राफेल पर मोदी को घेरने के लिए फिर सुप्रीम कोर्ट पहुँचे यशवन्त सिन्हा और अरुण शौरी

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[email protected] । Jan 2 2019 12:15PM

पुनर्विचार याचिका में आरोप लगाया गया है कि राफेल मामले पर फैसला केन्द्र की ओर से बिना हस्ताक्षर के उच्चतम न्यायालय को सौंपे गए नोट में किए गए ‘‘स्पष्ट तौर पर गलत दावों’’ पर आधारित है।

पूर्व केन्द्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी तथा वरिष्ठ अधिवक्त प्रशांत भूषण ने राफेल मुद्दे पर 14 दिसंबर को आए उच्चतम न्यायालय के फैसले की समीक्षा के लिए बुधवार को सर्वोच्च अदालत में पुनर्विचार याचिका दायर की। न्यायालय ने अपने 14 दिसंबर के फैसले में फ्रांस से 36 राफेल विमानों की खरीदी प्रक्रिया में गड़बड़ी का आरोप लगाने वाली सभी जनहित याचिकाओं को खारिज कर दिया था। पुनर्विचार याचिका में तीनों ने आरोप लगाया है कि फैसला ‘‘सरकार की ओर से बिना हस्ताक्षर के सीलबंद लिफाफे में सौंपे गए स्पष्ट रूप से गलत दावों पर आधारित था।’’ उन्होंने याचिका पर सुनवाई खुली अदालत में करने का अनुरोध भी किया है।

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कांग्रेस का कहना है कि राफेल विमान सौदा फ्रांस के साथ किया गया। इस विमान को अधिक कीमत पर खरीदा गया। यह विमान संप्रग सरकार की तुलना में तीन गुना अधिक कीमत पर खरीदा गया लेकिन सरकार विमान की कीमत क्यों नहीं बता रही है। कांग्रेस का सवाल है कि इस संबंध में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी को अनुबंध क्यों नहीं दिया गया। कांग्रेस का आरोप है कि इसमें 30 हजार करोड़ रूपये का कथित घोटाला हुआ है। इस मामले की संयुक्त संसदीय समिति से जांच करायी जाए।

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