केरल में राजनीतिक संरक्षण से बढ़ रहा है PFI का हौसला, बच्चे से हिंदू-ईसाई विरोधी नारेबाजी कराना खतरनाक

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पीएफआई की रैली में यह जो नारेबाजी हुई है उसको सिर्फ हिंदुओं या आरएसएस के खिलाफ नारेबाजी समझने की भूल मत करिये। ये तो हम सबके लिए एक बड़ी चेतावनी की तरह है कि कैसे पीएफआई बच्चे-बच्चे के मन में नफरत के बीज बो रहा है।

चरमपंथी इस्लामिक संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया का दुस्साहस बढ़ता ही जा रहा है। खासकर केरल में इस संगठन की गतिविधियां काफी बढ़ गयी हैं क्योंकि यहां इसे एक तरह का राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है। देशविरोधी अभियानों के लिए कुख्यात और आरएसएस विरोधी एजेंडा चलाने में मशगूल रहने वाला यह संगठन अब खुलेआम हिंदुओं और ईसाइयों को धमकी देने पर उतर आया है। पीएफआई ने केरल के अलाप्पुझा में 'सेव द रिपब्लिक' अभियान के तहत जो विरोध मार्च निकाला और उसमें जिस प्रकार की नारेबाजी की गयी वही इस संगठन का असली चेहरा है। हम आपको बता दें कि इस विरोध मार्च के दौरान पीएफआई ने सोची-समझी रणनीति के तहत एक छोटे-से बच्चे से भड़काऊ नारे लगवाये। अपने पिता के कंधे पर बैठा यह बच्चा नारे लगाते हुए हिंदुओं और ईसाइयों को चेतावनी दे रहा है। यह बच्चा नारे लगा रहा है कि 'हम बाबरी और ज्ञानव्यापी दोनों में एक दिन सजदा जरूर करेंगे, इंशाअल्लाह, संघियों तुम इस बात को समझ लो। यह बच्चा नारे लगा रहा है कि "ना हम पाकिस्तान जाएंगे और न ही बांग्लादेश जाएंगे, इसी देश की 6 फीट जमीन में ही दफन होंगे, लेकिन संघियों तुम ये याद रखना हम मिटने से पहले तुम्हें मिटाकर जाएंगे'। इस बच्चे की नारेबाजी का जो दूसरा वीडियो वायरल हो रहा है उसमें वह हिंदुओं और ईसाइयों से कह रहा है कि 'अपने घर पर चावल, फूल और अंतिम संस्कार के सारे सामान का इंतजाम करके रखो, कुछ भी मत भूलना, कुछ भी मत भूलना, तुम्हारा काल बनकर हम तुम्हारे पास आ रहे हैं।'

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पीएफआई की रैली में यह जो नारेबाजी हुई है उसको सिर्फ हिंदुओं या आरएसएस के खिलाफ नारेबाजी समझने की भूल मत करिये। ये तो हम सबके लिए एक बड़ी चेतावनी की तरह है कि कैसे पीएफआई बच्चे-बच्चे के मन में नफरत के बीज बो रहा है। जिस बच्चे की उम्र स्कूल में पढ़ने की है उसे धार्मिक रूप से कट्टर बनाकर उन्मादी नारे लगवाये जा रहे हैं। जिस बच्चे की उम्र खिलौनों से खेलने की है उसके मन में दूसरे समुदाय को मौत के घाट उतारने की बात बिठायी जा रही है। बच्चे से सांप्रदायिक नारे लगवाने की पीएफआई की यह रणनीति उन आतंकवादी संगठनों के तौर-तरीकों से मेल खाती है जो हमलों के लिए कई बार बच्चों का इस्तेमाल करते हैं।

फिलहाल तो मामले को गर्माता देख केरल पुलिस ने एक व्यक्ति को हिरासत में लिया है और पीएफआई के अलाप्पुझा जिला अध्यक्ष, सचिव और अन्य व्यक्तियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 153 ए के तहत मामला दर्ज़ किया है। लेकिन यह कार्रवाई नाकाफी है। केरल पुलिस को चाहिए कि इस विरोध मार्च का हिस्सा रहे पीएफआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओएमए सलाम के खिलाफ भी मामला दर्ज करते हुए उन्हें गिरफ्तार करे। केरल में हाल के वर्षों में जिस तरह आरएसएस से जुड़े लोगों की हत्याएं हुई हैं उसको देखते हुए केरल सरकार को पीएफआई के विरोध मार्च में लगाये गये नारों को गंभीरता से लेना चाहिए। देखा जाये तो इस विरोध मार्च में जो आह्वान किये गये उससे आरएसएस कार्यकर्ताओं की सुरक्षा खतरे में प्रतीत हो रही है। यदि केरल सरकार पीएफआई पर प्रतिबंध नहीं लगाती है तो केंद्र सरकार को तत्काल आवश्यक कदम उठाने चाहिए। 

दूसरी ओर, यह मामला राजनीतिक तूल भी पकड़ता जा रहा है। लड़के द्वारा भड़काऊ नारेबाजी की विभिन्न हलकों में आलोचना के बीच वामदल और कांग्रेस चुप्पी साधे हुए हैं। भाजपा प्रवक्ता टॉम वडक्कन ने तो यहां तक कह दिया है कि केरल ‘पहले का कश्मीर’ बनने की राह पर है। टॉम वडक्कन ने केरल की वाम लोकतांत्रिक मोर्चे की सरकार और कांग्रेस पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया है कि उन्हें पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया की ओर से, विशेष रूप से पंचायत स्तर पर राजनीतिक समर्थन मिलता है इसलिए इस संगठन पर कार्रवाई नहीं की जाती है। भाजपा का आरोप है कि पीएफआई ने हिन्दुओं और ईसाइयों के विरुद्ध नारा लगवाने के लिए लड़के का इस्तेमाल किया।

वहीं, पीएफआई की रैली में ईसाइयों के खिलाफ लगे नारे को कैथोलिक बिशप्स काउंसिल ने भी गंभीरता से लिया है। कैथोलिक बिशप्स काउंसिल ने आरोप लगाया है कि केरल सरकार दक्षिणी राज्य में चरमपंथी गतिविधियों में शामिल संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए अनिच्छुक है। कैथोलिक बिशप्स काउंसिल का कहना है कि सांप्रदायिक संगठनों को खुश करने का ऐसा रवैया राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बेहद हानिकारक है। केरल कैथोलिक बिशप्स काउंसिल ने अपने बयान में नाबालिग लड़के द्वारा अलाप्पुझा में भड़काऊ नारे लगाने की घटना का जिक्र भी किया है। कैथोलिक बिशप्स काउंसिल ने कहा है कि ऐसे नारे सुनकर पूरा केरल स्तब्ध है। केरल कैथोलिक बिशप्स काउंसिल के प्रवक्ता फादर जैकब पलाकपिल्ली के हस्ताक्षर वाले बयान में कहा गया है कि यह एक रहस्य है कि पीएफआई द्वारा चरमपंथी गतिविधियों में लिप्त रहने के बावजूद केरल सरकार ऐसी स्थिति में हस्तक्षेप करने के लिए क्यों तैयार नहीं है। केरल कैथोलिक बिशप्स काउंसिल ने अपने बयान में आगे कहा है कि सांप्रदायिक संगठनों को खुश करने वाला इस तरह का रुख, राष्ट्रीय सुरक्षा और राज्य के भविष्य के लिए बेहद हानिकारक है। काउंसिल ने कहा है कि केरल सरकार को कानून के समक्ष सभी के साथ समान व्यवहार करने और अधिक गंभीर अपराधों की जांच करने और अनुचित महत्व दिए बगैर कार्रवाई करने के लिए तैयार रहना चाहिए।

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दूसरी ओर नफरती विचारधारा का प्रसार बच्चे से करवाने के इस मामले को गंभीरता से लेते हुए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने केरल पुलिस को एक पत्र लिखा है। पत्र में कहा गया है कि सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) और पीएफआई बच्चों का इस्तेमाल समुदाय में नफरत, दुश्मनी और सांप्रदायिक हिंसा फैलाने के लिए कर रहे हैं। पत्र में कहा गया है कि पुलिस को उस बच्चे के माता-पिता के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।

बहरहाल, केरल का यह मामला दिखाता है कि राज्य सरकार की तुष्टिकरण वाली नीति किस कदर देश और राज्य की सुरक्षा को खतरे में डाल रही है। यदि कोई खुलेआम दूसरे समुदाय के खिलाफ नारेबाजी करता है और उन्मादी बातें कहता है तो उसकी जगह जेल में होनी चाहिए। ऐसे तत्वों को यदि किसी भी प्रकार का संरक्षण मिलेगा तो इनका हौसला बढ़ेगा। राज्य सरकार को पीएफआई से जुड़े लोगों की गतिविधियों की जांच कराने के साथ ही इस संगठन को जल्द से जल्द प्रतिबंधित करने की दिशा में कदम उठाना चाहिए। केरल की वाम सरकार को यह सत्य पता होना चाहिए कि देश ही नहीं दुनिया का भी इतिहास बताता है कि अराजक तत्व एक दिन अपने संरक्षणकर्ता के लिए ही सबसे बड़ी मुसीबत बन जाते हैं।

- नीरज कुमार दुबे

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