PV Narasimha Rao Birth Anniversary: भारत की राजनीति के चाणक्य थे पीवी नरसिम्हा राव, एक हादसे की वजह से बन गए थे PM

PV Narasimha Rao
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भारत की राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले पूर्व पीएम नरसिम्हा राव का 28 जून को जन्म हुआ था। उन्होंने देश की आर्थिक स्थिति में सुधार और आम आदमी के जीवन स्तर को ऊंचा उठाने के लिए कई ऐतिहासिक फैसले लिए थे।

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव का आज ही के दिन यानी की 28 जून को जन्म हुआ था। देश में आर्थिक सुधारों का श्रेय पीवी नरसिम्हा राव को जाता है। क्योंकि उन्होंने देश की आर्थिक स्थिति में सुधार और आम आदमी के जीवन स्तर को ऊंचा उठाने के लिए कई ऐतिहासिक फैसले लिए थे। उनको भारत की राजनीति का चाणक्य कहा जाता था। तो आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर भारत के पूर्व पीएम पीवी नरसिम्हा राव के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...

जन्म और शिक्षा

आंध्र प्रदेश के करीमनगर में 28 जून 1921 को पीवी नरसिम्हा राव का जन्म हुआ था। उन्होंने अपनी शुरूआती शिक्षा पूरी करने के बाद हैदराबाद के उस्मानिया यूनिवर्सिटी, मुंबई विश्वविद्यालय और नागपुर यूनिवर्सिटी से अपनी पढ़ाई पूरी की थी।

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राजनीतिक सफर

पीवी नरसिम्हा राव ने बतौर वकील अपने करियर की शुरूआत की, लेकिन बाद में वह राजनीति में आए। साल 1962 से 1964 तक आंध्र प्रदेश में वह कानून और सूचना मंत्री फिर साल 1967 तक कानून और विधि मंत्री, फिर 1967 में स्वास्थ्य और चिकित्सा मंत्री और 1968 से 1971 तक शिक्षा मंत्री रहे। वहीं साल 1971 से लेकर 1973 तक वह आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे। साल 1975 से 1976 तक वह अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के महासचिव पद पर रहे।

बता दें कि साल 1991 के चुनाव से पहले नरसिम्हा राव 69 साल के हो चुके थे। वहीं खुद राजीव गांधी भी युवाओं को कांग्रेस के लिए मौका देने लगे थे। ऐसे में राव ने फैसला किया कि अब उनके राजनीति से दूर जाने का समय आ चुका है। उन्होंने कभी प्रधानमंत्री बनने की कोई महत्वकांक्षा नहीं दिखाई।

ऐसे बनें देश के प्रधानमंत्री

नरसिम्हा राव के पीएम बनने के पीछे बड़ी वजह तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की असमय मौत बताई गई थी। इस घटना ने न सिर्फ देश बल्कि चुनाव की भी तस्वीर बदल गई। जहां राजीव गांधी की मौत से पहले भाजपा और कांग्रेस में टक्कर चल रही थी, तो वहीं इस हादसे के बाद कांग्रेस के पक्ष में सहानुभूति की लहर दौड़ गई और लोकसभा में 232 सीटें जीतकर कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। हालांकि पार्टी को बहुमत नहीं मिला, लेकिन फिर भी वह सरकार बनाने में सक्षम थी। अब कांग्रेस के सामने नेतृ्त्व का संकट था। राजीव गांधी के बच्चे छोटे थे और सोनिया गांधी राजनीति में आना नहीं चाहती थीं।

ऐसे में वरिष्ठता के आधार पर सर्वानुमति पीवी नरसिम्हा राव के नाम पर मुहर लगी और वह देश के 9वें प्रधानमंत्री बन गए। उन्होंने बतौर पीएम पार्टी के अंदर चल रही गतिरोधों को संभाला। लेकिन इसके कारण नरसिम्हा राव के विरोधी बढ़ते गए। वहीं अर्जुन सिंह और शरद पराव जैसे नेताओं ने पार्टी छोड़ दी, लेकिन फिर भी नरसिम्हा राव की सरकार ने पांच साल पूरे किए।

बदलावों के गवाह रहा कार्यकाल

पीएम नरसिम्हा राव का कार्यकाल कई बदलावों का गवाह रहा। फिर चाहे वह साल 1991 में अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह को वित्तमंत्री बनाकर देश में निजीकरण करना हो, या बाबर मस्जिद ढांचा ढहाए जाने का विवाद हो। उन्होंने पंजाब से आतंकवाद का खात्मा, परमाणु कार्यक्रम की शुरुआत और भारत का गिरवी रखा सोना छुड़वाकर विदेशी मुद्रा भंडार में इजाफा ऐसे ही कुछ काम किए हैं।

मृत्यु

वहीं 23 दिसंबर 2004 को 83 साल की उम्र में पीवी नरसिम्हा राव का निधन हो गया था।

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