Motilal Nehru Death Anniversary: देश की आजादी में पंडित मोतीलाल नेहरू का था अहम योगदान, दो बार बने थे कांग्रेस अध्यक्ष

आज ही के दिन यानी की 06 फरवरी को प्रख्यात वकील और राजनीतिज्ञ पंडित मोतीलाल नेहरु का निधन हो गया था। वह कश्मीरी पंडित थे और देश की स्वतंत्रता की लड़ाई में पंडित मोतीलाल नेहरु ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था।
आज ही के दिन यानी की 06 फरवरी को पंडित मोतीलाल नेहरु का निधन हो गया था। वह आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री रहे पंडित जवाहर लाल नेहरू के पिता था। मोतीलाल नेहरू अपने समय से बड़े वकील थे। उस दौर में वह उच्च शिक्षा के लिए कैंब्रिज यूनिवर्सिटी गए थे। वह कश्मीरी पंडित थे और देश की स्वतंत्रता की लड़ाई में पंडित मोतीलाल नेहरु ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। तो आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर पंडित मोतीलाल नेहरू के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
जन्म और परिवार
उत्तर प्रदेश के आगरा में 06 मई 1861 एक कश्मीरी ब्राह्मण परिवार में पंडित मोती लाल नेहरू का जन्म हुआ था। बचपन में ही मोतीलाल नेहरु के सिर से माता-पिता का साया उठ गया था। जिसके बाद मोतीलाल की परवरिश उनके बड़े भाई नंदलाल नेहरू ने की थी। नंदलाल हाईकोर्ट के एक बड़े वकील थे। उन्होंने अपने छोटे भाई मोतीलाल नेहरू को बड़ी शान-ओ-शौकत से पाला था। उन्होंने मोतीलाल नेहरू का एडमिशन ब्रिटिश सरकार के स्कूल में कराया। बाद में पंडित मोतीलाल नेहरू ने इलाहाबाद के म्योर सेंट्रल कॉलेज से कानून की पढ़ाई की थी।
इसे भी पढ़ें: Satyendranath Bose Death Anniversary: सत्येंद्रनाथ बोस ने विज्ञान के क्षेत्र में दिया था अमिट योगदान, जानिए रोचक बातें
करियर
मोतीलाल नेहरू अपने कॉलेज में लॉ में टॉप किया था। फिर साल 1883 में उन्होंने पंडित पृथ्वीनाथ के सानिध्य में लॉ की प्रैक्टिस करना शुरूकर दिया। इसके 3 साल बाद उन्होंने अपने भाई नंदलाल नेहरू के साथ प्रैक्टिस करने लगे।
पांच रुपए थी पहली कमाई
बता दें कि ब्रिटिश राज में अंग्रेज जज भारतीय जजों को अधिक तवज्जो नहीं दिया करते थे। लेकिन जब पंडित मोतीलाल नेहरु बोलते थे, तो अंग्रेज भी उनके व्यक्तित्व से प्रभावित होते थे। मोतीलाल नेहरू उस दौर के भारत के सबसे बड़े वकीलों में शुमार थे।
स्वतंत्रता संग्राम में हुए शामिल
साल 1920 में महात्मा गांधी की बातों और विचारों से मोतीलाल नेहरू इतना प्रभावित हुए कि स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हो गए। यह वह दौर था, जब मोतीलाल नेहरु अपने पेशे में शीर्ष स्थान पर थे। लेकिन इस समय उनके लिए भारत की स्वतंत्रता पहले थी और वकालत का पेशा बाद में था। खराब स्वास्थ्य होने के बाद भी मोतीलाल नेहरू गांधी जी के साथ नमक सत्याग्रह का समर्थन करने के लिए गुजरात गए। बता दें कि उनको दो बार कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया। वहीं कुछ महीने वह जेल में भी रहे, लेकिन खराब स्वास्थ्य के चलते रिहा कर दिए गए।
मृत्यु
वहीं 06 फरवरी 1931 को खराब स्वास्थ्य के चलते पंडित मोती लाल नेहरू का निधन हो गया था।
अन्य न्यूज़











