यह कैसी राजनीति है? क्या आप हमारे सांसदों के नाम तय करेंगे? सरकार पर क्यों भड़की कांग्रेस

जयराम रमेश ने कहा कि अगर कांग्रेस सांसदों का लिस्ट में होना ज़रूरी था, तो पार्टी नेताओं से चर्चा करनी चाहिए थी। वे हमसे नाम देने के लिए कह सकते थे। हमारे देश में राजनीतिक दल लोकतंत्र की जान हैं।
कांग्रेस ने कहा कि वह ऑपरेशन सिंदूर के बाद विभिन्न देशों में भेजे जाने वाले राजनयिक प्रतिनिधिमंडलों का हिस्सा बनने से किसी को नहीं रोक रही है और सरकार के कहने पर जिन नेताओं को नामित किया गया है, उन्हें अपनी अंतरात्मा की आवाज सुननी चाहिए और इस प्रक्रिया में योगदान देना चाहिए। कांग्रेस महासचिव (संचार प्रभारी) जयराम रमेश ने सरकार पर प्रतिनिधिमंडलों के लिए नेताओं को चुनने की प्रक्रिया का राजनीतिकरण करने और दुर्भावनापूर्ण इरादे रखने का आरोप लगाया, क्योंकि पार्टी द्वारा नामित चार कांग्रेस नेताओं में से केवल एक को ही इस पद के लिए चुना गया।
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जयराम रमेश ने कहा कि अगर कांग्रेस सांसदों का लिस्ट में होना ज़रूरी था, तो पार्टी नेताओं से चर्चा करनी चाहिए थी। वे हमसे नाम देने के लिए कह सकते थे। हमारे देश में राजनीतिक दल लोकतंत्र की जान हैं। दल सरकार बनाते हैं, सरकार दल नहीं बनाती। हमारे देश में दलीय व्यवस्था है, लेकिन आपने इस पर सवालिया निशान लगा दिया है। यह कैसी राजनीति है? क्या आप प्रतिनिधिमंडल में जाने वाले हमारे सांसदों के नाम तय करेंगे? हमें चुने गए नामों से कोई दिक्कत नहीं है। वे मेरे अच्छे मित्र हैं, अनुभवी हैं और कई सालों से विदेश और रक्षा नीति पर काम कर रहे हैं। जो प्रक्रिया चुनी गई है, वह गलत है। यह एक कुख्यात प्रक्रिया है, ऐसा नहीं किया जाना चाहिए था।
कांग्रेस सांसद ने कहा कि कांग्रेस पार्टी का मानना है कि इससे पहले एक सर्वदलीय बैठक होनी चाहिए थी और प्रधानमंत्री मोदी को बैठक की अध्यक्षता करनी चाहिए थी। हमारी दूसरी मांग थी कि चीन और पाकिस्तान के बीच संबंधों के मुद्दों पर चर्चा के लिए संसद का एक विशेष सत्र आयोजित किया जाए। उन्होंने कहा कि अगर यह प्रतिनिधिमंडल इसके बाद जाता, तो यह बहुत अधिक समझ में आता। आप अभी 7 प्रतिनिधिमंडल भेज रहे हैं, लेकिन इससे क्या फर्क पड़ने वाला है? हमारा नैरेटिव पहले से ही खराब हो गया है।
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रमेश ने कहा कि पाकिस्तान और भारत की फिर से तुलना की जा रही है। 'विश्व गुरु' का नैरेटिव भी खराब हो गया है। यह प्रतिनिधिमंडल डैमेज कंट्रोल के लिए जा रहा है। हम कहते रहे हैं कि हमें एकजुट रहने की जरूरत है और हम अपने सशस्त्र बलों के साथ चट्टान की तरह खड़े हैं। हमने कहा है कि ऑपरेशन सिंदूर एक ऐतिहासिक ऑपरेशन है, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी विपक्ष के नेता या कांग्रेस अध्यक्ष से बात नहीं करते हैं। वे हमसे नाम देने के लिए कहते हैं। जब हमने 4 नाम दिए, तो उन्होंने उनमें से केवल एक को चुना और अपने नाम जोड़ दिए। यह किस तरह की राजनीति है?
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