ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि कर्नाटक उच्च न्यायालय ने ‘‘गलत रास्ता’’ अपनाया।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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