Vinayak Damodar Savarkar Death Anniversary: त्याग और तप की प्रतिमूर्ति से वीर सावरकर, जानिए कुछ खास बातें

26 फरवरी को वीर सावरकर का निधन हो गया था। उन्होंने देश के स्वतंत्रता संग्राम में अहम योगदान दिया। तो आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर वीर सावरकर के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में।
काफी लंबे संघर्ष के बाद भारत को आजादी मिली है। इस संघर्ष में कई स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने प्राणों की चिंता किए बिना अपना सबकुछ दांव पर लगा दिया। इन्हीं स्वतंत्रता सेनानियों में एक क्रांतिकारी वीर सावरकर हैं। 26 फरवरी को वीर सावरकर का निधन हो गया था। उन्होंने देश के स्वतंत्रता संग्राम में अहम योगदान दिया। तो आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर वीर सावरकर के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
जन्म और शुरूआती जीवन
महाराष्ट्र के नासिक जिले के भगूर गांव में 28 मई 1883 को एक चितपावन ब्राह्मण परिवार में वीर सावरकर का जन्म हुआ था। इनके पिता का नाम दामोदर सावरकार और मां का नाम राधाबाई सावरकर था। सावरकर के दो भाई और एक बहन थी। वह बचपन से ही तेजस्वी और राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत थे। पुणे के फर्ग्यूसन कॉलेज से अपनी शिक्षा पूरी की और फिर बाद में वह कानून की पढ़ाई के लिए लंदन चले गए।
संगठन और कार्य
बता दें कि सावरकर ने अभिनव भारत सोसायटी नाम की एक भूमिगत सोसायटी की स्थापना की थी। वह यूनाइटेड किंगडम गए, जहां पर इंडिया हाउस और फ्री इंडिया सोसायटी जैसे संगठनों से जुड़े। साल 1937 से लेकर 1943 तक हिंदू महासभा के अध्यक्ष भी रहे।
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सावरकर ने 'द हिस्ट्री ऑफ द वार ऑफ इंडियन इंडिपेंडेंस' पुस्तक लिखी थी। इस पुस्तक में वीर सावरकर ने साल 1857 के सिपाही विद्रोह में इस्तेमाल किए गए छापामार युद्ध के तरीकों के बारे में लिखा था। इसके अलावा उन्होंने 'हिंदुत्व: हिंदू कौन हैं' नामक पुस्तक भी लिखी।
वीर सावरकर के खिलाफ मुकदमे और सज़ा
साल 1990 में वीर सावरकर को मॉर्ले-मिंटो सुधार के खिलाफ सशक्त्र विद्रोह की साजिश के लिए गिरफ्तार कर लिया गया था। जिसके बाद साल 1919 में क्रांतिकारी समूह इंडिया हाउस के साथ संबंधों के लिए भी सावरकर को गिरफ्तार किया गया। इसके अलावा नासिक के कलेक्टर जैक्सन की हत्या के लिये उकसाने और भारतीय दंड संहिता 121-ए के तहत राजा के खिलाफ साजिश रचने का भी सावरकर पर आरोप लगा था। दोनों मुकदमों में सावरकर को दोषी पाया गया और उनको 50 साल की काला पानी की सजा सुनाई गई। साल 1911 में अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में सेलुलर जेल ले जाया गया।
पत्नी की मृत्यु
वहीं 08 फरवरी 1963 को वीर सावरकर की पत्नी यमुनाबाई सावरकर का निधन हो गया। दरअसल यमुनाबाई सावरकर ने इच्छामृत्यु अपनाई थी। जिसके चलते उन्होंने 01 फरवरी को भोजन और पानी का त्याग कर दिया था।
मृत्यु
बता दें कि 26 फरवरी 1966 को मुंबई में वीर सावरकर की मृत्यु हो गई थी। उन्होंने अपनी अंतिम इच्छा में कहा था कि वीर सावरकर के निधन के बाद कोई धार्मिक कर्मकांड न किया जाए। जिसके बाद उनके बेटे विश्वास सावरकर ने मुंबई के सोनापुर श्मशान गृह में उनका अंतिम संस्कार किया।
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