जम्मू के इंटरनेशनल बार्डर के दोनों ओर तैयारियां जोरों पर

सुरेश डुग्गर । Oct 19, 2016 12:05PM
सीमा से सटी पाक सीमा चौकियों के पीछे पाक सेना ने अपनी मोर्चाबंदी की हुई है हालांकि भारतीय सेना ने इंटरनेशनल नियमों का पालन करते हुए अभी द्वितीय रक्षा पंक्ति से आगे अपने कदमों को नहीं बढ़ाया है।

सीमांत क्षेत्रों में जिन्दगी बुरी तरह से अव्यवस्थित हो गई है। यही नहीं सीमावर्ती स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था भी बुरी तरह से लड़खड़ा गई है। जहां सीमा से सटे क्षेत्रों में लोगों को सरकार के नोटिस पर मकानों को खाली कर देना पड़ा है वहीं सीमा के स्कूलों को पाक गोलाबारी के कारण बंद कर देना पड़ा है जबकि उन स्कूलों में, जहां एक लाख के करीब विस्थापितों ने डेरा डाला है, छुट्टियों को इसलिए बढ़ा दिया गया है क्योंकि सरकार फिलहाल विस्थापितों के रहने की व्यवस्था नहीं कर पाई है। और यह सब इसलिए हो रहा है क्योंकि बार्डर के दोनों ओर युद्ध की तैयारियां जोरों-शोरों से हो रही हैं।

सीमांत क्षेत्रों में जिन्दगी बुरी तरह से लड़खड़ा गई है। इसमें और झटका उस समय लगा जब सेना ने अंतरराष्ट्रीय सीमा क्षेत्रों में रक्षा खाई के आगे अभी भी बचे खुचे सीमांत नागरिकों को अपने घर-बाहर तत्काल खाली करने के आदेश जारी किए तथा नागरिकों को अपने खेतों में जाने की मनाही कर डाली। आधिकरिक तौर पर इसे नहीं माना गया है लेकिन रक्षा सूत्रों ने इसकी पुष्टि की है कि रक्षा खाई के आगे वाले सभी गांवों तथा खेतों में नागरिकों की आवाजाही पर प्रतिबंध लागू कर दिया गया है। ऐसा पाक सेना द्वारा गोलाबारी में लाई जाने वाली तेजी तथा उसके द्वारा किसी भी समय हमले की आशंका के तहत किया गया है।

264 किमी लम्बी अंतरराष्ट्रीय सीमा के सीमांत क्षेत्रों में कहीं पर रक्षा खाई जीरो लाइन से एक किमी पीछे है तो कहीं पर उसकी अधिकतम दूरी तीन किमी है। वैसे पाकिस्तानी साइड में पाक सेना ने दो रक्षा खाईयां तैयार की हुई हैं। ऐसा उसके द्वारा इसलिए किया गया है क्योंकि उसे भारतीय सेना से डर लगता है। नतीजतन ताजा निर्देशों के उपरांत सीमांत क्षेत्रों में जिन्दगी और लड़खड़ा गई है। ताजा निर्देशों के उपरांत अपने घर बाहर को छोड़ने वालों के लिए समस्या यह है कि वे अपने पशुओं को भी साथ नहीं ले जा पा रहे हैं ऐसा इसलिए है क्योंकि वे जानते हैं कि युद्ध के हालात में उन्हें तो खाने को कुछ मिलेगा ही नहीं ऐसे में पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था वे कहां से करेंगे। उनकी ऐसी दशा इसलिए भी है क्योंकि अभी तक सरकारी सहायता उन तक नहीं पहुंच पाई है पलायन के दस दिनों के बाद भी।

नतीजतन जिन्दगी तो लड़खड़ा ही गई है सीमांत क्षेत्रों में अब शिक्षा व्यवस्था भी लड़खड़ा गई है। सैंकड़ों स्कूल पाक गोलीबारी की रेंज में हैं। वे सभी बंद हैं। जो कोई सीमावर्ती स्कूल रेंज में नहीं है तो वहां इसलिए ताला लगा देना पड़ा है क्योंकि पढ़ने वाला कोई नहीं है वे सभी पलायन कर चुके हैं। यही नहीं उन स्कूलों में भी सरकार को छुट्टियां करनी पड़ी हैं जहां विस्थापितों ने शरण ले रखी है। गौरतलब है कि एक लाख के करीब विस्थापितों ने सीमांत क्षेत्रों से पलायन किया है जिसमें से 55 हजार के करीब लोगों ने सीमांत क्षेत्रों में थोड़ी दूरी पर स्थित स्कूलों में शरण ली है तो बाकी खुले आसमान के नीचे सरकारी टैंटों का इंतजार कर रहे हैं।

सरकार ने इसे माना है कि उन स्कूलों में अनिश्चितकाल के लिए अवकाश घोषित कर दिया गया है जहां विस्थापितों ने शरण ली है। जबकि पाक गोलीबारी की रेंज में आने वाले स्कूलों के अध्यापकों को विस्थापितों को सहायता पहुंचाने के कार्य में लगाया जा चुका है। और इंटरनेशनल बार्डर की जीरो लाइन से मात्र सौ मीटर की दूरी पर पाक क्षेत्र में उठते धूल के गुब्बार और सैनिक वर्दियां पहने टहलने वाले पाक सैनिक इस बात का आभास देते हैं कि वे अपनी तैयारियों में कोई कमी नहीं आने देना चाहते हैं। इन तैयारियों का प्रभाव इस ओर भी है क्योंकि सामने वाले को देख भारतीय सैनिकों को भी अधिक चौकसी और सतर्कता बरतने के साथ ही किसी भी अप्रत्याशित घटना से निपटने के लिए अपने आप को पूरी तरह से तैयार रखना पड़ रहा है।

इंटरनेशनल बार्डर के दोनों ओर जारी तैयारियां कोई बहुत पुरानी नहीं हैं बल्कि अभी 15 दिन दिन पूर्व तक सब कुछ शांत था लेकिन एलओसी पार आतंकी कैंपों पर सर्जिकल स्ट्राइक ने इंटरनेशनल बार्डर पर तनाव को बढ़ाया है और पाक सैनिकों को अपनी सैनिक गतिविधियों में तेजी लाने का अवसर भी दिया। अब तो स्थिति यह है कि पाक सैनिक इंटरनेशनल बार्डर से भी सटे अपने गांवों को खाली करवा भारतीय गांवों तथा भारतीय सैनिक ठिकानों को अपनी जबरदस्त गोलीबारी का निशाना बना रहे हैं।

भारतीय सीमा चौकियों पर तैनात सीमा सुरक्षा बल के अधिकारी इसकी पुष्टि करते हैं कि पाकिस्तान ने अपनी अग्रिम चौकियों पर नियमित सैनिकों को भी तैनात किया है क्योंकि उनके अनुसार जिस प्रकार के हथियारों का प्रयोग इस गोलीबारी के दौरान किया जा रहा है उसने इस शंका को बढ़ाया है कि पाक रेंजरों के पास यह हथियार नहीं हैं। जम्मू फ्रंटियर की 198 किमी लम्बे इंटरनेशनल बार्डर के सामने स्थित सभी पाक सीमा चौकियों में होने वाली हलचल यह संकेत देती है कि वे किसी भी समय कहीं भी गोलीबारी करके भारतीय नागरिकों को परेशान कर सकते हैं।

सीमा से सटी पाक सीमा चौकियों के पीछे पाक सेना ने अपनी मोर्चाबंदी की हुई है हालांकि भारतीय सेना ने इंटरनेशनल नियमों का पालन करते हुए अभी द्वितीय रक्षा पंक्ति से आगे अपने कदमों को नहीं बढ़ाया है। किसी भी भारतीय सीमा चौकी के टावर से खड़ा होकर पाक क्षेत्र में पाक सैनिकों की तैयारियों को देखा जा सकता है जिन्होंने सीमा पर भारी हथियारों तथा मध्यम दूरी तक मार करने वाली तोपों को भी रक्षा खाई पर स्थापित किया है। भारतीय पक्ष द्वारा भी इनसे निपटने की तैयारी की है लेकिन सीमा सुरक्षा बल ने उन्हीं हथियारों को तैनात किया है जो बीएसएफ को जारी होते हैं।

- सुरेश डुग्गर

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