पुल और भवन बनाने की बजाय सरकारों को ज्यादा से ज्यादा अस्पताल बनवाने चाहिए

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देश में आवश्यकता के मुताबिक ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं है। इसलिये केंद्र सरकार विदेशों से भी ऑक्सीजन का आयात कर रही है। भारतीय नौसेना ने विदेशों से ऑक्सीजन और चिकित्सा सामग्री समुद्री मार्ग से लाने के लिए ऑपरेशन समुद्र सेतु-दो शुरू किया है।

भारत में चल रहा कोरोना संक्रमण विकराल होता जा रहा है। देश के सभी प्रदेश इसकी गिरफ्त में आ चुके हैं। कोरोना के नये मरीज आने की संख्या की दृष्टि से भारत दुनिया में पहले स्थान पर पहुँच चुका हैं। भारत में प्रतिदिन चार लाख से अधिक कोरोना के मरीज मिल रहे हैं। कोरोना के बढ़ते प्रभाव को नियंत्रित करने के लिए सरकारी प्रयासों के बावजूद भी कोरोना संक्रमितों के आने की संख्या में कमी नहीं हो पा रही है। कोरोना संक्रमित मरीजों के मिलने का सिलसिला यदि इसी रफ्तार से बढ़ता रहा तो आने वाले कुछ दिनों में ही स्थिति बहुत विकट हो जायेगी।

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कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या में बढ़ोतरी के साथ ही देश में ऑक्सीजन की भारी कमी महसूस की जा रही है। ऑक्सीजन की कमी के चलते कई स्थानों पर कोरोना संक्रमित लोगों की मौत भी हो चुकी है। हालांकि ऑक्सीजन संकट व्याप्त होते ही केंद्र सरकार ने शीघ्रता से आपदा नियंत्रण की दिशा में कार्यवाही करते हुये पूरे देश में ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्रों का केंद्रीकरण कर उसका राज्यवार आवंटन का कोटा तय किया है। जिससे सभी राज्यों को समान रूप से ऑक्सीजन गैस मिल सके। ऑक्सीजन के टैंकरों को पहुंचाने के लिए वायु सेना के विमानों व रेलगाड़ियों का उपयोग किया जा रहा है।

देश में आवश्यकता के मुताबिक ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं है। इसलिये केंद्र सरकार विदेशों से भी ऑक्सीजन का आयात कर रही है। भारतीय नौसेना ने विदेशों से ऑक्सीजन और चिकित्सा सामग्री समुद्री मार्ग से लाने के लिए ऑपरेशन समुद्र सेतु-दो शुरू किया है। नौ युद्धपोतों को विभिन्न बंदरगाहों पर भेज दिया गया है। आईएनएस तलवार बहरीन में मनामा बंदरगाह से 27-27 टन तरल मेडिकल ऑक्सीजन से भरे दो कंटेनर लेकर कर्नाटक के न्यू मंगलौर बंदरगाह पर पहुंच गया है। सिंगापुर भेजा गया आईएनएस ऐरावत 3600 से अधिक ऑक्सीजन सिलेंडरों और कुवैत से आईएनएस कोलकाता दोहा और कतर से 27-27 टन के दो ऑक्सीजन टैंक, तरल ऑक्सीजन, ऑक्सीजन से भरे सिलेंडर, क्रायोजेनिक टैंक और अन्य चिकित्सा उपकरण लेकर आया है। अन्य कई जहाज शीघ्र पहुंचने वाले हैं।

देश में ऑक्सीजन विवाद के चलते कई प्रदेशों में उच्च न्यायालय को दखल देना पड़ा। उच्च न्यायालय में सुनवाई के दौरान सामने आया कि प्रधानमंत्री केयर फंड से जनवरी माह में कई राज्यों के सरकारी अस्पतालों में ऑक्सीजन बनाने के प्लांट लगाने हेतु राशि जारी होने के उपरांत भी राज्य सरकारों द्वारा अभी तक ऑक्सीजन संयंत्र नहीं लगाये गये हैं। यदि समय रहते अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट लगा लिए जाते तो आज देश को इस विकट स्थिति में काफी राहत मिलती।

लगातार कोरोना का कहर झेलने के उपरांत भी केंद्र व राज्य सरकारों ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में कोई विशेष कार्य नहीं किए। देश में नए अस्पताल बनाने की दिशा में कोई पहल नहीं की गई। चिकित्सा संबंधित उपकरणों व दवाइयों के उत्पादन के क्षेत्र पर विशेष ध्यान दिया गया। सरकारों ने अपने वोट बैंक को पक्का करने के लिए चिकित्सा की बजाए अन्य कार्यों पर ही ध्यान केन्द्रित रखा। उसी का नतीजा है कि आज हम कोरोना की दूसरी लहर का मुकाबला करने में असहाय नजर आ रहे हैं।

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कोरोना संक्रमण के बाद बने नये हालात में सरकार को विकास कार्यों की बजाए लोगों की जान बचाने की तरफ अधिक ध्यान देना चाहिए था। मगर ऐसा नहीं किया गया। आज भी केंद्र व राज्य सरकारें अस्पताल बनाने के स्थान पर सड़कें, पुल, पावर हाउस, बिजली की लाइनें डालने, भवन बनाने व सरकार से जुड़े लोगों को ज्यादा से ज्यादा सुविधाएं दिलाने पर ही अधिक ध्यान दे रही हैं। सरकारों के बजट का बड़ा हिस्सा इन्हीं सब कार्यों पर खर्च किया जा रहा है। जबकि कोरोना की पहली लहर के समय ही केंद्र व राज्य सरकारों को सचेत होकर भविष्य में लोगों को बेहतर चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध करवाने पर अधिक ध्यान दिया जाना चाहिए था।

दिखाने के लिये तो केंद्र व राज्य सरकारों ने अपने बजट में स्वास्थ्य के क्षेत्र के लिए पहले से अधिक राशि का आवंटन किया है। मगर सरकारों को चाहिए था कि अधिक की बजाय सबसे अधिक राशि इस साल के बजट में चिकित्सा के क्षेत्र पर खर्च की जानी चाहिए थी। जिससे हमारी चिकित्सा व्यवस्था इतनी मजबूत हो सके कि हम आने वाली किसी भी बीमारी का अपने संसाधनों के बल पर मुकाबला कर सकें।

देश में कोरोना रोधी टीकाकरण का कार्य तेजी से चल रहा है। लेकिन उसमें भी केंद्र व राज्य सरकारों में टकराव देखने को मिल रहा है। राज्यों की मांग पर केंद्र सरकार ने 18 वर्ष से अधिक की उम्र के लोगों को टीका लगवाने की मंजूरी प्रदान कर दी। मगर उसके साथ ही केंद्र सरकार ने वैक्सीन उत्पादन करने वाली कंपनियों को उनके उत्पादन का आधा वैक्सीन राज्य सरकारों व खुले बाजार में बेचने की छूट दे दी है। उसमें कई राज्य सरकारें वैक्सीन का खर्च उठाने में असमर्थता जता रही हैं। जिसको लेकर भी आए दिन आरोप-प्रत्यारोप लगाए जा रहे हैं।

देश की जनता को अभी सबसे अधिक जरूरत चिकित्सा सुविधाओं की है। लोगों का मानना है कि कोरोना संक्रमण के समय में यदि हम जान बचाने में सफल हो जाते हैं तो विकास कार्य करवाने के लिए आगे बहुत समय मिलेगा। इस समय तो केंद्र व राज्य सरकारों को अपना पूरा बजट चिकित्सा व्यवस्था को मजबूत करने पर खर्च किया जाना चाहिए। अन्य मदों पर खर्च की जाने वाली राशि पर तुरंत रोक लगाई जानी चाहिए।

देश के सभी जनप्रतिनिधियों को भी चाहिए कि उनको मिलने वाले वेतन, भत्ते व अन्य सुविधाओं का आगामी एक वर्ष तक परित्याग कर उस राशि को भी जनहित में चिकित्सा पर खर्च करने के लिए सरकार को सौंप दें। कई जगह पर जनप्रतिनिधियों, सरकारी अधिकारियों, कर्मचारियों के लिए नए वाहन खरीदे जा रहे हैं। नये भवनों का निर्माण करवाया जा रहा है, जिनको फिलहाल टाला जा सकता है। ताकि उस राशि का उपयोग भी चिकित्सा व्यवस्था को सुदृढ़ करने पर किया जा सके।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पीएम केयर फंड से देश के सभी जिला मुख्यालयों पर स्थित सरकारी अस्पतालों में ऑक्सीजन बनाने वाले प्लांट लगाने के लिये राशि स्वीकृत कर दी है। राज्य सरकारों को चाहिये कि सभी अस्पतालों में ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्रों की स्थापना शीघ्रता से करवायें ताकि ऑक्सीजन की कमी खत्म हो सके।

सरकार को सभी बड़े निजी अस्पतालों में भी ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र लगाना आवश्यक करना चाहिये। देश में एम्स जैसे बड़े चिकित्सा संस्थान, मेडिकल कॉलेज और अधिक संख्या में स्थापित किए जाने चाहिए। जिससे लोगों को अपने क्षेत्र में ही बेहतर चिकित्सा मिल सके।

-रमेश सर्राफ धमोरा

(लेखक अधीस्वीकृत स्वतंत्र पत्रकार हैं। इनके लेख देश के विभिन्न समाचार पत्रों में प्रकाशित होते हैं।)

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