कानपुर से शुरू कहानी कानपुर में खत्म, देखिये विकास दुबे के एनकाउंटर पर उठे सभी सवालों के जवाब

vikas dubey

इस सप्ताह वैसे तो कई राजनीतिक सामाजिक मुद्दे रहे जिनमें चीन का अपनी सेना को पीछे हटाना काफी बड़ी सफलता रही। इसके अलावा देश में कोरोना वायरस के मामले 8 लाख के पार चले गये। लेकिन कानपुर में पुलिसकर्मियों का हत्यारा विकास दुबे पूरे सप्ताह सुर्खियों में बना रहा।

उत्तर प्रदेश के कानपुर में 8 पुलिसकर्मियों की हत्या का आरोपी हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे अब खुद हिस्ट्री बन चुका है। उसने जो जघन्य अपराध किया था उसके लिए उसे मृत्युदंड मिलना ही चाहिए था जोकि उसे मिला भी लेकिन यह जिस तरीके से मिला उससे कई सवाल खड़े हुए हैं। विपक्ष का कहना है कि पुलिस की थ्योरी में कई झोल हैं जिससे साफ जाहिर हो रहा है कि कुछ लोगों को बचाने के लिए अपराधी को सदा के लिए चुप करा दिया गया। विकास दुबे का एनकाउंटर पुलिस के मुताबिक परिस्थितिजन्य कारणों से हुआ क्योंकि पुलिस को आत्मरक्षा में गोली चलानी पड़ी लेकिन अगर विकास दुबे के पूरे गैंग पर नजर डालें तो एक ही सप्ताह के अंदर सारे के सारे गुर्गे एक ही स्टाइल में मुठभेड़ में मारे गये। इस सबसे कई सवाल खड़े हुए हैं जैसे कि

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-अगर पुलिस को अपराधियों को मुठभेड़ों के माध्यम से ही सजा देनी है तो न्यायालयों की जरूरत क्या रह गयी है?

-विकास दुबे एनकाउंटर पर कुछ सवाल उठे हैं जिसमें सामान्य-सा प्रश्न यह उठ रहा है कि ऐसा क्यों होता है कि हमारे प्रशिक्षित पुलिसकर्मी जब दुर्दांत अपराधियों को ले जा रहे होते हैं तो वह लापरवाह दिखते हैं, उनके हथियार छीन कर अपराधी भागने लगता है जिसके बाद मुठभेड़ होती है और अपराधी मारा जाता है। 

-एक और सवाल विपक्ष की ओर से जो उठा है वह यह है कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा है कि गाड़ी नहीं पलटी, सरकार पलटने से बचायी गयी है, उन्होंने यह भी कहा है कि विकास दुबे का यह एनकाउंटर बीजेपी की साजिश है, बसपा और कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी दलों की ओर से भी राज्य सरकार पर ऐसे ही आरोप लगाये गये हैं।

-कहने को तो उत्तर प्रदेश में ऑपरेशन क्लीन चल रहा है लेकिन ऐसा लगता है कि यह ऑपरेशन एनकाउंटर है। ऐसा इसलिए क्योंकि एक रिपोर्ट के मुताबिक योगी सरकार बनने के बाद से उत्तर प्रदेश में 117 एनकाउंटर हो चुके हैं

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-कानपुर प्रकरण से उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था और खासकर पुलिस व्यवस्था पर सवालिया निशान लगे हैं क्योंकि एक पूरी चौकी के सभी कर्मियों को लाइन हाजिर कर देना दर्शाता है कि वहां कानून का पालन कराने वाले लोग थे या कानून से खिलवाड़ करने वालों का साथ देने वाले लोग थे।

-कानपुर प्रकरण को मुद्दा बनाते हुए विपक्ष बार-बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर सवाल खड़े कर रहा है क्योंकि गृह विभाग उनके पास है। माना जा रहा है कि कानपुर मामले से मुख्यमंत्री की छवि प्रभावित हुई है।

उक्त सवालों के जवाब देने के लिए प्रभासाक्षी के खास कार्यक्रम 'चाय पर समीक्षा' में उत्तर प्रदेश पुलिस के पूर्व डीजीपी बृजलाल जुड़े। साथ ही इस चर्चा में उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार अजय कुमार, दैनिक जागरण के पूर्व संपादक और पूर्व राज्य सूचना आयुक्त वीरेन्द्र सक्सेना, यूएनआई के जनार्दन मिश्रा ने भी अपने मत व्यक्त किये।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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