योगी के खिलाफ व्यक्तिगत व्यंग्य वाली राजनीति सपा के लिए नुकसानदेह साबित हो सकती है

yogi adityanath
Prabhasakshi
अजय कुमार । Feb 28 2023 12:58PM

योगी ने कहा कि यूपी को पीछे ले जाने के लिए जानबूझकर यह सब किया जा रहा है। जैसे ही इन्वेस्टर्स समिट के लिए सरकार ने कोशिश शुरू की। पूरे देश और दुनिया के अंदर, हमारे मंत्रियों की टीम जाने लगी, रोड शो किए गए तो सपा ने एक नया शिगूफा छोड़ने का प्रयास किया।

समाजवादी पार्टी के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, भारतीय जनता पार्टी और योगी सरकार के खिलाफ विचारों की लड़ाई की बजाए इसे लगातार व्यक्तिगत ‘दुश्मनी’ का रूप देते जा रहे हैं। अखिलेश कभी योगी के गेरूआ वस़्त्रों पर तंज कसते हैं तो कभी भरी विधानसभा में उनके (योगी) खेल ज्ञान की खिल्ली उड़ाते हैं। चुनावी सभाओं में योगी को वापस मठ भेज देने का दंभ भरते हैं। अखिलेश ने योगी पर व्यक्तिगत हमले का सिलसिला पिछले वर्ष विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान शुरू किया था जो लगातार तीखा होता जा रहा है, जबकि विधानसभा चुनाव में अखिलेश को योगी के सामने बुरी तरह से हार का मुंह देखना पड़ा था। बीजेपी ने 2022 का विधानसभा चुनाव योगी का चेहरा आगे करके लड़ा था जबकि सपा का चेहरा अखिलेश यादव बने हुए थे। इसीलिए उम्मीद तो यही की जा रही थी कि सपा प्रमख जब चुनाव नतीजों की समीक्षा करेंगे तो अपनी राजनीति में कुछ बदलाव लायेंगे। उनकी तरफ से योगी पर व्यक्तिगत हमले कम हो जायेंगे। परंतु अखिलेश ने इससे कोई सबक नहीं लिया है जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव नजदीक आता जा रहा है, समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव आक्रामक होते जा रहे हैं। बीजेपी 2024 का लोकसभा चुनाव भी मोदी के चेहरे पर ही लड़ रही है, लेकिन अखिलेश हैं कि मोदी से अधिक योगी के प्रति हमलावर हैं। हो सकता है उन्हें लगता हो कि अगले वर्ष लोकसभा चुनाव में यूपी की 80 लोकसभा सीटों पर सपा की स्थिति मजबूत हो इसके लिए योगी का कमजोर होना जरूरी होगा। इसीलिए वह योगी पर व्यक्तिगत रूप से मोर्चा खोले हुए हैं। सपा प्रमुख सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ पर निशाना साध रहे हैं। उनकी यह रणनीति कितनी कारगर होगी, यह तो चुनाव परिणामों से पता चलेगा। लेकिन अगर इतिहास को देखा जाये तो जब भी विपक्षी नेताओं ने योगी-मोदी पर व्यक्तिगत हमले किए हैं, तो उसका उसे चुनावों में फायदा नहीं मिला है।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 2019 के लोकसभा चुनावों में राफेल सौदे को बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश की थी और उन्होंने राफेल सौदे में भ्रष्टाचार को चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश की। इस रणनीति के तहत वह  बार-बार ’चौकीदार चोर है’ का बयान देते रहते थे। हालांकि इसका कांग्रेस को चुनावों में कोई फायदा नहीं मिला और उसके केवल 52 सीटें मिलीं। जबकि भाजपा का आकंड़ा 300 को पार कर गया था। इसी प्रकार 2022 के विधानसभा चुनाव में अखिलेश ने योगी पर व्यक्तिगत प्रहार किया था और नतीजा सबके सामने है। ऐसा लगता है कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव को मोदी-योगी के अलावा कुछ दिखाई ही नहीं दे रहा है। यही नजारा उत्तर प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र के दौरान भी देखने को मिला। यूपी विधानसभा बजट सत्र 2023 के दौरान सदन का माहौल योगी-अखिलेश के आपसी विवाद के चलते एकदम से गरम हो गया। बजट सत्र पर बहस के दौरान समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने पहले तो योगी के खेल की काबलियत पर संदेह जताया तो उसके बाद बसपा विधायक राजू पाल की 2005 में हुई हत्या के एक गवाह उमेश पाल की भी 23 फरवरी 2023 को हत्या होने पर बवाल काटा। राजू पाल की हत्या के आरोपी पूर्व सांसद और बाहुबली अतीक अहमद और उसका भाई पूर्व विधायक अशरफ हैं, जिनको सपा समय-समय पर संरक्षण देती रही है। इसीलिए जब उमेश पाल की हत्या को लेकर सपा ने राज्यपाल का बहिष्कार किया तो सीएम योगी तमतमा उठे। उन्होंने भरे सदन में सपा के साथ अखिलेश यादव को तीखे तेवर में खरी-खोटी सुना दी। एक तरफ अतीक अहमद को पनाह देने का आरोप सपा पर लगाया। वहीं दूसरी तरफ सपा को जिन्ना से जोड़ दिया। साथ ही कहा कि शक्ति देना आसान है, लेकिन बुद्धि देना कठिन होता है। 

    

योगी आदित्यनाथ यहीं नहीं रुके, उन्होंने कहा कि सरदार पटेल की जयंती को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया। तब सपा जिन्ना का महिमामंडन कर रही थी। इनको पता ही नहीं, एक तरफ 31 अक्टूबर की तिथि एकता दिवस के रूप में मनाया गया। केवड़िया में सबसे बड़ी प्रतिमा लगी है, वहां कार्यक्रम हो रहे थे। एक तरफ सरदार पटेल भारत की एकता के शिल्पी, हम उन्हें सम्मान देने का काम कर रहे थे, सपा जिन्ना की आरती उतार रही थी। इन्हें राष्ट्र को जोड़ने और तोड़ने वाले में अंतर पता नहीं। इसीलिए मैंने कहा कि शक्ति देना सरल है, बुद्धि देना कठिन है। साथ ही उन्होंने अखिलेश यादव को पिता से विरासत में मिली सत्ता को लेकर भी करार जवाब दिया। सीएम योगी उनके भाषण के बीच टोके जाने से गुस्सा हो उठे। इसके बाद उन्होंने अतीक अहमद को लेकर अखिलेश और सपा को घेर लिया। सीएम योगी ने कहा कि माफिया अतीक अहमद को सपा सरकार ने ही विधायक बनाया। उन्हीं के सहयोग से एमपी-एमएलए बना। योगी ने कहा कि प्रयागराज की घटना पर सरकार जीरो टॉलरेंस की नीति के आधार पर काम कर रही है। आखिर में उन्होंने कहा कि हम उस माफिया को मिट्टी में मिला देंगे।

योगी आदित्यनाथ ने यह भी कहा कि सपा का एक नेता आज संत तुलसीदास के खिलाफ अभियान चला रहा है। मानस जैसे पावन ग्रंथ को जगह-जगह अपमानित करने का प्रयास कर रहा है। ये चौपाई है कहां पर? सुंदरकांड में ये प्रसंग तब आता है, जब राम तीन दिन तक समुद्र से लंका में जाने का रास्ता मांगते हैं और रास्ता नहीं मिला तो पहली चौपाई तो पहले ही बता दी थी। जब उन्होंने कहा था कि भय बिन होई न प्रीत। जब राम तीर का संधान करके समुद्र के सामने खड़ा होते हैं तो समुद्र जो कहता है, यह वही पंक्ति है। मर्यादा प्रभु तुम्हरि कीन्हीं। ये सीख से है। शिक्षा से है। शुरू में मैंने यही बात कही कि बुद्धि विरासत से नहीं मिलती। ढोल एक वाद्य यंत्र है। शूद्र का मतलब श्रमिक वर्ग से है। बाबा साहेब भी इस बात को कह चुके हैं कि दलित को शूद्र न कहो। आपने अंबेडकर के साथ क्या किया। आपने उनके नाम से बनी संस्थाओं के नाम बदल दिए। आपने कहा कि उनके नाम से बनी संस्थाओं की जगह पर मैरेज हॉल खोल देंगे। नारी का मतलब स्त्री से है। मध्यकाल में महिलाओं की स्थिति क्या थी? किसी से छिपा नहीं है। बाल विवाह जैसी विकृतियां भी तभी पनपी थीं। जैसी अराजकता थी, उसको ध्यान में रखकर, आखिर विरोधी दल से जुड़े सपा से कहना चाहता हूं कि उसे इस बात पर गर्व होना चाहिए कि यह राम की धरती है, गंगा की धरती है, जिस धरती पर रामचरितमानस जैसे पवित्र ग्रंथ रचे गए वहां मानस जलाकर 100 करोड़ हिंदुओं को अपमानित नहीं कर रहे हैं। इस अराजकता को कैसे स्वीकार कर सकते हैं। योगी बोले, ‘जाकि प्रभु दारुण दुख दीन्हा, ताकि मति पहलि... विरासत में नहीं मिली, जो बची खुची थी, वो भी नहीं रही। अटल जी ने कहा था, हिंदू तन-मन हिंदू जीवन हिंदू कहने में शरमाते, घोर पतन है, अपनी मां को मां कहने में फटती छाती। जिसने रक्त पिलाकर पाला, क्षण भऱ उसका भेष निहारो। उसकी सूनी मांग निहारो। जब तक दुशासन है, बेड़ी कैसे बंध पाएगी। कोटि-कोटि संतति है, मां की लाज न लुट पाएगी।

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योगी ने कहा कि यूपी को पीछे ले जाने के लिए जानबूझकर यह सब किया जा रहा है। जैसे ही इन्वेस्टर्स समिट के लिए सरकार ने कोशिश शुरू की। पूरे देश और दुनिया के अंदर, हमारे मंत्रियों की टीम जाने लगी, रोड शो किए गए तो सपा ने एक नया शिगूफा छोड़ने का प्रयास किया। प्रसिद्ध धार्मिक ग्रंथ को लेकर। मानस और तुलसी को लेकर। तुलसीदास ने जिस कालखंड में मानस लिखी थी, उन जैसा साधक और संत को सत्ता का बुलावा आया था। अकबर ने बुलाया था। तुलसी दास ने कहा था कि हम चाकर रघुबीर के... तुलसी का होइगै, होके मनसबदार। हमारे तो एक ही राजा हैं और वो राम हैं। आज भी रामलीलाओं का प्रचलन तुलसीदास की देन है। समाज को एकजुट किया था, इसके जरिए। तुलसी ने कब कहा था, रामचंद्र की जय। लेकिन तुलसीदास और मानस को जिस प्रकार कुछ लोगों ने फाड़ने का प्रयास किया, ये जो कृत्य हो रहे हैं, ये किसी और मजहब के साथ होता तो क्या स्थिति होती। यानी आप जिसकी मर्जी आए वो हिंदुओं का अपमान कर ले। अपने अनुसार शास्त्रों की विवेचना कर ले। आप पूरे समाज को अपमानित करना चाहते हैं। 

      

अखिलेश ने योगी के खेल ज्ञान को लेकर भी उन पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि आप अकेले-अकेले क्यों मैच देख रहे थे। इस पर योगी ने अखिलेश को आईना दिखाते हुए कहा मैं तो अकेले ही आया हूं। अकेले ही जाना है। ये कैसे खेलते थे, इसका एक समाचार पत्रों को देख रहा था। मैंने सोचा, नेता विरोधी दल खिलाड़ी हैं तो उनका नाम किसी पुरस्कार के लिए भेज दें। हमने तमाम खिलाड़ियों को नौकरी दी। एक यादव लड़के को नायब तहसीलदार बनाया। योग्य था। हमने ललित उपाध्याय को डिप्टी एसपी बनाया। राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार जिसे हमारी सरकार ने ध्यानचंद सरकार घोषित किया है। योगी ने अखिलेश पर हमलावर होते हुए कहा जाति के नाम पर इन्होंने क्या किया है। एक अखबार की कटिंग है। '86 एसडीएम में से 56 एक जाति विशेष के’ (अखबार की कटिंग पढ़ते हुए)... ये है, राजभर जी, कमाल देखा होगा न आपने, यही कमाल है। देख लो, क्यों जाति की बात कर रहे हैं। यही है इनका सामाजिक न्याय। ये लोग न्याय की बात करते हैं। योगी बोले हम प्रदेश में ईज ऑफ लिविंग की बात करते हैं, वो जाति की बात करते हैं। गरीब की कोई जाति नहीं होती। मत या मजहब नहीं होता। उसको पानी, रोजगार मिलना चाहिए। हम शौचालय की बात करते हैं, वो जाति की बात करते हैं। हम मकान की बात करते हैं, ये जाति की बात करते हैं। हम सिंचाई की बात करते हैं, ये जाति की बात करते हैं। हम फसलों के दोगुने दाम की बात करते हैं, निवेश की बात करते हैं, उद्यम को प्रोत्साहित करने का काम करते हैं, ये लोग जाति की बात करते हैं। यूपी को जहां से निकाल कर लाए, ये लोग उसे वापस धकेलना चाहते हैं। इसके साथ ही योगी सरकार ने दो टूक कह दिया कि वह जातिगत जनगणना नहीं करायेगी। हम जाति जोड़ने की बात करते हैं जबकि वह तोड़ने की सोच रखते हैं।

वैसे राजनीति के जानकार इस बात से हैरान-परेशान नहीं हैं कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव विचारों की जगह राजनीति को व्यक्तिगत दुश्मनी की टूलकिट बना रहे हैं। इसकी प्रमुख वजह यह है कि अखिलेश अपनी सरकार की तुलना योगी के कामकाम से नहीं कर सकते हैं। इसमें उनकी सरकार काफी पीछे नजर आती है। ऐसे में अखिलेश को अपनी राजनीति चमकाने के लिए कभी जातिगत जनगणना का मुद्दा उठाना पड़ता है तो कभी योगी की काबलियत पर सवाल खड़ा कर देते हैं। अपने को शूद्र बताते हैं। करोड़ों हिन्दुओं की आस्था का केन्द्र रामचरित मानस को राजनैतिक विवादित में घसीट लाते हैं। अगड़े-पिछड़ों को लड़ाते हैं। इसी  प्रकार सपा वोट बैंक मजबूत करने के लिए प्रदेश में तुष्टिकरण की सियासत को हवा देते हैं। सपा प्रमुख को याद रखना चाहिए कि इसी तरह की सियासत करके कांग्रेस नेता और सांसद राहुल गांधी ने अपने आप को मजाक का विषय बना लिया है। जरूरी नहीं है कि विपक्ष हर बात पर सरकार के खिलाफ ही खड़ा नजर रहेगा तभी उसका सियासी पारा ऊपर जायेगा। विरोध के नाम पर विरोध जरूरी नहीं है। अब समय बदल गया है। यह पब्लिक सब जानती है।

-अजय कुमार

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