Sam Manekshaw Death Anniversary: पाकिस्तान पर भारी पड़ गए थे फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ, नाराज होकर सेना में हुए थे भर्ती

पंजाब के अमृतसर में 03 अप्रैल 1914 में सैम मानेकशॉ का जन्म हुआ था। उन्होंने अपनी शुरूआती शिक्षा नैनीताल के शेरवुड कॉलेज से पूरी की थी। बाद में वह देहरादूर के इंडियन मिलिटरी अकादमी में पढ़ाई करने लगे। हालांकि सैम इंग्लैंड जाकर पढ़ाई करना चाहते थे।
भारतीय सेना में फील्ड मार्शल का पद पाने वाले सैम मानेकशॉ अपनी बहादुरी के किस्सों के लिए जाने जाते हैं। आज ही के दिन यानी की 27 जून को 94 साल की उम्र में सैम का निधन हो गया था। सैम मानेकशॉ अपनी बहादुरी और रण कौशल के लिए जाने जाते थे। वहीं उनके नेतृत्व में भारतीय सेना ने पाकिस्तान को युद्ध में धूल चटाई थी। वहीं फर्स्ट वर्ल्ड वॉर में भी सैम मानेकशॉ की अहम भूमिका थी। वह अपनी बहादुरी, जिंदादिली और हाजिरजवाबी के लिए भी जाने जाते थे। तो आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर सैम मानेकशॉ के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
जन्म और परिवार
पंजाब के अमृतसर में 03 अप्रैल 1914 में सैम मानेकशॉ का जन्म हुआ था। उन्होंने अपनी शुरूआती शिक्षा नैनीताल के शेरवुड कॉलेज से पूरी की थी। बाद में वह देहरादूर के इंडियन मिलिटरी अकादमी में पढ़ाई करने लगे। हालांकि सैम इंग्लैंड जाकर पढ़ाई करना चाहते थे। लेकिन उनके पिता ने इसकी इजाजत नहीं दी। ऐसे में सैम नाराज होकर सेना में भर्ती हो गए और सैम मानेकशॉ से सैम बहादुर बन गए।
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ब्रिटिश इंडियन आर्मी
साल 1934 में सैम मानेकशॉ ब्रिटिश इंडियन आर्मी में भर्ती हुए। वहीं सेकेंड वर्ल्ड वॉर के दौरान सैम मानेकशॉ ने बर्मा में अपनी सेवाएं दीं, जहां पर वह गंभीर रूप से घायल हो गए थे। वहीं देश की आजादी के बाद वह भारतीय सेना में शामिल रहे और इस दौरान वह विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर भी कार्यरत रहे।
साल 1942 में सैम अपने साथियों के साथ बर्मा के मोर्चे पर तैनात थे। युद्ध के दौरान जापानी सैनिक ने सैम के शरीर में 7 गोलियां दाग दीं। जोकि उनकी आंत, लिवर और किडनी में जाकर लगी। सैम मानेकशॉ की हालात इतनी गंभीर थी कि डॉक्टर ने पहले तो इलाज के लिए मना कर दिया, लेकिन इलाज के बाद तो जैसे उनके साथ चमत्कार हो गया और वह पूरी तरह से स्वस्थ हो गए।
सम्मान
बता दें कि सैम मानेकशॉ को उनकी बहादुरी के लिए कई सम्मान भी मिले थे। वहीं साल 1972 में सैम को फील्ड मार्शल का पद दिया गया था, जोकि भारतीय सेना का सर्वोच्च रैंक होता है। फील्ड मार्शल का पद पाने वाले वह देश के पहले सैन्य अधिकारी बने थे। साल 1968 में पद्म भूषण और 1972 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।
भारत-पाक युद्ध
साल 1971 में देश की तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने सैम मानेकशॉ से पाकिस्तान पर चढ़ाई करने के लिए कहा। लेकिन सैम ने पीएम को ऐसा करने से साफ इंकार कर दिया। उन्होंने कहा कि यह समय सही नहीं है और उनको 6 महीने का समय दीजिए। जिस पर पीएम इंदिरा गांधी मान गईं और सैम ने 6 महीनों में सेना को इस तरह से तैयार किया कि भारत ने युद्ध में पाकिस्तान के छक्के छुड़ा दिए थे।
मृत्यु
बता दें कि साल 1973 में सैम सेना प्रमुख के पद से रिटायर हुए खे। इसके बाद वह तमिलनाडु के कन्नूर में रहने लगे। वहीं 27 जून 2008 को 94 साल की उम्र में सैम मानेकशॉ का निधन हो गया था।
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