कम उम्र में तोड़ा घर से नाता, इन चमत्कारों ने बनाया मदर टेरेसा को मसीहा

Mother Teresa
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निधि अविनाश । Sep 5 2022 4:22PM

सेवा क्षेत्र में जुड़ने के बाद मदर टेरेसा ने अपनी ड्रेस को बदलकर साड़ी में तब्दील कर दिया ताकि वो लोगों के बीच आसानी से रह सके। आसान जीवन जीने वाली मदर टेरेसा ने झोपड़ी तक में अपना गुजारा किया और भीख मांगी ताकि लोगों का गुजारा किया जा सके।

निःस्वार्थ भाव से अपना पूरा जीवन लोगों की मदद में लगाने वाली मदर टेरेसा को न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया में पहचान मिली। मदर टेरेसा का असली नाम तो वैसे एग्नेस था लेकिन सेवा क्षेत्र में आगे बढ़ने के बाद उन्होनं अपना नाम बदलकर मदर टेरेसा रखा। वह अपने इस नाम से संत थेरेस ऑस्ट्रेलिया और टेरेसा ऑफ अविला को सम्मान देना चाहती थी और इसिलए उन्होंने अपना नाम बदल लिया। जब वह 18 साल की थी तो उन्होंने अपना घर छोड़ने का फैसला किया और सिस्टर ऑफ लोरिटो से जुड़ने के लिए आयरलैंड चली गई। इसके बाद जब तक वह जिदा रही तब तक वह घर नहीं गई। साल 1920 में वह भारत आई थी। साल 1931 में उन्होंने नन की बहुत कड़ी ट्रेनिंग ली और उसके बाद कोलकाता के स्कूलों में काम करना शुरू कर दिया। जब वह भारत में थी तो उन्हें यहां की गरीबी और लोगों की स्थिति देखकर बहुत दुख होता था।

लोगों के लिए मांगी भीख

सेवा क्षेत्र में जुड़ने के बाद मदर टेरेसा ने अपनी ड्रेस को बदलकर साड़ी में तब्दील कर दिया ताकि वो लोगों के बीच आसानी से रह सके। आसान जीवन जीने वाली मदर टेरेसा ने झोपड़ी तक में अपना गुजारा किया और भीख मांगी ताकि लोगों का गुजारा किया जा सके। स्लम की जिंदगी जीना इतना मुश्किल था कि कभी-कभार उनका मन वापस कॉन्वेंट लौटने का हुआ पर वो हार नहीं मानी और अपने काम के प्रति डटी रही। प्लेग जैसी गंभीर बीमारी के मरीजों की मदद तक मदर टेरेसा ने की।

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वो चमत्कार जिन्होंने बनाया मदर टेरेसा को मसीहा

कहा जाता है कि मदर टेरेसा ने कई चमत्कार किए हैं। एक फ्रांसीसी लड़की की रोड एक्सीडेंट में पसलियां टूट गई थी, लेकिन जैसे ही उसने मदर टेरेसा के एक पदक को छुआ तो उसकी अपने आप पसलिया ठीक हो गई थी। वहीं एक फिलिस्तीनी लड़की ने बताया था कि उसने सपने में मदर टेरेसा को देखा था जिसके बाद उसका हड्डी का कैंसर ठीक हो गया था। भारत की मोनिका बेसरा जो कि ट्यूमर से पीड़ित थी ने भी दावा किया था कि उनका कैंसर मदर टेरेसा के कारण ही ठीक हो पाया है। जानकारी के लिए बता दें कि मदर टेरेसा ने साल 1947 में भारत की नागरिकता हासिल कर ली थी और वह फर्राटेदार बंगाली बोल लेती थी। 

मिला नोबेल पुरस्कार

मदर टेरेसा को उनके मानव कल्याणकारी कार्यों को देखते हुए साल 1970 में शांति के नोबेल पुरस्‍कार से सम्मानित किया गया। इस सम्माम के साथ उन्हें बहुत बड़ी राशि भी मिली थी जिसे उन्होंने बच्चों के ले दान कर दिया था। मदर टेरेसा को साल 1980 में भारत सरकार द्वारा भारत के सर्वोच्‍च पुरस्‍कार भारत रत्‍न से सम्‍मानित किया गया।

- निधि अविनाश

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