इस नए बिल के बाद केजरीवाल क्या सिर्फ AAP संयोजक रह जाएंगे, मोदी MCD के माध्यम से विधानसभा रहित राजधानी चलाएंगे?

Kejriwal
अभिनय आकाश । Mar 28 2022 11:59AM

1993 से पहले लगभग दस साल दिल्ली इसी स्थिति में नगर निगम के माध्यम से ही चलती थी। वर्ष 2011 में शीला दीक्षित ने इसके तीन टुकड़े कर दिए। कारण राजनीतिक रहे होंगे कि तीनों नगर निगम उनके अधीन हो जाएंगे और उनके तीन महापौर बन जाएंगे, क्योंकि उस समय दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) पर भाजपा का कब्जा था।

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राष्ट्रीय राजधानी के तीन नगर निगमों को एक इकाई में विलय करने के लिए लोकसभा में दिल्ली नगर निगम (संशोधन) विधेयक, 2022 पेश किया। नॉर्थ, साउथ और ईस्ट एमसीडी नाम हटा कर म्युनिसिपल कॉरपोरेशन ऑफ दिल्ली (एमसीडी) कर दिया गया है। जिसके बाद से ही इसको लेकर सियासी सरगर्मियां बढ़ गई है। आम आदमी पार्टी ने इसको लेकर आपत्ति जताई है और जरूरत पड़ने पर अदालत का भी दरवाजा खटखटाने की बात कही है। आप ने आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा चुनाव नहीं चाहती है। भाजपा नेताओं ने एमसीडी में लूट के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। आगामी चुनाव में हार से बचने के लिए निगमों के एकीकरण का काम शुरू किया गया है। जिससे दिल्ली का प्रशासन पूरी तरह से निगमों के हवाले कर दिया जाए। केजरीवाल की तरफ से कहा जा रहा है कि केंद्र दिल्ली को 1993 से पहले की स्थिति में ला सकती है। यानी दिल्ली का प्रशासन पूरी तरह से निगमों के पास होगा और विधानसभा को भंग कर दिया जाए। 

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1993 से पहले दस साल निगम के माध्यम से चलती थी दिल्ली 

बता दें कि 1993 से पहले कई सालों तक दिल्ली इसी स्थिति में नगर निगम के माध्यम से ही चलती थी। दिल्ली नगर निगम अधिनियम, 1957 लाया गया जिससे नगर निगम का गठन हुआ। फिर सितंबर 1966 में दिल्ली प्रशासन अधिनियम, 1966 के तहत विधानसभा को दिल्ली महानगर परिषद द्वारा 56 निर्वाचित और पांच मनोनीत सदस्यों के साथ बदल दिया गया। दिल्ली के उपराज्यपाल इसके प्रमुख थे। परिषद के पास कोई विधायी शक्तियां नहीं थीं, केवल दिल्ली के शासन में एक सलाहकार की भूमिका थी। इसने 1990 तक कार्य किया। 1991 में 69वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1991 और राष्‍ट्रीय राजधानी क्षेत्र अधिनियम के माध्यम से विधानसभा एवं मंत्री-परिषद से संबंधित संवैधानिक प्रावधान निर्धारित किए। वर्ष 2011 में शीला दीक्षित ने इसके तीन टुकड़े कर दिए। कारण राजनीतिक रहे होंगे कि तीनों नगर निगम उनके अधीन हो जाएंगे और उनके तीन महापौर बन जाएंगे, क्योंकि उस समय दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) पर भाजपा का कब्जा था।  

अन्य देशों की राजधानी को लेकर क्या है सिस्टम

दिल्ली विधानसभा को समाप्त किए जाने के पक्ष में दुनिया के दूसरे देशों की व्यवस्थाओं के भी तर्क दिए जा रहे हैं, जिन देशों में राजधानी में निगम के मार्फत ही प्रशासन चलाया जाता है। यहां अन्य राज्यों की तर्ज पर अलग से कोई प्रशासनिक इकाई नहीं होती है। वहीं विभिन्न राजनीतिक दलों की तरफ से देश की सत्ता सेंटर में रह कर चलाई जाती है। इस सिस्टम की वजह से पॉवर सेंटर और एक ही जगह दो सरकार की वजह से विरोधाभास जैसी चीजें नजर नहीं आती। जबकि दिल्ली में अक्सर आपने सीएम को ये कहते हुए सुना होगा कि मोदी जी हमें काम नहीं करने दे रहे और कई बार तो नौबत एलजी के दफ्तर में धरने तक भी पहुंच गई। 

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