कश्मीर में हालात ठीक नहीं, पर्यटन उद्योग को झटका लगना तय

The situation in Kashmir is not good, the tourism industry is in a fix

नवविवाहित जोड़ों को कश्मीर आकर हनीमून मनाने का आग्रह करने वाले कश्मीर टूरिज्म से जुड़े लोगों की चिंता अब यह है कि क्या उनकी मुहिम रंग ला पाएगी क्योंकि कश्मीर में होने वाली मौतों के आंकड़ों ने कश्मीर की अलग ही तस्वीर पेश करनी आरंभ की है।

नवविवाहित जोड़ों को कश्मीर आकर हनीमून मनाने का आग्रह करने वाले कश्मीर टूरिज्म से जुड़े लोगों की चिंता अब यह है कि क्या उनकी मुहिम रंग ला पाएगी क्योंकि कश्मीर में होने वाली मौतों के आंकड़ों ने कश्मीर की अलग ही तस्वीर पेश करनी आरंभ की है। कश्मीर वादी में पिछले तीन महीनों में हुई मौतों ने कश्मीर को मौत की वादी बना दिया है जहां प्रतिदिन एक मौत हो रही है। अर्थात् 103 दिनों में 103 लोगों की मौत हुई है। इस चिंता में कठुआ बलात्कार और हत्याकांड के विरोध में हो रहे हिंसक प्रदर्शनों का तड़का भी लगा है तो गृह मंत्रालय द्वारा जारी हिंसा के ताजा आंकड़े भी भयावह तस्वीर पेश करते हुए लोगों को कश्मीर से दूर रहने को मजबूर करने लगे हैं।

कश्मीर घाटी में इस साल 103 दिन में आतंक विरोधी अभियानों और आतंकी हमलों में 103 लोग मारे गए हैं। जबकि करीब आठ सौ नागरिक घायल हुए हैं। गृह मंत्रालय द्वारा गत बुधवार को जारी की गई रिपोर्ट के मुताबिक भी आतंकी वारदातों में 2016 की तुलना में 2017 में 166.66 फीसद अधिक नागरिकों की जान गई। इस दौरान आतंकी घटनाएं भी बढ़ीं और पहले से कहीं ज्यादा आतंकियों को भारतीय जवानों ने मार गिराया। 

राज्य में आतंकरोधी अभियानों में शामिल एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि इस साल वादी में रोजाना एक व्यक्ति आतंकी हिंसा में मारा गया है। चाहे वह सुरक्षा बलों से संबंधित हो, आम नागरिक हो या फिर आतंकी। जनवरी से लेकर अब तक विभिन्न मुठभेड़ों और एलओसी पर घुसपैठ के प्रयास के दौरान 48 आतंकी मारे गए हैं, जबकि पुलिस के 12 और सेना व केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के 13 जवान व अधिकारी शहीद हुए हैं और 30 नागरिक मारे गए हैं। 

सबसे ज्यादा नागरिकों की मौत दक्षिण कश्मीर के जिला शोपियां में हुई है। शोपियां में 14 लोग मारे गए हैं, इनमें आठ लोग इसी माह मुठभेड़ों के दौरान बिगड़ी कानून व्यवस्था के दौरान मारे गए हैं। 24 जनवरी को भी शोपियां में एक युवती समेत दो लोग और 27 जनवरी को गनवनपोरा शोपियां में सुरक्षा बलों की फायरिंग में तीन लोग मारे गए थे। 

तीन जनवरी को उनसु सोपोर में आतंकियों ने एक युवक को उसके घर के बाहर मौत के घाट उतार दिया था। 20 दिनों में हाजिन बांडीपोरा में भी दो युवकों को अगवा कर मौत के घाट उतार दिया। फरवरी में आतंकियों ने तीन नागरिकों की हत्या की थी। 

इसी माह 11 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए थे। इस साल की शुरुआत में ही कश्मीर में आतंकियों द्वारा पुलवामा में सीआरपीएफ शिविर पर आत्मघाती हमले किये गए, जिसमें सीआरपीएफ के पांच जवान शहीद हो गये और तीन आतंकी मारे गए। छह जनवरी को उत्तरी कश्मीर के सोपोर में जैश ए मुहम्मद के आतंकियों द्वारा किए गए शक्तिशाली आइईडी विस्फोट में एक अधिकारी समेत चार पुलिसकर्मी शहीद हुए थे। 

दो दिन बाद पत्रीगाम बड़गाम व दक्षिण कश्मीर के कोकरनाम में सुरक्षा बलों ने एक-एक आतंकी को मार गिराया था। इसी दिन कुलगाम में आतंकियों ने एक नागरिक की हत्या की थी, उसके बाद 15 जनवरी को उड़ी सेक्टर में सेना ने पांच आतंकियों को मार गिराया था। मार्च में हुई मुठभेड़ों में 24 आतंकियों को मार गिराया गया और पांच सुरक्षाकर्मी भी शहीद हो गए। 

इस साल आतंकरोधी अभियानों के दौरान शरारती तत्वों द्वारा उकसाई गई हिंसक भीड़ और सुरक्षा बलों के बीच हुई झड़पों में आठ सौ से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। इनमें से करीब 400 लोग शोपियां से हैं, जो एक से चार अप्रैल के बीच घायल हुए हैं। करीब 100 घायल कुलगाम से संबंध रखते हैं।

आतंकरोधी अभियानों में शामिल अधिकारी ने बताया कि वादी में इस साल अभी तक जो आतंकी हिंसा का ट्रेंड देखा गया है, उसके मुताबिक आने वाले तीन से चार महीने में सुरक्षा बलों व आतंकियों के बीच मुठभेड़ों के साथ हिंसक प्रदर्शनों में तेजी की आशंका है।

हालांकि गृह मंत्रालय द्वारा बुधवार को जारी की गई रिपोर्ट के मुताबिक आतंकी वारदातों में 2016 की तुलना में 2017 में 166.66 फीसद अधिक नागरिकों की जान गई। इस दौरान आतंकी घटनाएं भी बढ़ीं और पहले से कहीं ज्यादा आतंकियों को भारतीय जवानों ने मार गिराया। 1990 से 31 दिसंबर, 2017 तक जम्मू-कश्मीर में आतंकी घटनाओं के चलते कुल 13,976 नागरिकों की जान गई और 5,123 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए।

अधिकारियों के मुताबिक 1990 में घाटी में आतंकवाद के बीच पनपने के बाद 31 दिसंबर, 2017 तक कुल 13,976 नागरिकों ने जान गंवाई है तथा कुल 5,123 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए हैं।

ऐसे में सवाल यह उठता है कि मौत की वादी बनती जा रही कश्मीर वादी में क्या टूरिस्ट आ पाएंगे। यह भी सच है कि पहले आतंकियों के खिलाफ आरंभ हुए ऑपरेशनआल आउट-2 ने पर्यटकों का दूर रखना शुरू किया था और फिर कठुआ रेप व हत्या कांड के खिलाफ हो रहे हिंसक प्रदर्शनों के कारण कश्मीर में टूरिस्टों द्वारा बुकिंगें रद्द करवना तेज हो गया था। ऐसे में गृह मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़े परिस्थिति पर अपना क्या प्रभाव डालेंगे यह देखना होगा। वैसे टूरिज्म से जुड़े लोगों का कहना था कि यह आंकड़े कश्मीर को नकारात्मक रूप से पेश करने वाले हैं।

-सुरेश एस डुग्गर

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