Chaudhary Charan Singh Death Anniversary: बिना खेती किए किसानों के मसीहा कहलाए थे चौधरी चरण सिंह, ऐसे बने थे 5वें पीएम

किसानों के मसीहा कहे जाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह का 29 मई को निधन हो गया था। कहा जाता है कि उन्होंने एक भी दिन खेती नहीं की थी, लेकिन इसके बाद भी वह किसान नेता कहलाते थे। वह पूर्व पीएम के साथ शानदार लेखक भी रह चुके हैं।
देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह का 29 मई को निधन हो गया था। उन्होंने हमेशा किसानों के हित के लिए आवाज उठाई और संघर्ष किया। बता दें कि चौधरी चरण सिंह ने साल 1979 से लेकर जनवरी 1980 तक देश के प्रधानमंत्री के रूप में काम किया। इस दौरान उन्होंने किसानों के उत्थान और विकास के लिए तमाम नीतियां बनाईं। उनकी इन नीतियों से किसानों के हालातों में काफी सुधार देखने को मिला। तो आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर पूर्व पीएम चौधरी चरण सिंह के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
जन्म और परिवार
मेरठ जिले के नूरपुर की मंडैया गांव में 23 दिसंबर 1902 को चौधरी चरण सिंह का जन्म हुआ था। आर्थिक संकट से जूझता उनका परिवार नूरपुर की मंडैया से जानी के पास भूपगढ़ी गांव चला गया। यहां पर दो वक्त की रोटी की लड़ाई चौधरी चरण सिंह के परिवार को खरखौदा के पास स्थित भदौला गांव ले गईं। किसी तरह से चौधरी चरण सिंह ने अपनी पढ़ाई पूरी की और फिर मेरठ आगरा यूनिवर्सिटी से लॉ की डिग्री प्राप्त की।
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पहली बार बने विधायक
लॉ की डिग्री लेने के बाद चौधरी चरण सिंह ने गाजियाबाद से अपने पेशे की शुरूआत की थी। साल 1929 में मेरठ आ गए और बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए। वह सबसे पहले साल 1937 में छपरौली से उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए चुने गए। वहीं साल 1946, 1952, 1962 और 1967 में विधानसभा में अपने निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया गया। वहीं चौधरी चरण सिंह ने साल 1946 में पंडित गोविंद वल्लभ पंत की सरकार में संसदीय सचिव बने। उन्होंने चिकित्सा और लोक स्वास्थ्य, राजस्व, न्याय और सूचना समेत कई विभागों में कार्य किया।
जून 1951 में चौधरी चरण सिंह को राज्य के कैबिनेट मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया। इस दौरान उन्होंने न्याय और सूचना विभागों का प्रभार दिया गया। फिर साल 1952 में वह डॉ. सम्पूर्णानन्द के मंत्रिमंडल में राजस्व एवं कृषि मंत्री बने। अप्रैल 1959 में चौधरी चरण सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दिया, तो उस दौरान उन्होंने राजस्व एवं परिवहन विभाग का प्रभार संभाला हुआ था।
लेखपाल का पद
बता दें कि चौधरी चरण सिंह ने ही उत्तर प्रदेश में लेखपाल का पद बनाया था। इसके अलावा उन्होंने यूपी भूमि संरक्षण का भी कानून पारित किया था। साल 1967 में वह यूपी के सीएम बने और फिर साल 1968 में चौधरी चरण सिंह ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद वह गृहमंत्री रहते हुए मंडल और अल्पसंख्यक आयोग की स्थापना की। चौधरी चरण सिंह ने राष्ट्रीय कृषि ग्रामीण विकास बैंक नाबार्ड की स्थापना की और चकबंदी कानून, जमींदारी उन्मूलन विधेयर और ग्रामीण विकास बैंक की स्थापना की थी।
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