सत्यपाल मलिक, पिछले पांच दशक में J & K के राज्यपाल बनने वाले पहले राजनीतिज्ञ

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[email protected] । Aug 23 2018 7:44PM

सत्यपाल मलिक जम्मू कश्मीर के राज्यपाल के तौर पर शपथ लेने वाले पिछले पांच दशक में प्रथम राजनीतिज्ञ हैं। उन्होंने अपने करीब 50 साल के राजनीतिक करियर में तकरीबन सभी विचारधारा वाली पार्टियों के साथ काम किया।

नयी दिल्ली। सत्यपाल मलिक जम्मू कश्मीर के राज्यपाल के तौर पर शपथ लेने वाले पिछले पांच दशक में प्रथम राजनीतिज्ञ हैं। उन्होंने अपने करीब 50 साल के राजनीतिक करियर में तकरीबन सभी विचारधारा वाली पार्टियों के साथ काम किया। मलिक (72) ने अपना राजनीतिक सफर एक समाजवादी छात्र नेता के तौर पर शुरू किया था और अलग - अलग विचारधारा वाली पार्टियों में शामिल हुए। इनमें कांग्रेस, भाजपा और चरण सिंह का भारतीय क्रांति दल तथा वीपी सिंह नीत जनता दल शामिल है। उन्हें चार अक्तूबर 2017 को बिहार का राज्यपाल नियुक्त किया गया था।

जम्मू कश्मीर में राज्यपाल के पद पर 1967 से सेवानिवृत्त नौकरशाह, राजनयिक, पुलिस अधिकारी और थल सेना के जनरल नियुक्त किए जाते रहे थे। मलिक से पहले 1965 से 1967 के बीच कर्ण सिंह राज्यपाल के पद पर रहे थे। मलिक से पहले इस पद पर नियुक्त किए गए वह आखिरी राजनीतिज्ञ थे। जम्मू कश्मीर को भारत में मिलाए जाने के बाद सिंह ‘सद्र ए रियासत’ थे। 

मलिक वीपी सिंह कैबिनेट में शामिल रहे थे और उन्होंने जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद के साथ भी काम किया था। विशेषज्ञों का कहना है कि मलिक की नियुक्ति को बदलते राजनीतक परिदृश्य के आलोक में भी देखा जा सकता है। दरअसल, जम्मू कश्मीर में आगामी स्थानीय निकाय चुनाव के अलावा पीडीपी के असंतुष्ट विधायकों के भाजपा से हाथ मिला सकने की चर्चा के बीच उनकी यह नियुक्ति हुई है। 

राममनोहर लोहिया से प्रेरित मलिक ने मेरठ विश्वविद्यालय में एक छात्र नेता के तौर पर अपना राजनीतिक करियर शुरू किया था। वह उत्तर प्रदेश के बागपत में 1974 में चरण सिंह के भारतीय क्रांति दल से विधायक चुने गए थे। मलिक 1984 में कांग्रेस में शामिल हो गए और इसके राज्यसभा सदस्य भी बने लेकिन बोफोर्स घोटाले के मद्देनजर तीन साल बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया। वह वीपी सिंह नीत जनता दल में 1988 में शामिल हुए और 1989 में अलीगढ़ से सांसद चुने गए।

वर्ष 2004 में मलिक भाजपा में शामिल हुए और लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन इसमें उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री चरण सिंह के बेटे अजीत सिंह से शिकस्त का सामना करना पड़ा। बिहार के राज्यपाल पद की पिछले साल शपथ लेने से पहले वह भाजपा किसान मोर्चा के प्रभारी थे। वह केंद्रीय राज्य मंत्री और उत्तर प्रदेश सरकार में भी अहम पदों पर रह चुके हैं। 

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