Ram Mohan Roy Birth Anniversary: राम मोहन राय ने रखी थी आधुनिक भारत की नींव, सती प्रथा पर लगवाया था प्रतिबंध

बंगाल के एक रूढ़िवादी बाह्मण परिवार में 22 मई 1772 को राजा राम मोहन राय का जन्म हुआ था। इनके पिता का नाम रमाकांत और माता का नाम तारिणी देवी था। इन्होंने अंग्रेजी, संस्कृत, अरबी, फारसी और लैटिन जैसी कई भाषाओं में शिक्षा प्राप्त की थी।
भारत के महान समाज सुधारक और आधुनिक भारत के जनक राजा राम मोहन रॉय का 27 सितंबर को निधन हो गया था। वह आधुनिक भारत के पुनर्जागरण के जनक और एक अथक समाज सुधारक थे। राजा राम मोहन राय के अथक प्रयासों के चलते ही भारत में सती प्रथा जैसी कुरीतियों को दूर किया जा सका। वह एक ऐसे व्यक्तित्व थे, जिन्होंने भारत में सामाजिक और धार्मिक पुर्जागरण के क्षेत्र में विशेष स्थान हासिल किया है। तो आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर राजा राम मोहन राय के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
जन्म और परिवार
बंगाल के एक रूढ़िवादी बाह्मण परिवार में 22 मई 1772 को राजा राम मोहन राय का जन्म हुआ था। इनके पिता का नाम रमाकांत और माता का नाम तारिणी देवी था। इन्होंने अंग्रेजी, संस्कृत, अरबी, फारसी और लैटिन जैसी कई भाषाओं में शिक्षा प्राप्त की थी।
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सती प्रथा के खिलाफ संघर्ष
बता दें कि सती प्रथा के उन्मूलन में राजा राम मोहन रॉय का सबसे बड़ा योगदान रहा है। उन्होंने इस अमानवीय प्रथा के खिलाफ आंदोलन चलाया जा रहा है। राजा राम मोहन राय ने तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड विलियम बेंटिक की मदद से 1829 में सती प्रथा पर प्रतिबंध लगवाया था।
ब्रह्म समाज की स्थापना
साल 1828 में राजा राम मोहन राय ने ब्रह्म समाज की स्थापना की थी। इसने भारत में धार्मिक सुधार और समानता की दिशा में बड़ा कदम उठाया था। ब्रह्म समाज ने जातिवाद, मूर्तिपूजा और अन्य सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठाई।
शिक्षा और पत्रकारिता में दिया अहम योगदान
भारतीय समाज में राजा राम मोहन रॉय ने शिक्षा के महत्व को समझा और साथ ही अंग्रेजी शिक्षा को बढ़ावा दिया था। उन्होंने कई विद्यालयों की स्थापना की और 'संवाद कौमुकी' नामक बंगाली अखबार भी शुरू किया। आगे चलकर यह समाज को जागरुक करने का माध्यम बना।
निधन
साल 1830 में राजा राम मोहन राय इंग्लैंड गए, जहां पर उन्होंने भारतीय हितों की वकालत की। वहीं 27 सितंबर 1833 को राजा राम मोहन राय का निधन हो गया।
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