खामोश हो गए स्वर कोकिला लता मंगेशकर के सुर

lata mangeshkar

लता का जन्म गोमंतक मराठा समाज परिवार में, मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में हुआ था। उनके पिता रंगमंच कलाकार और गायक थे। इनके परिवार से भाई हृदयनाथ मंगेशकर और बहनों उषा मंगेशकर, मीना मंगेशकर और आशा भोंसले सभी ने संगीत को ही अपनी आजीविका के लिये चुना।

भारत की स्वर कोकिला लता मंगेशकर अब हमारे बीच नहीं रही, 6 फरवरी को 'स्वर कोकिला' ने आखिरी सांस ली, आज हम लता जी के बारे में चर्चा करते हैं। 

'भारत रत्‍न' से सम्‍मानित गायिका ने मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्‍पताल में अंतिम सांस ली। वह 92 वर्ष की थीं। उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से भी नवाजा जा चुका है। इसके अलावा उन्हें पद्म भूषण, पद्म विभूषण और दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।

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लता जी का प्रारम्भिक जीवन 

लता का जन्म गोमंतक मराठा समाज परिवार में, मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में हुआ था। उनके पिता रंगमंच कलाकार और गायक थे। इनके परिवार से भाई हृदयनाथ मंगेशकर और बहनों उषा मंगेशकर, मीना मंगेशकर और आशा भोंसले सभी ने संगीत को ही अपनी आजीविका के लिये चुना। हालांकि लता का जन्म इंदौर में हुआ था लेकिन उनकी परवरिश महाराष्ट्र मे हुई। वह बचपन से ही गायक बनना चाहती थीं। पिता की मृत्यु के बाद (जब लता सिर्फ़ तेरह साल की थीं), लता को पैसों की बहुत किल्लत झेलनी पड़ी और काफी संघर्ष करना पड़ा। उन्हें अभिनय बहुत पसंद नहीं था लेकिन पिता की असामयिक मृत्यु की कारण से पैसों के लिये उन्हें कुछ हिन्दी और मराठी फिल्मों में काम करना पड़ा। 

संगीतकार आनंदघन भी थीं लता

गायकी के अलावा लता जी की शख़्सियत के कई पहलू थे जिनके बारे में लोग कम जानते हैं। मसलन लता मंगेशकर का आनंदघन नाम के संगीत निर्देशक से करीबी रिश्ता। आनंदघन ने 60 के दशक में चार मराठी फ़िल्मों के लिए म्यूज़िक दिया। ये व्यक्ति कोई और नहीं बल्कि लता मंगेशकर ख़ुद थीं जो नाम बदलकर संगीत देती थीं। 1950 में उन्होंने अपने असली नाम तले भी एक मराठी फ़िल्म का संगीत दिया था- राम राम पहुणे। लेकिन ये सिलसिला ज़्यादा नहीं चला।

मराठी फ़िल्म साधी माणस को सर्वश्रेष्ठ संगीत का पुरस्कार मिला था. लेकिन लता मंगेशकर अपनी सीट पर शांत बैठी रही। तब किसी ने बताया कि संगीतघन कोई और नहीं लता मंगेशकर हैं।

अभिनय से शुरू हुआ था सफ़र

लता जी के बचपन में ही पिता के गुज़रने के बाद उन्हें छोटे-मोटे रोल में अभिनय कर परिवार के लिए पैसा कमाना पड़ रहा था। लेकिन लता को मेक-अप, एक्टिंग से कोई खास लगाव नहीं था क्योंकि उन्हें तो बस गायिका बनना था। इसी दौरान उनकी ज़िंदगी में संगीत निर्देशक उस्ताद ग़ुलाम हैदर आए। उन्होंने लता की आवाज़ सुनी तो उन्हें लेकर निर्देशकों के पास गए। उस समय लता जी केवल 19 साल की थी और उनकी पतली आवाज़ नापसंद कर दी गई। लेकिन ग़ुलाम हैदर अपनी बात पर अड़े रहे और फ़िल्म मजबूर में लता से मुनव्वर सुल्ताना के लिए प्लेबैक करवाया। लता बताती हैं कि ग़ुलाम हैदर ने उनसे कहा था कि एक दिन तुम बहुत बड़ी कलाकार बनोगी और जो लोग तुम्हें नकार रहे हैं, वही लोग तुम्हारे पीछे भागेंगे।

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ये अजीब इत्तेफ़ाक है कि नूर जहाँ और ग़ुलाम हैदर दोनों बंटवारे के बाद पाकिस्तान चले गए पर लता के लिए उनकी कही बात सच हो गई।

जीवन में बहुत संघर्ष कर आगे बढ़ी लता जी 

लता जी ने अपने जीवन में बहुत से संघर्षों का सामना किया। कैरियर के शुरूआती दिनों में उन्हें बहुत से संगीतकारों ने पतली आवाज के कारण मना कर दिया लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। धीरे-धीरे अपनी प्रतिभा, मेहनत तथा धैर्य से आगे बढ़ी और संगीत की दुनिया में प्रसिद्ध प्राप्त की।

लता दीदी के बारे में जाने कुछ खास बातें

लता जी ने लगातार छः दशकों तक अपनी प्रतिभा से दुनिया भर में छायी रहीं। उन्होंने 20 भाषाओं में 30,000 गाने गाए। उनके गानों ने कभी भी सीमा पर खड़े जवानों को हिम्मत दी तो किसी की आंखों में आंसू भर दिए। अपनी बहन आशा भोसले के साथ मिलकर उन्होंने बहुत से गाने गाए। पिता दिनानाथ मंगेशकर शास्त्रीय गायक थे। उन्होने अपना पहला गाना मराठी फिल्म 'किती हसाल' (कितना हसोगे?) (1942) में गाया था। लता मंगेशकर को सबसे बड़ा ब्रेक फिल्म महल से मिला। उनका गाया "आयेगा आने वाला" सुपर डुपर हिट था। लता मंगेशकर ने 1980 के बाद से फ़िल्मो में गाना कम कर दिया और स्टेज शो पर अधिक ध्यान देने लगी। वे हमेशा नंगे पाँव गाना गाती थीं।

- प्रज्ञा पाण्डेय

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