कश्मीर में बंद और हड़ताल का चौथे महीने में प्रवेश

सुरेश डुग्गर । Oct 13, 2016 11:45AM
चौथे महीने में प्रवेश करने वाली हड़ताल का दुखद पहलू यह है कि इस दौरान 95 के करीब लोगों की मौत भी हो चुकी है और हजारों जख्मी भी हैं। कश्मीर को पिछले तीन महीनों में 10 हजार करोड़ रुपए का नुक्सान भी उठाना पड़ा है।

कश्मीर में सबसे लंबी हड़ताल का रिकार्ड बनने के साथ ही इसका जो विरोध आरंभ हुआ है उससे घबराई सर्वदलीय हुर्रियत कांफ्रेंस और अन्य अलगाववादी नेताओं में घबराहट है क्योंकि उन्हें लगने लगा है कि अगर उन्होंने हड़ताल का विकल्प नहीं दिया तो लोग उसे ठोकर मार देंगे। चौथे महीने में प्रवेश करने वाली हड़ताल का दुखद पहलू यह है कि इस दौरान 95 के करीब लोगों की मौत भी हो चुकी है और हजारों जख्मी भी हैं। कश्मीर को पिछले तीन महीनों में 10 हजार करोड़ रुपए का नुक्सान भी उठाना पड़ा है।

दक्षिणी कश्मीर में अनंतनाग जिले के कोकरनाग इलाके में गत 8 जुलाई को सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मारे गए हिजबुल कमांडर बुरहान वानी के बाद कश्मीर घाटी में अलगाववादियों द्वारा आहूत हड़ताल चौथे महीने में दाखिल हो गई है। इतिहासकारों के अनुसार पिछले तीन महीने से जारी हड़ताल कश्मीर के इतिहास में सबसे लंबी अवधि की हड़ताल है। इसके अलवा घाटी में जारी अशांति में अभी तक 95 लोगों की मौत हो चुकी हैं जिनमें दो पुलिसकर्मी भी शामिल हैं। इसके अलावा हजारों सुरक्षा बल के जवानों सहित 14 हजार से ज्यादा लोग घायल हो गए।

कश्मीर घाटी में हड़ताल, कर्फ्यू, प्रदर्शनों, झड़पों की वजह से अर्थव्यवस्था को लगभग 10000 करोड़ रुपए के नुक्सान का सामना करना पड़ा है जिसकी वजह से मौजूदा स्थिति के चलते घाटी आधारित व्यापारियों और व्यावसायियों को बड़े पैमाने पर पीड़ित होना पड़ा है जिन्होंने अब हुर्रियत के हड़ताली कैलेंडर का विरोध भी आरंभ कर दिया है। कश्मीर आधारित अर्थशास्त्रियों और व्यापारियों के अनुसार कश्मीर अर्थव्यवस्था को औसतन एक दिन में 120 करोड़ रुपए के नुकसान का सामना करना पड़ रहा है।

कश्मीर घाटी में पिछले तीन महिनों से जारी अशांति के दौरान पुलिस ने पत्थरबाजी और भारत विरोधी प्रदर्शनों में भाग लेने के लिए अभी तक 10000 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार कर लिया जबकि अन्य 1500 लोगों को पकड़ने के लिए अभियान जारी है। ज्यादातर गिरफ्तारियां दक्षिणी कश्मीर के जिलों- अनंतनाग, पुलवामा, शोपियां, कुलगाम और अवंतिपोरा में की गई हैं। इन जिलों में पिछले 91 दिनों के दौरान 4000 से ज्यादा लोगों विशेषकर युवकों को गिरफ्तार किया गया है।

सूत्रों के अनुसार उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा, बारामुल्ला, बांडीपोरा, सोपोर और हंदवाड़ा जिलों में 2000 से ज्यादा लोगों विशेषकर युवकों को पत्थरबाजी और भारत विरोधी प्रदर्शनों में भाग लेने के लिए गिरफ्तार किया गया है। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार मध्य कश्मीर के श्रीनगर, बडगाम और गांदरबल जिलों में लगभग 1000 से ज्यादा युवकों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि पिछले तीन महीनों के दौरान कश्मीर के विभिन्न पुलिस स्टेशनों में 2300 एफआईआर दर्ज की गई है। उन्होंने कहा कि अभी तक 4318 लोगों को गिरफ्तार किया गया है जिनमें से 925 पुलिस स्टेशनों में बंद हैं जबकि बाकी लोगों को जमानत पर रिहा कर दिया गया है।

एक अन्य अधिकारी ने बताया कि पुलिस स्टेशनों में ऐसे दर्जनों युवक हैं जिनके खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि 4400 से ज्यादा लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है जबकि बाकी लोगों को एहतियातन हिरासत में रखा गया है। घाटी में अशांति पर नियंत्रण पाने के लिए पिछले 91 दिनों के दौरान कम से कम 489 लोगों के खिलाफ पीएसए के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार जिला उपायुक्त ने आजादी समर्थक और भारत विरोधी प्रदर्शनों पर काबू पाने के लिए 489 पीएसए आदेशों को तैयार किया है। पिछले तीन महीनों के दौरान घातक पेलेट गन की वजह से 100 नागरिकों की आंखों में चोटें आई हैं इनमें से कई को अपनी आंखों की रोशनी खोनी पड़ी है।

यह सच है कि कश्मीर में बंद, कर्फ्यू और मौतों के सिलसिले के कई रिकार्ड पहले भी बन चुके हैं। और जब इस बार बुरहान वानी की मौत के साथ ही हड़तालों का सिलसिला आरंभ हुआ तो सबको आशंका उसी समय होने लगी थी कि इस बार अगर जल्द कुछ नहीं किया गया तो कश्मीर में हड़ताल, बंद, कर्फ्यू के साथ मौतों का भी नया रिकार्ड बन सकता है और यह आशंका अब पूरी तरह से सच भी साबित हुई है। कश्मीरियों का मानना था कि यदि सरकार कश्मीर के मामले में कोई राजनीतिक पहल नहीं करती है तो यह ऐसे रसातल में चला जाएगा जहां से इसे वापस नहीं लाया जा सकेगा। एक कश्मीरी के मुताबिक, जब तक शुरुआत के इस ‘अदृश्य बिंदू‘ तक नहीं पहुंचा जाएगा तब तक आम कश्मीरी की पीड़ा अपरिहार्य बनी रहेगी।

याद रहे वर्ष 2009 में भी कश्मीर में हड़तालों और कर्फ्यू ने एक रिकार्ड बनाया था। उससे पहले 2008 में अमरनाथ जमीन विवाद को लेकर लगातार 62 दिन की हड़ताल एक रिकार्ड बना चुकी है। वर्ष 2009 में मसला शोपियां में दो युवतियों के रेप और मर्डर का था। इस बार कश्मीरी अलगाववादियों ने गो इंडिया गो बैक की मुहिम छेड़ रखी है जिसके तहत वे क्विट कश्मीर का नारा दे रहे हैं। हालांकि कश्मीर में बंद और हड़तालें कई रिकार्ड बना चुकी हैं पर लगातार हड़तालों के रिकार्ड पिछले 8 सालों से ही बन रहे हैं।

- सुरेश डुग्गर

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