Ghaziabad में Women Police Officers ने Encounter कर अपराधी को धर दबोचा, रोते हुए माफी मांगता रहा Criminal, मगर उसे कंधे पर डाल कर थाने ले गयी महिला पुलिस

Ghaziabad women police
Source X: @Uppolice

गाजियाबाद का वह दृश्य, जिसने सोशल मीडिया पर जगह बनाई, किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं था। एक शातिर अपराधी पुलिस पर गोली चलाकर भागने की कोशिश करता है, लेकिन महिला पुलिसकर्मी जवाबी कार्रवाई करती हैं, उसे घायल कर काबू में लेती हैं और फिर अपने कंधे पर डालकर थाने तक लाती हैं।

उत्तर प्रदेश की पहचान लंबे समय तक कानून-व्यवस्था की चुनौती और पुलिस की नकारात्मक छवि से जुड़ी रही है। अपराधियों पर नकेल कसने में ढिलाई, भ्रष्टाचार और आमजन में भय जैसी बातें अकसर पुलिस विभाग के साथ जोड़ी जाती थीं। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में, विशेषकर योगी आदित्यनाथ सरकार के कार्यकाल में तस्वीर तेजी से बदल रही है। इसका सबसे ताजा उदाहरण गाजियाबाद से सामने आया है जहां महिला पुलिसकर्मियों ने अपराधी को मुठभेड़ के बाद धर दबोचा साथ ही सोनभद्र में इनामी बदमाशों को पकड़ने की जोरदार कार्रवाई हुई। यह सब यूपी पुलिस की नई छवि और महिला पुलिस के सशक्तिकरण का जीवंत उदाहरण हैं।

गाजियाबाद का वह दृश्य, जिसने सोशल मीडिया पर जगह बनाई, किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं था। एक शातिर अपराधी पुलिस पर गोली चलाकर भागने की कोशिश करता है, लेकिन महिला पुलिसकर्मी जवाबी कार्रवाई करती हैं, उसे घायल कर काबू में लेती हैं और फिर अपने कंधे पर डालकर थाने तक लाती हैं। आरोपी बार-बार रोता है, माफी मांगता है और यह स्वीकार करता है कि उसने बचने के लिए गोली चलाई थी। यह दृश्य अपराधियों के मन में न केवल पुलिस का बल्कि विशेषकर महिला पुलिस का भय स्थापित करने वाला है।

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देखा जाये तो महिला पुलिस की यह सशक्त उपस्थिति योगी सरकार की उन नीतियों का परिणाम है जो महिला शक्ति को केवल नारों तक सीमित नहीं रखना चाहतीं। ‘महिला शक्ति मिशन’ और पुलिस तंत्र में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी को बढ़ावा देने वाले कदमों ने अब वास्तविक जमीन पर असर दिखाना शुरू कर दिया है। कभी समाज में यह धारणा बनी रहती थी कि महिला पुलिसकर्मी केवल औपचारिक ड्यूटी या ‘नरम’ जिम्मेदारियों के लिए होती हैं। लेकिन अब हालात बदल रहे हैं। गाजियाबाद की मुठभेड़ ने यह मिथक तोड़ दिया है कि महिला पुलिस अपराधियों का सामना नहीं कर सकती।

इसी तरह, सोनभद्र की कार्रवाई भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। यहां पुलिस और एसओजी की टीम ने इनामी अपराधियों को मुठभेड़ में धर दबोचा। यह दर्शाता है कि यूपी पुलिस अब अपराधियों के पीछे नहीं भागती, बल्कि उनका पीछा करके उन्हें धराशायी कर रही है। अपराधियों के पास से हथियार और कारतूस बरामद होना बताता है कि वह कितने खतरनाक थे। लेकिन कानून की पकड़ और पुलिस की मुस्तैदी के आगे उनका खेल ज्यादा देर नहीं चल सका।

देखा जाये तो यह बदलाव केवल कुछ सफल अभियानों का परिणाम नहीं है, बल्कि योगी सरकार की उस कार्यप्रणाली का हिस्सा है जिसने अपराध और अपराधियों के प्रति ‘ज़ीरो टॉलरेंस’ की नीति अपनाई है। सरकार ने पुलिस बल में सुधार, तकनीक का इस्तेमाल, आधुनिक हथियार और प्रशिक्षण तथा महिला पुलिस को हर स्तर पर अवसर देने पर जोर दिया। नतीजा यह हुआ कि अब पुलिस की छवि भय और भ्रष्टाचार से निकलकर भरोसे और ताकत की ओर बढ़ रही है।

महिला पुलिस का सशक्त होना विशेष उल्लेखनीय है। यह केवल कानून-व्यवस्था की मजबूती का सवाल नहीं, बल्कि समाज में महिलाओं के आत्मविश्वास से भी जुड़ा है। जब महिलाएं देखती हैं कि उनकी ही जैसी पुलिसकर्मी अपराधियों को घसीटकर थाने तक ला रही हैं, तो उनके भीतर भी साहस और आत्मविश्वास का संचार होता है। यह संदेश साफ है— अब महिलाएं केवल पीड़िता या दर्शक नहीं, बल्कि व्यवस्था का नेतृत्व करने वाली भी हो सकती हैं।

उत्तर प्रदेश जैसे बड़े और जटिल राज्य में जहां अपराध और अपराधियों का जाल गहरा रहा है, वहां महिला पुलिस की सक्रिय भूमिका एक सामाजिक परिवर्तन का संकेत है। यह पुलिस की कार्यशैली में पारदर्शिता और जवाबदेही को भी बढ़ाता है। अपराधियों के मन में यह डर बैठना कि वे अब महिला पुलिसकर्मी से भी नहीं बच सकते, वास्तव में एक नई कानून व्यवस्था संस्कृति की नींव है।

हालांकि चुनौतियाँ अब भी बाकी हैं। पुलिस सुधारों को स्थायी बनाना, महिला पुलिस बल का दायरा और व्यापक करना, तथा ग्रामीण इलाकों तक इस सशक्तिकरण की पहुंच सुनिश्चित करना जरूरी है। साथ ही, महिला पुलिसकर्मियों को सिर्फ मुठभेड़ या प्रदर्शन तक सीमित न रखकर प्रशासनिक और नेतृत्वकारी भूमिकाओं में भी आगे बढ़ाना होगा।

कहा जा सकता है कि गाजियाबाद और सोनभद्र की घटनाएं इस बात की पुष्टि करती हैं कि योगी सरकार में यूपी पुलिस की छवि तेजी से बदल रही है। अपराधियों के मन में अब पुलिस का वास्तविक खौफ है, और आमजन में भरोसा बढ़ा है। सबसे अहम बदलाव यह है कि महिला पुलिसकर्मी अब प्रतीक मात्र नहीं, बल्कि असली शक्ति बनकर उभरी हैं। इससे समाज की महिलाओं में नया आत्मविश्वास जागा है और अपराधियों के लिए यह चेतावनी भी कि उत्तर प्रदेश में अब किसी भी रूप में अपराध की गुंजाइश नहीं है।

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