अमृतपाल मामले से बेहतर तरीके से निबट पर भगवंत मान ने अपना दमखम साबित कर दिया है

amritpal singh
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अशोक मधुप । Apr 6 2023 5:42PM

अमृतपाल द्वारा खड़े किए जा रहे खालिस्तान के समर्थन में आंदोलन के दौरान लगा था कि पंजाब की आम आदमी पार्टी सरकार नई है। वह परिस्थितियों का मुकाबला नहीं कर सकेगी। पर उसकी अमृतपाल और उसके साथियों के विरुद्ध की गई कठोर कार्रवाई से ये धारणाएं गलत साबित हुईं।

पंजाब के अजनाला थाने पर हुए हमले में वांछित खालिस्तानी समर्थक और अलगाववादी अमृतपाल सिंह की फरारी पर पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने भले ही नाराजगी जताई हो किंतु पकड़े जाने की जगह उसका फरार रहना ही बेहतर है। वह पकड़ा जाएगा तो जेल में रहकर खुराफात करेगा, उल्टे−सीधे बयान देगा। फरार रहेगा तो उसे सिर्फ पुलिस की गिरफ्तारी से बचने का खौफ होगा। पुलिस की गिरफ्तारी से बचने की योजना उसके दिमाग में होगी। इस दौरान खालिस्तान और खालिस्तान का फितूर उससे बहुत दूर रहेगा।

खालिस्तानी समर्थक और अलगाववादी अमृतपाल सिंह 18 मार्च को जालंधर के महितपुर से फरार हुआ। उसकी फरारी पर पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने नाराजगी जताई। अदालत ने इसे पुलिस और खुफिया विभाग की विफलता करार दिया। न्यायालय ने कहा कि पंजाब पुलिस के 80 हजार जवानों के होते वह कैसे भाग गया? ये सही है कि अलगाववादी अमृतपाल सिंह का पुलिस के घेरे से भाग जाना पुलिस की नाकामी है किंतु इस नाकामी से पंजाब को बड़ा लाभ हुआ है। अलगाववादी अमृतपाल सिंह पकड़ा जाता तो एक बड़ा नाम बन जाता। जेल में रहकर खालिस्तान के समर्थन में बयान देता। सिखों को भड़काता। वह लगातार खुराफात करता रहता और सरकार कुछ नहीं कर पाती, सिर्फ देखती रहती। आज अमृतपाल सिंह फरार है। ऐसे में उसके दिमाग में न खालिस्तान है, न खालिस्तान बनाने का कोई प्लान। वह सिर्फ भाग रहा है। उसे पुलिस का डर है। पकड़े जाने का डर है। डर है कि गिरफ्तार कर पुलिस उसकी पिटाई करेगी। उसे पंजाब की जेल में नहीं रखा जाएगा। उसके पकड़े गए साथियों की तरह दूर असम की डिब्रूगढ़  जेल में रखा जाएगा। या उससे भी यहीं दुरूह जगह पर रखा जायेगा। फरारी के 12 दिन तक उसकी चुप्पी से ये ही पता लगता है।

फरारी के 12वें दिन उसका पहला वीडियो सामने आया। उस वीडियो में उसने सिखों को भड़काने की कोशिश की। वीडियो में उसने श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार से वैशाखी पर तख्त श्री दमदमा साहिब में सरबत खालसा बुलाने की बात कही है। उधर चौतरफा दबाव के बाद अब अमृतपाल के सरेंडर की अटकलें लगीं। चर्चा रही कि वह अमृतसर के स्वर्ण मंदिर स्थित श्री अकाल तख्त साहिब में आकर सरेंडर कर सकता है। इसका पता चलते ही पुलिस ने वहां कड़ी सुरक्षा कर दी। इसके बाद सूचना आई कि वह बठिंडा के तलवंडी साबो स्थित तख्त श्री दमदमा साहिब में सरेंडर कर सकता है। पुलिस सूत्रों के अनुसार, सरेंडर के लिए अमृतपाल ने तीन शर्तें रखी हैं, जिनमें उससे मारपीट नहीं करने, पंजाब की जेल में रखने और सरेंडर को गिरफ्तारी न दिखाने की बात कही है। हालांकि इसके बाद अमृतपाल की एक ऑडियो रिकॉर्डिंग सामने आई, जिसमें उसने सरेंडर करने की बात को नकारते हुए कहा कि वह पुलिस कस्टडी में टॉर्चर से नहीं डरता।

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उसकी मांग पर सरबत खालसा तो नहीं बुलाया गया किंतु शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी की अध्यक्षता में कुछ सिखों ने श्री हरमंदर साहिब से लेकर डीसी दफ्तर तक रोष मार्च निकाला। इस रोष मार्च में हरजिंदर सिंह धामी सहित रागी जत्थो के अलावा एसजीपीसी के सदस्यों ने भी हिस्सा लिया। डीसी दफ्तर के बाहर सभी एकत्रित हुए और पंजाब सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी किया। एसजीपीसी की मांग है कि अमृतपाल के मामले में जिन लोगों पर एनएसए लगाया गया है, वह हटाया जाए। इसके अलावा दूसरे राज्यों की जेलों में भेजे गए सिख नौजवानों को पंजाब में वापस लाया जाए। डीसी दफ्तर पहुंचने के बाद एसजीपीसी की तरफ से डीसी को एक ज्ञापन भी सौंपा गया।

पंजाब में अमृतपाल के द्वारा खड़े किए जा रहे खालिस्तान के समर्थन में आंदोलन के दौरान लगा था कि पंजाब की आम आदमी पार्टी सरकार नई है। वह परिस्थितियों का मुकाबला नहीं कर सकेगी। पर उसकी अमृतपाल और उसके साथियों के विरुद्ध की गई कठोर कार्रवाई से ये धारणाएं गलत साबित हुईं। खालिस्तान की बात करने वाले अमृतपाल और उसके साथियों को भी इतनी कठोर कार्रवाई की उम्मीद नहीं थी। उन्हें लगता था कि सरकार सब देखती रहेगी। वह अपने काम जारी रखेंगे। अजनाला थाने पर हमला करने पर उनका कुछ नहीं बिगड़ा, आगे भी कुछ नहीं बिगड़ेगा। वह आगे भी ऐसा ही करेंगे और दबाव देकर  पुलिस से अपने साथी छुड़ा लेंगे। ज्यादा से ज्यादा गिरफ्तार हुए तो पंजाब की जेल में ही रहेंगे, यहां से उनकी कार्रवाई जारी रहेगी। उन्हें शायद यह उम्मीद बिल्कुल नहीं थी, कि अबकी बार उनके गिरफ्तार साथियों को पंजाब की जेल में नहीं दूसरे प्रदेश की ऐसी जेल में रखा जाएगा, जहां कोई न उनकी भाषा जानने वाला होगा, न ही समर्थक, न सहानुभूति रखने वाला। इन जेलों में तो वह आम कैदी होंगे और आम कैदियों की तरह की उनके साथ व्यवहार होगा। अपने लोगों, रिश्तेदारों से मिलने तक को तरस जाएंगे। अपनी पसंद और अपने प्रदेश का भोजन तक नसीब नहीं होगा।

    

पंजाब की कानून व्यवस्था पर आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय नेता अरविंद केजरीवाल का कहना है, ''हम देशभक्त लोग हैं, भारत माता से प्यार करते हैं और अगर कोई भारत माता के खिलाफ किसी भी तरह की कार्रवाई करेगा तो उसे छोड़ा नहीं जाएगा। पंजाब में शांति बहाल रखने के लिए पिछले कुछ दिनों में भगवंत मान सरकार और आम आदमी पार्टी सरकार ने कई कठोर कदम उठाए हैं। हमें जो सिस्टम मिला उसमें पॉलिटिकल लोगों के साथ क्रिमिनल की जुगलबंदी थी। गैंगस्टर और क्रिमिनल्स को पहले पॉलिटिकल संरक्षण दिया जाता था।"

खालिस्ताल समर्थक अमृतपाल और उसके साथियों के विरुद्ध कार्रवाई ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि इस मामले में केंद्र और प्रदेश सरकार मजबूती से साथ है। अमृतपाल के साथियों की गिरफ्तारी के बाद उनके कुछ कट्टर समर्थकों को जिस तरह गिरफ्तार कर विशेष विमान से असम की डिब्रूगढ़ जेल भेजा गया, उससे प्रदेश और केंद्र के आपसी तालमेल का पता चलता है। इस मुद्दे पर पहली बार केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक निजी चैनल से बातचीत में कहा, "कानून व्यवस्था के मामले में वह पंजाब के साथ चट्टान की तरह खड़े हैं। मैं हर तीन महीने में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान से मिलता हूं। किसी भी राज्य में लॉ एंड ऑर्डर होता है तो पार्टीबाजी से ऊपर उठकर केंद्र सरकार उनके साथ खड़ी होती है। पंजाब सरकार इस मामले में जो भी कदम उठा रही है, केंद्र उनके साथ है।''

इस पूरे प्रकरण में अमृत पाल जहां फरार है, वहीं अमृतपाल के चार सहयोगियों राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) लगाया गया है। अमृतपाल सिंह के चाचा हरजीत सिंह को भी गिरफ्तार किया गया है। अमृतपाल सिंह के चार सहयोगियों- दलजीत सिंह कलसी, भगवंत सिंह, गुरमीत सिंह बाजेका और अमृतपाल के चाचा को असम की डिब्रूगढ़ जेल में रखा गया है। अमृतपाल पर आरोप है कि उसे विदेशी फंडिंग हो रही है। उसके पीछे पाकिस्तान की आईएसआई का हाथ है। अमृतपाल के करीबी सहयोगी 'आनंदपुर खालसा फौज' (एकेएफ) बना रहे थे। अमृतपाल और उसके साथियों के खिलाफ दर्ज छह एफआईआर में अवैध हथियार रखने के अलावा पुलिस के काम में बाधा डालना और पुलिस पर हमला करने जैसे अपराध भी शामिल हैं।

भारत में अमृतपाल और उसके साथियों के विरुद्ध सरकार की कठोर कार्रवाई के दौरान केंद्र और पंजाब सरकार का उम्मीद थी कि इस कार्रवाई के विरोध में पंजाब में तीखी प्रतिक्रिया हो सकती है। इसीलिए  ऑपरेशन के समय पंजाब में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गईं थी। किंतु ऐसा हुआ नहीं। सब ठीक रहा। देश के अंदर कहीं कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई। थोड़ी बहुत प्रतिक्रिया हुई तो अमेरिका, कनाड़ा, इंग्लैड आदि में। वहां भारतीय दूतावास पर प्रदर्शन हुए। तोड़फोड़ हुई। इतना सब होने पर वहां की सरकारें चुप रहीं। सक्रिय हुईं तो भारत के विरोध के बाद।

इन घटनाओं को लेकर भारत कठोर कार्रवाई करेगा, विदेशों में अमृतपाल के पक्ष में प्रदर्शन करने वालों को यह उम्मीद नहीं थी। भारत सरकार ने इनके विरुद्ध मुकदमे दर्ज कराने शुरू कर दिए हैं। इससे प्रदर्शन करने वाले भारतीय पासपोर्ट धारकों पर कार्रवाई किए जाने, विदेशों में नागरिकता लेने वालों के आईओसी (इंडियन ओरिजन कार्ड) निरस्त करने की कार्रवाई की जा रही है। विदेशों की नागरिकता ले चुके प्रदर्शनकारियों को भी घेरे जाने की सूचनाएं हैं। एक चीज और अमृतपाल खुद कह रहा है कि पंजाब पुलिस चाहती तो उसे उसके घर से पकड़ सकती थी। किंतु नहीं पकड़ा। कहीं ऐसा तो नहीं कि उसे जानबूझकर भगाया गया हो और भगाया जा रहा हो। एक बात साफ है कि वह भागा हो, या भगाया गया हो, उसका भागना और फरार रहना देश के लिए लाभप्रद है।

−अशोक मधुप 

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

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