Madhavrao Scindia Death Anniversary: माधवराव सिंधिया ने जनसंघ से शुरू किया था सियासी सफर, प्लेन क्रैश में हुई थी मौत

Madhavrao Scindia
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मुंबई में 10 मार्च 1945 को माधवराव सिंधिया का जन्म हुआ था। इनके पिता का नाम जीवाजीराव सिंधिया और मां का नाम विजया राजे सिंधिया था। पिता की मृत्यु के बाद माधवराव सिंधिया ग्वालियर के महाराज बने थे। इस राजघराने का अपना एक इतिहास रहा है।

आज ही के दिन यानी की 30 सितंबर को पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे माधवराव सिंधिया का निधन हो गया था। उन्होंने अपना राजनीतिक सफर जनसंघ से शुरू किया था। उन्होंने लगातार 9 बार लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की। वहीं माधवराव सिंधिया केंद्र में नागरिक विमानन, रेल, पर्यटन और मानव संसाधन विकास मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाली। करीब 4 दशक की राजनीतिक सफर में माधवराव सिंधिया के पास दो ऐसे मौके आए, जब वह मध्यप्रदेश के सीएम पद के करीब पहुंच गए, लेकिन दोनों ही बार किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया। तो आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर माधवराव सिंधिया के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...

जन्म और परिवार

मुंबई में 10 मार्च 1945 को माधवराव सिंधिया का जन्म हुआ था। इनके पिता का नाम जीवाजीराव सिंधिया और मां का नाम विजया राजे सिंधिया था। पिता की मृत्यु के बाद माधवराव सिंधिया ग्वालियर के महाराज बने थे। इस राजघराने का अपना एक इतिहास रहा है। आजादी के बाद भी यह राजघराना राजनीतिक गलियारों के जरिये ग्वालियर के सत्ता पर काबिज़ है।

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राजनीतिक सफर

साल 1971 में माधवराव सिंधिया ने जनसंघ से अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत की थी। वह जनसंघ के टिकट पर देश के सबसे युवा सांसद बने। इस दौरान बीजेपी के नेता और पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने उनकी काफी ज्यादा मदद की थी। लेकिन माधवराव सिंधिया अधिक समय तक जनसंघ में नहीं टिके और उन्होंने अपनी मां विजया राजे सिंधिया से बगावत कर कांग्रेस का दामन थाम लिया।

फिर साल 1980 में माधवराव सिंधिया ने गुना से चुनाव जीता और साल 1984 के चुनाव में मां से सीधी टक्कर ने बचने के लिए सिंधिया ने ग्वालियर से चुनाव लड़ा। यह चुनाव इतिहास बन गया, क्योंकि यहां से उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी को हराया था। इस चुनाव के बाद से माधवराव का राजनीतिक घोड़ा दिल्ली में रफ्तार से दौड़ने लगा। माधवराव सिंधिया ने कांग्रेस सरकार में कई महत्वपूर्ण मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाली।

बता दें कि साल 1998 में सोनिया गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष बनाने में माधवराव सिंधिया ने अहम भूमिका निभाई थी। हालांकि उस दौरान सोनिया गांधी सही तरीके से हिंदी नहीं बोल पाती थीं, तब माधवराव सिंधिया ने संसद के बाहर और पार्टी के मामलों की जिम्मेदारी को अच्छे तरीके से संभाला। सिंधिया को खेल से भी लगाव रहा था और वह 1990-1993 के बीच बीसीसी के अध्यक्ष भी रहे थे। माधवराव सिंधिया की लोकप्रियता जितनी कांग्रेस पार्टी के अंदर थी, उतनी की पार्टी से बाहर भी थी।

मृत्यु

वहीं 30 सितंबर 2001 को प्लेन क्रैश में माधवराव सिंधिया की मौत हो गई थी। कहा जाता है कि यदि माधवराव सिंधिया जीवित होते तो मनमोहन सिंह की जगह वह प्रधानमंत्री बनते।

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