Jaishankar ने Rahul Gandhi, China और Canada को जो करारा जवाब दिया है वह लंबे समय तक याद रखा जायेगा

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ANI

जहां तक राहुल गांधी से संबंधित सवाल की बात है तो आपको बता दें कि इसके जवाब में जयशंकर ने उन्हें आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि कांग्रेस नेता को विदेश में भारत की आलोचना करने की आदत है लेकिन अपने आंतरिक मामलों को दुनिया के सामने उठाना देश के हित में नहीं है।

विदेश मंत्री एस. जयशंकर विरोधियों को तगड़ा जवाब देने के लिए जाने जाते हैं। विरोधी चाहे देश में हों या विदेश में, इससे जयशंकर को कोई फर्क नहीं पड़ता है। मोदी सरकार के नौ वर्ष पूरे होने के अवसर पर इस समय मोदी मंत्रिमंडल के सभी मंत्री अपने अपने काम का ब्यौरा मीडिया के समक्ष रख रहे हैं। इसी क्रम में जब विदेश मंत्री एस. जयशंकर गुरुवार को मीडिया से मुखातिब हुए तो उनके संबोधन के बाद जब सवालों का सिलसिला शुरू हुआ तो राहुल गांधी की अमेरिका यात्रा से लेकर चीन से मिल रही चुनौतियों और विश्व स्तर पर भारत की साख को लेकर सवाल पूछे गये।

राहुल गांधी को जवाब

जहां तक राहुल गांधी से संबंधित सवाल की बात है तो आपको बता दें कि इसके जवाब में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने राहुल गांधी को आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि कांग्रेस नेता को विदेश में भारत की आलोचना करने की आदत है लेकिन अपने आंतरिक मामलों को दुनिया के सामने उठाना देश के हित में नहीं है। अमेरिका में एक कार्यक्रम में राहुल गांधी की टिप्पणी के संबंध में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा, ''दुनिया हमें देख रही है।’’ एक सवाल के जवाब में जयशंकर ने कहा, ''राहुल गांधी को विदेश में भारत की आलोचना करने की आदत है।’’ उन्होंने कहा, ''मैं नहीं समझता कि राष्ट्रीय राजनीति को देश से बाहर ले जाना राष्ट्रीय हित में होगा।’’

ग्लोबल साउथ और दक्षिण एशिया

इसके अलावा, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने उत्तरी सीमा की स्थिति और चीन की ‘बेल्ट एंड रोड’ पहल के खिलाफ देश के रुख का हवाला देते हुए कहा कि भारत किसी दबाव, लालच और गलत विमर्श से प्रभावित नहीं होता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली राजग सरकार के नौ साल पूरे होने पर जयशंकर ने संवाददाताओं से कहा कि भारत ने यह सुनिश्चित किया है कि सीमा पार आतंकवाद को अब जायज ना ठहराया जा सके। विदेश मंत्री ने अपने संबोधन में दुनिया के महत्वपूर्ण देशों के साथ संबंधों, विभिन्न स्थितियों से निपटने सहित भारतीय विदेश नीति के विविध आयामों को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि भारत आज वैश्विक परिदृश्य पर महत्वपूर्ण आर्थिक प्रभाव डाल रहा है, जिसे दुनिया ने भी स्वीकार किया है। विदेश मंत्री ने कहा कि वर्ष 2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने पर पड़ोसी देशों के नेताओं के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने से लेकर आज तक विदेश नीति को लेकर स्पष्टता रही है जो दुनिया को जानने, पड़ोस प्रथम सहित अन्य रूपों में सामने आई। विदेश मंत्री ने कहा कि आज दुनिया का बड़ा हिस्सा भारत को एक विकास साझेदार के रूप में पहचानता है। उन्होंने साथ ही कहा कि ‘ग्लोबल साउथ’ भारत को एक विश्वसनीय भागीदार के तौर पर देखता है।

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चीन और अन्य वैश्विक मुद्दों पर राय

जयशंकर ने उत्तरी सीमा पर स्थिति और चीन की ‘बेल्ट एंड रोड’ पहल के खिलाफ देश के रुख का हवाला देते हुए कहा कि भारत किसी दबाव में नहीं आता और न ही वह किसी लालच और गलत विमर्श से प्रभावित होता है। विदेश मंत्री ने वैश्विक मंच पर भारत के योगदान की चर्चा करते हुए कहा कि आर्थिक क्षेत्र सहित विभिन्न क्षेत्रों में भारत ने महत्वपूर्ण योगदान दिया जिसमें कोविड रोधी टीके की आपूर्ति का अभियान ‘ऑपरेशन मैत्री’ भी शामिल है। उन्होंने देशों को आर्थिक स्थिरता प्रदान करने में भारत के योगदान का उल्लेख करते हुए श्रीलंका के आर्थिक संकट का उदाहरण दिया। उन्होंने विदेशों में रहने वाले भारतीयों के कल्याण का उल्लेख करते हुए कहा कि ‘‘हमने लगभग हर वर्ष किसी न किसी अभियान को संचालित किया।’’ विदेश मंत्री ने इस संबंध में यूक्रेन युद्ध के दौरान भारतीय छात्रों को वापस लाने, सूडान और अफगानिस्तान से भारतीय नागरिकों को वापस लाने संबंधी अभियानों का जिक्र किया। जयशंकर ने जलवायु परिवर्तन से निपटने में भारत की भूमिका तथा अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन जैसी पहल को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि भारत एक ऐसे देश के रूप में उभरा है जो वैश्विक भलाई के लिए काम करने के साथ ही अपने हितों, अपने देश के लोगों के कल्याण को प्राथमिकता देता है। विदेश मंत्री ने कहा कि भारत के प्रति दुनिया के दृष्टिकोण में बदलाव घरेलू स्तर पर भारत में हुई प्रगति के कारण भी संभव हुआ है। उन्होंने बांग्लादेश के साथ भूमि सीमा समझौते का भी जिक्र किया। भारतीय कूटनीति का उल्लेख करते हुए जयशंकर ने कहा कि हम अतीत की गिरफ्त से बाहर आ चुके हैं और दुनिया को देखने का हमारा नजरिया बदला है तथा विश्व अब हमसे जुड़ना चाहता है।

कनाडा को जवाब

इसके अलावा, भारत ने ब्रैम्पटन में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या को दर्शाते हुए कथित तौर पर झांकी निकाले जाने की घटना के दृश्य सोशल मीडिया पर आने के बाद कनाडा पर अलगाववादियों एवं चरमपंथियों को महत्व देने को लेकर निशाना साधा। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने संवाददाताओं से कहा कि कनाडा का अपनी जमीन से भारत विरोधी तत्वों को काम करने की अनुमति देना न केवल उसके लिए बल्कि द्विपक्षीय संबंधों के लिए भी ठीक नहीं है। जयशंकर ने कहा, ''मैं सोचता हूं कि इससे वृहद मुद्दा जुड़ा हुआ है और जो वृहद मुद्दा जुड़ा है, वह कनाडा का लगातार (चरमपंथियों को) स्थान देना है।’’ उन्होंने कहा, ''स्पष्ट रूप से हम यह समझ नहीं पा रहे हैं कि वोट बैंक की राजनीति के अलावा कोई ऐसा क्यों करेगा।’’ विदेश मंत्री ने कहा, ''क्योंकि आप अगर उनके इतिहास को देखें, तब आप कल्पना करेंगे कि वे इतिहास से सीखते हैं और वे इतिहास नहीं दोहराना चाहेंगे। यह केवल एक मुद्दा नहीं हैं।’’ जयशंकर ने कहा, ''मैं समझता हूं कि अलगाववादियों, चरमपंथियों, हिंसा की वकालत करने वालों को महत्व देने के पीछे वृहद निहित मुद्दे हैं और मैं सोचता हूं कि यह संबंधों के लिए भी अच्छा नहीं है और कनाडा के लिए भी ठीक नहीं है।’’

सिख शरणार्थियों से मुलाकात

मीडिया से बात करने के बाद विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पश्चिमी दिल्ली में गुरु अर्जुन देव गुरुद्वारा में दर्शन किये। दर्शन करने के बाद उन्होंने अफगान सिख शरणार्थियों से मुलाकात कर उनकी समस्या सुनी। उसके बाद उन्होंने कहा कि नागरिकता संशोधन अधिनियम के कारण इन लोगों को विश्वास था कि हम आएंगे। अगर वह क़ानून नहीं होता तो इन लोगों का क्या होता? उन्होंने कहा कि कभी-कभी हम हर चीज़ को राजनीति का मुद्दा बना देते हैं। यह राजनीति का मामला नहीं बल्कि इंसानियत का मामला है। उस हालात में इन लोगों को कौन छोड़ सकता था?

हम आपको यह भी बता दें कि अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद भारत आए सिख शरणार्थियों के अलावा जयशंकर ने पश्चिमी दिल्ली के सांसद प्रवेश वर्मा के साथ 1984 के सिख विरोधी दंगों से प्रभावित एक परिवार से तिलक विहार में मुलाकात भी की। इसके बाद विदेश मंत्री ने बसई दारापुर में उन छात्रों से भी मुलाकात की जिन्हें यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के कारण पढ़ाई छोड़कर घर लौटने के लिए मजबूर होना पड़ा था।

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