Hindutva Politics में BJP Topper भले है लेकिन और दलों के नेता भी अच्छे अंक लाते रहे हैं

Akhilesh Yadav

अखिलेश हिंदुत्व की राजनीति में भाजपा का मुकाबला करने की तैयारी कर चुके हैं लेकिन सवाल यह है कि ऐसा करने से कहीं उनका मुस्लिम वोटबैंक तो नहीं छिटक जायेगा? विशेषज्ञों की मानें तो ऐसा होने की संभावना नहीं है क्योंकि अखिलेश जानते हैं कि मुस्लिम वोटबैंक पूरी तरह उनके साथ खड़ा है।

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं मथुरा राजनीति का केंद्रबिंदु बनता जा रहा है। भाजपा नेता ही नहीं स्वयं मुख्यमंत्री भी मथुरा का मुद्दा उठा रहे हैं। ऐसे में अब समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने भी कह दिया है कि भगवान श्रीकृष्ण उन्हें रोज सपने में आकर बताते हैं कि इस बार उनकी सरकार बनने जा रही है। अखिलेश यादव ने तो कुछ समय पहले यहां तक भी कहा था कि यदि अयोध्या मामले में फैसला आने के समय उनकी सरकार रही होती तो अब तक अयोध्या में राममंदिर बन भी गया होता। यही नहीं अखिलेश यादव ने गत रविवार को लखनऊ में गोसाईगंज के पास स्थित महुराकलां गांव में नवनिर्मित भगवान परशुराम मंदिर में पूजा अर्चना भी की थी। इससे पहले जब पिछले साल हरिद्वार में कुंभ लगा था तब उसमें भी अखिलेश यादव गये थे। यही नहीं अखिलेश यादव जब-तब संतों का आशीर्वाद ले रहे हैं।

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साफ है कि अखिलेश यादव हिंदुत्व की राजनीति में भाजपा का मुकाबला करने की तैयारी कर चुके हैं लेकिन सवाल यह है कि ऐसा करने से कहीं उनका मुस्लिम वोटबैंक तो नहीं छिटक जायेगा? विशेषज्ञों की मानें तो ऐसा होने की संभावना नहीं है क्योंकि अखिलेश यादव जानते हैं कि मुस्लिम वोटबैंक पूरी तरह उनके साथ खड़ा है। मुस्लिमों ने जैसे तमाम विकल्पों के बावजूद पश्चिम बंगाल में भाजपा को हराने के लिए तृणमूल कांग्रेस नेता ममता बनर्जी का साथ दिया उसी तरह उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में भी एकमुश्त तरीके से मुस्लिम वोट समाजवादी पार्टी और उसके गठबंधन सहयोगियों को ही पड़ने जा रहा है।

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में भले असद्दुदीन ओवैसी कितनी रैलियां कर लें, भले अन्य पार्टियों के मुस्लिम नेता कितने वोट मांग लें, भले अल्पसंख्यकों के लिए केंद्र सरकार की ओर से किये गये कार्यों को कितना ही गिनाया जाये, लेकिन याद रखिये जब मतदान का वक्त आयेगा तब मुस्लिमों का वोट सपा और उसके गठबंधन सहयोगियों को ही पड़ेगा। अपनी बात को वजन देने के लिए आपको जरा पश्चिम बंगाल में हुए चुनाव प्रचार की याद दिलाते हैं। उस समय ममता बनर्जी रैलियों में जिस तरह चंडी पाठ कर रही थीं उसको देखते हुए मीडिया के एक वर्ग में माना जा रहा था कि अल्पसंख्यक वर्ग का वोट उनसे छिटक सकता है। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। ममता को अपने वोटबैंक पर विश्वास था जिसके चलते मुस्लिमों का वोट तो उन्हें मिला ही साथ ही जिस तरह हिन्दुत्व की राजनीति में उन्होंने भाजपा का मुकाबला किया उससे हिंदुओं के वोट भी बड़ी संख्या में उन्हें मिले। अखिलेश यादव ठीक ममता बनर्जी की तर्ज पर आगे बढ़ रहे हैं। उन्हें अपने मुस्लिम वोटबैंक पर विश्वास है और अब वह हिंदू खासकर सवर्ण वोटरों को भी आकर्षित करने में जुटे हैं। तभी तो आत्मविश्वास में भरकर अखिलेश दावा कर रहे हैं कि स्वयं भगवान श्रीकृष्ण आकर उन्हें कह रहे हैं कि इस बार उनकी सरकार बनने जा रही है।

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दूसरी ओर जहां तक मथुरा पर हो रही राजनीति की बात है तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कह चुके हैं कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर और काशी में विश्वनाथ धाम का भव्य निर्माण शुरू हो चुका है ऐसे में ‘मथुरा वृंदावन कैसे छूट जाएगा।’ देखना होगा कि मथुरा का मुद्दा गर्माने का भाजपा को कितना चुनावी लाभ होता है। लेकिन यहां पार्टी को यह अवश्य ध्यान रखना चाहिए कि यह सही है कि हिंदुत्व की राजनीति में भले वह टॉपर हो लेकिन ऐसा नहीं है कि जनता और नेताओं को हिंदुत्ववादी नहीं मानती। दिल्ली विधानसभा चुनावों में प्रचार के दौरान अरविंद केजरीवाल हनुमान चालीसा गा-गाकर और पश्चिम बंगाल चुनावों के प्रचार में ममता बनर्जी चंडी पाठ करके जीत हासिल कर चुके हैं।

-नीरज कुमार दुबे

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