Letting Go Of Love । प्यार को जाने देना आसान नहीं, लेकिन ये कब जरूरी हो जाता है? । Expert Advice

Let Them Go
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क्या एक आख़िरी कोशिश करनी चाहिए? या फिर अपनी आत्मा को और तकलीफ़ देने से बेहतर है कि सब कुछ छोड़कर आगे बढ़ा जाए? किसी ऐसे इंसान को जाने देना, जिससे आपने दिल से प्यार किया हो, बेहद मुश्किल होता है। जो यादें और वादे कभी सब कुछ थे, वे एक पल में बेमानी लगने लगते हैं। पर अगर कोई वाकई आपके साथ नहीं रहना चाहता, तो क्या उन्हें रोकना सही है?

अगर कोई आपको छोड़कर जाना चाहता है, तो उसे जाने दें, यह बात हम सबने सुनी है। लेकिन क्या यह इतना आसान होता है? क्या आपने कभी खुद से पूछा है कि उस शख्स के लिए दरवाज़ा खोलने का सही वक़्त कब आता है? जब रिश्ता टूटने की कगार पर हो, तो दिल और दिमाग़ के बीच एक खींचतान शुरू हो जाती है। क्या एक आख़िरी कोशिश करनी चाहिए? या फिर अपनी आत्मा को और तकलीफ़ देने से बेहतर है कि सब कुछ छोड़कर आगे बढ़ा जाए? किसी ऐसे इंसान को जाने देना, जिससे आपने दिल से प्यार किया हो, बेहद मुश्किल होता है। जो यादें और वादे कभी सब कुछ थे, वे एक पल में बेमानी लगने लगते हैं। पर अगर कोई वाकई आपके साथ नहीं रहना चाहता, तो क्या उन्हें रोकना सही है? आइए, इस उलझन को समझते हैं और जानते हैं कि वो कौन-सा पल होता है, जब किसी को जाने देना ही आपके लिए सबसे बेहतर फ़ैसला बन जाता है।

इंस्टाग्राम पर शेयर किए गए एक वीडियो में क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. आरिया कैंपबेल-दानेश ने दो बेहद अहम संकेत साझा किए हैं, जो यह समझने में मदद करते हैं कि शायद अब आपके पार्टनर को जाने देने का समय आ गया है।

वीडियो की शुरुआत एक गहरे और सोचने पर मजबूर कर देने वाले सवाल से होती है: 'अगर कोई छोड़ना चाहता है, तो उसे जाने दें। लेकिन आपको कैसे पता चलेगा कि दरवाज़ा खोलने का सही समय कब है?'

इसके बाद डॉ. आरिया उन दो संकेतों की गहराई से व्याख्या करते हैं, जो दर्शाते हैं कि अब शायद रिश्ते को अलविदा कह देने का समय आ गया है न सिर्फ उनके लिए, बल्कि आपके अपने भावनात्मक स्वास्थ्य के लिए भी।

संकेत 1: जब वे रिश्ते की ज़िम्मेदारियों से कतराने लगते हैं

डॉ. आरिया के अनुसार, यदि आपका साथी अब रिश्ते में अपनी भूमिका निभाने से बच रहा है या ज़िम्मेदारी लेने से पीछे हट रहा है, तो यह एक बड़ा संकेत है कि शायद उन्हें जाने देने का वक़्त आ गया है।

वह समझाते हैं, एक स्वस्थ और सशक्त रिश्ते के लिए दो लोगों की भागीदारी ज़रूरी होती है। अगर आपका साथी अब ना तो आत्ममंथन करने को तैयार है, ना संघर्षों में अपनी भूमिका स्वीकार करता है, और ना ही आपके साथ आगे बढ़ना चाहता है  तो यह रिश्ता टिक नहीं पाएगा। ऐसे हालातों में रिश्ता धीरे-धीरे ख़त्म होने लगता है, चाहे आप उसे कितना भी थामे रहें।

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संकेत 2: जब वे साझेदारी छोड़कर आपको ही दोष देने लगते हैं

डॉ. आरिया बताते हैं कि जब आपका साथी अब रिश्ते में करुणा और समझ के बजाय, केवल दोष देने की भाषा अपनाने लगे तो यह एक स्पष्ट संकेत है कि रिश्ता बिखरने की कगार पर है।

वे कहते हैं, जब बातचीत 'हम इसे मिलकर कैसे ठीक करें?' से बदलकर 'तुम ही समस्या हो' बन जाए तो समझ लीजिए कि अब आप दोनों एक टीम नहीं रह गए। जब कोई समझने की कोशिश छोड़कर आपको जज करने लगे, और मिलकर रास्ता निकालने के बजाय दोष बांटने लगे, तो रिश्ते की नींव हिल जाती है।

डॉ. आरिया आगे जोड़ते हैं, एक बार जब आपका साथी समाधान की तलाश में आपके साथ खड़े होने के बजाय दूरी बनाने लगे, तो वह दरअसल रिश्ते से बाहर निकलने का रास्ता ढूंढ़ रहा होता है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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